विश्व टीबी दिवस पर विशेष : समय पर कराएं इलाज, जड़ से खत्म होगा टीबी
विश्व में टीबी मरीजों की संख्या डेढ़ करोड़ के पास है। प्रतिवर्ष ढाई लाख टीबी पीडि़तों की मृत्यु होती है। लोगों को जागरूक कर ही उन्हें इस रोग से बचाया जा सकता है।
भागलपुर [जेएनएन]। कभी लाइलाज समझे जाने वाली टयूबरक्यलोसिस (तपेदिक) बीमारी की जांच में नई तकनीक आने के बाद अब इलाज भी संभव हो गया है। वहीं लगातार चलाए जा रहे अभियानों के कारण अब रोगी भी इलाज के लिए सामने आ रहे हैं।
खांसी, शाम को बुखार बढ़ जाना, भूख की कमी, वजन कम होना और खांसी के साथ छाती में दर्द होना टीबी बीमारी का लक्षण है। ये सभी लक्षण जिन्हें है तो विलंब नहीं करें समय रहते अस्पताल पहुंचकर टीबी का जांच कराएं। समय पर इलाज कराने पर टीबी बीमारी पर नियंत्रण संभव है। यह बात डॉ. विनय झा ने कही। प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व टिबी दिवस मनाया जाता है।
विश्व में टीबी मरीजों की संख्या डेढ़ करोड़ के पास है। प्रतिवर्ष ढाई लाख टीबी पीडि़तों की मृत्यु होती है। लोगों को जागरूक कर ही उन्हें इस रोग से बचाया जा सकता है।
जेएलएनएमसीएच के ओपीडी में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विनय कुमार झा ने बताया इस वर्ष ओपीडी में कुल 3066 मरीजों का जांच किया गया। इसमें 282 मरीज में इस बीमारी का लक्षण मिला। वहीं, 157 निगेटिव मिले है। अस्पताल से 425 मरीजों को दवा दिए जा रहे हैं। धीरे-धीरे मरीजों की संख्या कम हो रही है। जेएलएनएमसीएच में प्रतिदिन पांच से दस मरीज टीबी की शिकायत लेकर पहुंचते हैं। जांच के बाद इनको समय पर दवा खाने के लिए कहा जाता है। अस्पताल में इलाज की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है।
यह बरतें सावधानी
बलगम को खुले में नहीं फेंके। इससे प्रतिवर्ष दो दर्जन नए लोग टीबी के मरीज होते हैं। फेफड़ा टीबी होने पर छह से नौ माह तक दवा खानी पड़ती है। जबकि एमडीआर टीबी होने पर तकरीबन 27 महीने तक। अस्पताल अधीक्षक ने बताया कि जीन एक्सपर्ट उपकरण अस्पताल में उपलब्ध है। इससे दो घंटे में ही बलगम की जांच कर पता लगाया जा सकता है कि टीबी है या नहीं। अस्पताल में टीबी मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर नगर के एक होटल में आइएमए की ओर से सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञ टीबी के इलाज और इसके रोकथाम के बारे में जानकारी दी। सेमिनार दो सत्र में हुआ। पहले सत्र में मेडिसीन विभाग के डॉ. डीपी सिंह और दूसरे सत्र में डॉ. मनीष कुमार अपना व्याख्यान दिया।