पर्यावरण में खुशहाली लाती सावन की हरियाली
संवाद सूत्र, बड़हरा (भोजपुर) : पर्यावरण की खुशहाली और सावन की हरियाली का मधुर संबंध समस्त जीवन जगत के लिए उतना ही महत्व रखता है जितना स्थूल शरीर में प्राण का महत्व है। एक तरह से यह कहना कि सावन के बिना पर्यावरण का चक्र अधूरा व निर्जीव सा बन जायेगा, कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। साल के बारह महीनों में सावन उस सबसे खास महीना के रूप में आता है जो ब्रह्मांड में आकाश से लेकर पाताल तक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को नये सिरे से उर्जान्वित करता है। जिसे ऊर्जा के बल पर प्रकृति की समूची व्यवस्था अगले वर्ष तक सुचारु ढंग से गतिमान रहती है।
भीषण गर्मी में आसमान द्वारा पृथ्वी से सोख लिये गये जल भंडार को सावन की उमड़ती बादलों की झुंड पुन: धरती पर वापस लाती है। बूंद-बूंद को प्यासे जीव-जंतु, पेड़-पौधे, नदी-तालाब व पृथ्वी का पेट सावन में भर जाता है। जिससे मृत व सोयी पड़ी पारिस्थितिकी में खुशहाली व सर्वत्र ताजगी आ जाती है। सर्वत्र हरे-हरे वन उपवन छा जाते हैं। जल संकट के दूर हो जाने से पूरा वातावरण खुशहाल हो जाता है। मानो विरह वेदना से तड़पते हुए दिल को प्रियतम के मिलन का अति आनंद मिल गया हो। कभी जीर्ण-शीर्ण पड़े वृक्षों में प्रकृति को अब अधिक से अधिक कुछ देने की उत्कंठा जगी हो। खुद प्यासे जल श्रोतों में अब सबकी प्यास बुझा देने की आतुरता दिखती हो। यानि चारों तरफ देखें तो सावन अभावों को पछाड़कर पर्यावरण को शक्तिशाली बना देता है।