कम्प्यूटर युग में पहुंचने के बाद भी विद्यालय में सुविधाएं नदारत
निज संवाददाता, बिहिया (भोजपुर) : छात्राओं में शैक्षिक क्रांति के इस युग में भी महुआंव गांव में स्थित प्रखंड का दूसरा प्लस टू प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय सरकारी उपेक्षा का दंश झेलने को विवश है। सन 1985-86 में दसवीं कक्षा तक के लिए प्रोजेक्ट स्कूल बना पर आज तक उच्च विद्यालय अपना स्वरूप नहीं पा सका। यह लंबी कहानी है पर वर्तमान की सच्चाई यह है कि यहां नौवीं तथा दसवीं कक्षा के लिए वर्तमान में न कोई छात्र है न शिक्षक। स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है। इसी बीच समय बदला सरकार ने इस विद्यालय को प्लस टू में उत्क्रमित कर दिया-प्लस टू का भवन बना, 8 शिक्षकों की बहाली हुई, पिछले दो सत्र में इंटर में छात्राओं की संख्या 81 तक पहुंच गयी। इधर प्रधानाध्यापक भी आ गये हैं तो कम्प्यूटर लग जाने से विद्यालय कम्प्यूटर युग में भी पहुंच गया है परंतु, विद्यालय में बुनियादी सुविधाएं आज भी नदारत है। स्कूल में शौचालय नहीं है, सोचा जा सकता है कि दूर-दूर से आकर इंटर में पढ़ने वाली छात्राओं को इस स्थिति में किस जिल्लत से गुजरना पड़ता होगा। इन छात्राओं को बैठने के लिए बेंच डेस्क नहीं है। चहारदीवारी है पर गेट नहीं, छत का प्लास्टर छोड़ नीचे गिर रहा है, कभी कोई दुर्घटना संभावित है। इस विद्यालय पर न तो जनप्रतिनिधियों की कृपा बरस रही है न सरकार की। विद्यालय में असुविधा के कारण नामांकन के बाद छात्राएं कम ही आती हैं तो यहां पदस्थापित शिक्षक भी नहीं आने के मामले में कम नहीं प्रतीत होते, किसी को पटना से आना है किसी को बक्सर से, पर आते कम ही हैं। प्रधानाध्यापक ने सिर्फ यही कहा कि जो स्थिति है वह सबके सामने है, मैं अकेला क्या कर सकता हूं।
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