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श्रद्धा व आस्था का केन्द्र महथिन माई का मंदिर

By Edited By: Published: Tue, 16 Apr 2013 10:38 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2013 10:39 PM (IST)
श्रद्धा व आस्था का केन्द्र महथिन माई का मंदिर

एक प्रतिनिधि, बिहिया (भोजपुर) : लोक आस्था का प्रतीक महथिन माई का मंदिर आरा-बक्सर रेल मार्ग पर बिहिया स्टेशन से लगभग एक किलोमीटर पूरब रेल पटरी के किनारे स्थित है। यूं तो इस मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, परंतु सप्ताह में सोमवार एवं शुक्रवार को यहां विशेष मेला लगता है। यहां लोग अपनी-अपनी मनोकामना पूर्ण होने या हो जाने की उम्मीद में मनौतियां मांगने दूर-दूर से आते है। देवी सती शिरोमणि महथिन माई को लेकर श्रद्धालु महिलाओं की धारणा है कि इनकी आराधना से सुहाग सुरक्षित रहता है। यही कारण है कि यह मंदिर सुहाग मंदिर और महथिन माई सुहाग की देवी के रूप में इस क्षेत्र में ख्यात है। चैत व शारदीय नवरात्र में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर के प्रवेश द्वार से अंदर परिसर में प्रवेश करते ही बायें तरफ शिव मंदिर तथा दाहिने तरफ राम जानकी मंदिर स्थित है। मुख्य मंदिर के गर्भ गृह में एक चबूतरा है जहां बराबर एक चौमुख दिया जलते रहता है। चबूतरे पर बीचोबीच दो गोलाकार पीतल का परत चढ़ाया हुआ महथिन मां का प्रतीक चिह्न है। इसी तरह का दो गोला मुख्य गोले के दायी और बायी ओर स्थित है जिसके बारे में बताया जाता है कि दो मुरथ गोला महथिन माई और उनके बहन का प्रतीक चिह्न और दायें-बायें तरफ वाला गोला महथिन माई के दो परिचारिकाओं का स्मृति चिह्न है। इन्हीं प्रतीक चिह्नों के समक्ष विवश और मजबूर औरतें माथा टेकती है, मनौतियां मानती हैं, सुख और सपने संजोती है, कोख व सुहाग की रक्षा के लिए निवेदन करती है तथा मनोकामना पूर्ण होने पर चुनरी चढ़ाती है। लोगों का कहना है कि वर्षो पूर्व यहां महुआ के पेड़ के नीचे खुले आकाश में मिट्टी का एक चबूतरा था जिस पर महथिन मां की पूजा की जाती थी। मंदिर कब बना और किसने बनवाया इसके समय और काल पर इतिहास में कुछ भी दर्ज नहीं है हालांकि गर्भ गृह के प्रवेश द्वार पर दायें-बायें बोलचाल की भोजपुरी भाषा और टूटी-फूटी चौपाई दोहों के रूप में सती शिरोमणि महथिन माई के पुण्य प्रताप से संबंधित अनेक चमत्कारिक दोहे अंकित है। शादी ब्याह के मौसम में नव विवाहिता जोड़े यहां 'कंकन' छुड़ाने आते है। इधर कुछ वर्षो से उक्त मंदिर शादी विवाह के महत्वपूर्ण स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका है। यहां प्रति वर्ष सैकड़ों जोड़े आते रहे है तथा महथिन माई को साक्षी मानकर दाम्पत्य सूत्र में बंध रहे है। अभी चैती नवरात्र पर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

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