आस्था का केन्द्र शिव-पार्वती मंदिर
संवाद सूत्र, कोईलवर (भोजपुर): आसपास की प्राकृतिक छठा और खुला वातावरण धार्मिक स्थलों में चार चांद लगा देते हैं। कुछ ऐसा ही है सोन तटीय कोईलवर का शिव-पार्वती मंदिर। दानापुर रेल मंडल के कोईलवर स्टेशन के समीप कोईलवर पुल के उत्तर अवस्थित इस मंदिर के पास बहती है सोनभद्र की अविरल धारा। इस सोन धारा में बनाया गया है आकर्षक सोनभद्र मंदिर। इस सोनभद्र मंदिर मे जाने के लिए बनाया गया है रेलिंग पुल। उक्त शिव-पार्वती मंदिर के कुछ फीट उत्तर सोन तट पर सूर्य मंदिर भी है। इन मंदिरों के पास सोन तट पर ही बहुत पहले से अवस्थित है गोरैया स्थान। यहां का विशाल पाकड़ वृक्ष बड़े क्षेत्र को छाया प्रदान करता है जिससे गर्मी में लोगों को काफी राहत मिलती है। कोईलवर के अब्दुलबारी पुल के ऊपर गुजरती ट्रेन भी नवागंतुकों के लिए हैरतअंगेज नजारा पेश करती है। इसके नीचे गुजरते वाहन बल्कि संपूर्ण पुल मंदिर की शोभा बढ़ाता है।
कोईलवर का यह शिव-पार्वती मंदिर गोरैया स्थान समेत कई मंदिरों के बीच अवस्थित है। इस स्थल को दीनेश्वरनाथ धाम के नाम से जाना जाने लगा है। बताया जाता है कि 1994 में इसकी स्थापना हुई। मंदिर निर्माण के प्रमुख सहयोगी समाजसेवी मोहन यादव बताते हैं कि 1996 से महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य एवं आकर्षक झांकी निकाली जाती है जो नगर एवं आसपास का भ्रमण करती है जिसमें शिव भक्त एवं श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस अवसर पर यहां फैले विशाल बालू-रेत स्थल पर मेला लगता है। कुछ वर्षो से यहां शिवरात्रि की रात सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते रहे हैं।
सावन में शिव भक्तों की यहां जलाभिषेक के लिए काफी भीड़ होती है। इस महीने के सोमवारों को यहां मेला भी लगता है। बताया जाता है कि 2002 से लोग शिव-पार्वती मंदिर में विवाह कार्यक्रम आयोजित करने आने लगे हैं।