सैरातों की बंदोबस्ती न होने से राजस्व की क्षति
जागरण संवाददाता,आरा : नगर निगम आरा के विभिन्न सैरातों की बंदोबस्ती न होने से हर साल लाखों रुपये राजस
जागरण संवाददाता,आरा : नगर निगम आरा के विभिन्न सैरातों की बंदोबस्ती न होने से हर साल लाखों रुपये राजस्व की क्षति पहुंच रही है। विभागीय वसूली किए जाने के खेल में कर्मचारियों व जनता के चुने हुए नुमाइंदों की सहभागिता होती है। विभागीय वसूली पर नगर निगम बोर्ड की बैठक में भी कई बार हो-हंगामा तक हुआ। मगर नतीजा सिफर ही रहा।
आठ सैरातों में मात्र एक की हुई बंदोबस्ती :
निगम क्षेत्र स्थित कुल आठ सैरातों की बंदोबस्ती मंगलवार को होनी थी। मगर मात्र एक सैरात की बंदोबस्ती ही हुई। शेष सैरातों की फिर विभागीय वसूली कराने का निर्णय लेना पड़ा। पुरानी पुलिस लाइन स्थित बस पड़ाव का दो लाख पचपन हजार सात सौ पचास रुपये में बंदोबस्ती की गयी। यह बंदोबस्ती छह माह के लिए की गयी है। अमित कुमार सिंह के नाम पर पुरानी पुलिस लाइन स्थित बस पड़ाव की वसूली 31 मार्च 2015 तक के लिए हुई है।
इन सैरातों की नहीं हुई बंदोबस्ती : निगम क्षेत्र के सरदार पटेल मुख्य बस पड़ाव, सिविल कोर्ट परिसर स्थित सुलभ शौचालय, मीरगंज स्थित सुलभ शौचालय, मोती टोला स्थित मैल गड्ढ़ा कृषि योग्य भूमि, महाराजा कालेज के मुख्य द्वार के सामने स्थित सुलभ शौचालय, बहियारा हाता के अंदर से बालू लदे वाहनों की शुल्क वसूली, स्टेशन रोड स्थित सुलभ शौचालय की बंदोबस्ती के लिए एक भी संवेदकों ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। जबकि 1 अप्रैल 2014 से सरदार पटेल मुख्य बस पड़ाव से कुल 32 लाख 21 हजार 150 रुपये में, महाराजा कालेज सुलभ शौचालय से 3 लाख 45 हजार 115 रुपये, स्टेशन रोड सुलभ शौचालय से 2 लाख 88 हजार 650 रुपये, सिविल कोर्ट परिसर से 35 हजार 650 रुपये, मीरगंज स्थित सुलभ शौचालय से 2 लाख 21 हजार 950 रुपये की वसूली एक साल में करनी थी। मगर अभी तक जो विभागीय वसूली हुई व आधी रकम से भी काफी कम है।
क्या कहते हैं नगर आयुक्त :
नगर आयुक्त उमेश कुमार कहते हैं कि हर तीन साल पर सुरक्षित राशि में पंद्रह प्रतिशत राशि बढ़ाकर बंदोबस्ती की जाती है। जिस कारण हाई रेट पर कोई बंदोबस्ती के लिए तैयार नहीं होता है। लिहाजा थक-हारकर विभागीय वसूली करायी जाती है।
कहते हैं महापौर :
महापौर सुनील कुमार का कहना है कि मंगलवार को कुल आठ सैरातों की बंदोबस्ती थी। मगर मात्र दो लोगों ने ही टेंडर डाला था। जिसमें एक सैरात की बंदोबस्ती हुई। महापौर भी कहते हैं कि विभागीय वसूली से हर साल निगम को लाखों रुपये की क्षति होती है।