Move to Jagran APP

'धान के कटोरा' में अकाल की छाया

By Edited By: Published: Fri, 25 Jul 2014 09:22 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jul 2014 09:22 PM (IST)
'धान के कटोरा' में अकाल की छाया

जागरण संवाददाता,आरा : 'धान के कटोरा' के रूप में ख्याति प्राप्त भोजपुर में सरकारी सिंचाई संसाधनों का जाल सा बिछा है, फिर भी यहां के कृषक खेती के लिए वर्षा पर निर्भर रहते हैं। स्थिति ऐसी है कि वर्षा हो गयी तो फसल की अच्छी उम्मीद बंधती है, नहीं तो भाग्य और भगवान भरोसे कृषक जीने की आदि हो चुके हैं। यह स्थिति विगत डेढ़ दशक से जिले में भयावह बनी है। जिले में सिंचाई के मुख्य स्रोत सोन नहर को मजबूत करने के लिए आवाज सड़क से सदन तक पहुंची पर अब तक सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ सका है। यहां तक की सिंचाई के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा आंदोलन का रास्ता भी पानी का मुकम्मल व्यवस्था नहीं करा सका। जिले का दक्षिणी इलाका जहां कभी धान उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश में स्थान रखता था वहीं उतरी क्षेत्र रबी उत्पादन में रिकार्ड का गवाह रहा है। लेकिन आज विपरीत परिस्थिति ने खुशहाल किसानों की जिंदगी को बोझिल बना दिया है। पर्याप्त सिंचाई संसाधनों के बावजूद खेतों को समय पर पानी नहीं मिल पाता है। मौजूदा समय में जिले मे पड़ने वाले छह मुख्य नहर समेत चार दर्जन से ज्यादा इसकी शाखाओं की स्थिति अत्यंत ही चिंताजनक है। किसी भी नहर एवं शाखा नहर की स्थिति सुदृढ़ नहीं है। बता दें कि जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 233729.15 हेक्टेयर में है। कृषि योग्य भूमि 188134 हेक्टेयर है। चौदह प्रखंडों में से शाहपुर, कोईलवर एवं बड़हरा प्रखंड को छोड़कर ग्यारह प्रखंडों में सिंचाई की प्रमुख स्रोत सोन नहर है। भोजपुर में कुल एक लाख 15 हजार हेक्टेयर में खरीफ खेती होती है। सिंचाई के स्रोतों में सोन नहर के अलावे राजकीय नलकूप, उदवह सिंचाई, ईआरपी सेट, निजी नलकूप समेत अन्य स्रोतों से पटवन किया जाता है। सोन नहर से 83547 हेक्टेयर में सिंचाई कार्य होता है।

loksabha election banner

-----------

बाक्स

---------

सोन नहर से सिंचाई पर निर्भर क्षेत्र: उदवंतनगर प्रखंड में सोन नहर से 7749 हेक्टेयर, सहार में 10050 हेक्टेयर, तरारी में 12606 हेक्टेयर, पीरो में 12822 हेक्टेयर, चरपोखरी में 8506 हेक्टेयर, जगदीशपुर में 9327 हेक्टेयर, संदेश में 5137 हेक्टेयर, आरा में 700 हेक्टेयर, बिहियां में 647 हेक्टेयर, गड़हनी में 6566 हेक्टेयर, अगिआंव में 9437 हेक्टेयर में सिंचाई होती है।

------------

बाक्स

-----------

छह प्रतिशत हुई रोपनी

आरा:मानसून की बेरूखी एवं सोन नहर की दगाबाजी ने किसानों के समक्ष गंभीर संकट पैदा कर दिया है। हालात यह है कि एक लाख पन्द्रह हजार हेक्टेयर में धान रोपनी के लक्ष्य के विरूद्ध अब तक मात्र छह प्रतिशत ही रोपनी जिले भर में हो सकी है। सोन नहर के मुख्य शाखा समेत ढ़ाई दर्जन उप वितरणियों में पानी नहीं पहुंचने के चलते जिले भर में कृषकों के बीच हाहाकार मच गया है। अब तक लक्ष्य के करीब धान की रोपनी हो जाने की बात विभाग के द्वारा कही जा रही है। लेकिन विपरित परिस्थिति के कारण जिले में अब सुखाड़ जैसी स्थिति पैदा हो गयी है। इधर हालात पर नजर रखने के लिये जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण बिहारी लगातार प्रखंडों का दौरा कर रहे है। देर शाम प्रखंडों से लौटने के उपरांत जिला कृषि पदाधिकारी ने हालात को बेहद खराब बताया। उन्होंने कहा कि कृषकों को जितनी मात्रा में पानी की आवश्यकता है, उतना पानी सोन नहर से नहीं मिल रहा है। कम मात्रा में पानी छोड़े जाने से टेल-इंड की बात तो दूर सामान्य नहरों में भी रोपनी के लिये पानी नहीं मिल रहा है। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि जिले के सर्वेक्षण के क्रम में यह बात सामने आयी है कि अब तक मात्र छह प्रतिशत रोपनी हुई है। वर्षापात चालू माह में वास्तविक वर्षापात की तुलना में काफी कम हुआ है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में लगातार विभाग को रिपोर्ट भेजा जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.