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ग्रामीण परिवेश में सीमित साधनों के बूते पायी सफलता

By Edited By: Published: Wed, 05 Jun 2013 09:13 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2013 09:15 PM (IST)
ग्रामीण परिवेश में सीमित साधनों के बूते पायी सफलता

विनोद सुमन, पीरो (भोजपुर) : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित वर्ष 2013 की मैट्रिक परीक्षा में तीसरा स्थान हासिल करने वाली नव्या तिवारी एवं चौथे स्थान पर आयी नम्रता दीक्षित ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण परिवेश में सीमित साधनों के बावजूद मेहनत, लगन एवं दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते सफलता की बुलंदी तक पहुंचा जा सकता है। कुल 454 अंक (90.8 प्रतिशत) के साथ सूबे में तीसरा स्थान पाने वाली नव्या मूल रूप से पीरो प्रखंड के खैरी तिवारीडीह गांव निवासी रजनीश तिवारी एवं नीना देवी की सबसे बड़ी बेटी है। तीन भाई-बहनों में बड़ी नव्या का फेवरेट विषय विज्ञान एवं गणित है। वह नियमित रूप से पांच से छह घंटे पढ़ाई कर यह सफलता हासिल की है। इसका श्रेय वह अपने माता-पिता एवं गुरुजनों के साथ खुद की मेहनत को देती है। नव्या के अनुसार उसने प्रोगेसिव ट्यूशन सेंटर के शिक्षक उपेन्द्र कुमार पांडेय एवं सत्येन्द्र कुमार पांडेय के निर्देशन में परीक्षा की तैयारी की थी। वह भविष्य में डाक्टर बनकर गांव के निर्धन एवं असहाय लोगों की नि:शुल्क इलाज करना चाहती है। मैट्रिक परीक्षा में 453 (90.6 प्रतिशत) अंकों के साथ सूबे में चौथा स्थान प्राप्त करने वाली पुष्पा उच्च विद्यालय की छात्रा नम्रता दीक्षित के माता-पिता मूल रूप से जौनपुर (यू.पी.) के निवासी हैं। पिता आनंद दीक्षित पीरो में रहकर एक निजी ट्रांसपोर्ट कंपनी के प्रबंधक का कार्य देखते हैं। जबकि मां निशा दीक्षित गृहिणी हैं। नम्रता की प्रारंभिक शिक्षा पीरो नगर के ज्ञानोदय सेन्ट्रल स्कूल से हुई है, जबकि उसने प्रोग्रेसिव ट्यूशन सेंटर के उपेन्द्र पांडेय एवं सत्येन्द्र पांडेय की देखरेख में मैट्रिक परीक्षा की तैयारी पूरी की। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता एवं गुरुजनों को देती है। नम्रता के अनुसार पुष्पा उच्च विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सिस्टर सोफी ने हमेशा उसका हौसला अफजाई की जिससे प्रभावित होकर वह लगातार प्रतिदिन 8 घंटे पढ़ाई कर यह सफलता हासिल की। अपने तीन भाई बहनों में दूसरे नंबर की नम्रता का प्रिय विषय हिन्दी, गणित है। वह भविष्य में योग्य शिक्षक बनकर शिक्षा दान करना चाहती है। नम्रता के पिता आनंद दीक्षित बताते हैं कि रात-रात भर जगकर पढ़ाई करने पर उसे डांट भी पड़ती थी फिर भी वह कभी पढ़ाई से पीछे नहीं हटती।

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