...आखिर बेलगाम वाहन चालक व मालिक पर क्यों नहीं होती कार्रवाई, क्या रोज इसी तरह मरते रहेंगे लोग
भागलपुर जिले में रोज सड़क दुर्घटनाएं हो रही है। प्रतिदिन लोग मारे जाते हैं। इसके बाद सड़क जाम और प्रदर्शन किया जाता है। पुलिस आती है, उसके बाद सब कुछ सामान्य।
भागलपुर (जेएनएन)। जिले भर में रोज दर्दनाक सड़क हादसे को देखने वाले और मृतक के परिजनों की चित्कार और वेदना सुन ऐसे कई लोग मौके पर रहते हैं जो खुद को प्रशासनिक उदासीनता और मानवता नहीं दिखाने पर कोसने से रोक नहीं पाते हैं। पुलिस और जिला प्रशासन को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। ऐसे लोगों का कहना था कि अचानक शहर में ट्रकों की बाढ़ आ गई तो कैसे आई? अधिकांश ट्रक ओवरलोड ही शहर में प्रवेश करते हैं। इनमें ज्यादातर बालू के ही होते हैं। जिनके पास फर्जी परमिट और पुलिस की हरी झंडी होती है।
बांका से भागलपुर तक जगदीशपुर, मधुसूदनपुर, सजौर, सबौर, कजरैली, गोराडीह, लोदीपुर, बबरगंज, हबीबपुर थाने के रास्ते रोज सैकड़ों की संख्या में बालू लदे ट्रक- ट्रैक्टर की आवाजाही कराई जाती है। इनमें स्थानीय ट्रक चालकों को मानों तेज गाड़ी चलाने, ट्रैफिक नियम की धज्जियां उड़ाने की मानों खुली छूट है। उन्हें परवाह इसलिए भी नहीं कि उन्हें एंट्री कराने का ठेका नजराने से मिल गया होता है। यह स्थिति घोघा, कहलगांव, सबौर, जीरोमाइल के रास्ते भी होता है। सारे जगहों पर पुलिसिया खेल खुलकर चालू है जो एंट्री माफिया के मेल में लगातार जारी है। जब कमिश्नर, कलेक्टर और आइजी की त्यौरियां तन जाती तो धंधा कुछ दिनों के लिए मंदा कर दिया जाता है। वरना इस धंधे में शामिल लोगों का बाकायदा नजराना रजिस्टर तक बना हुआ है जहां ऐसे लोग महीने में हाजरी बनाते हैं। और बार-बार बेलगाम गाडिय़ों के परिचालन का सिलसिला जारी रहता है।
शानिवार की रात नौ बजे नगर निगम और संयुक्त भवन गेट के पास तेज रफ्तार से आ रहे ट्रक ने चार मजदूरों को रौंद दिया। इसमें तीन मजदूर अरुण मोदी, नारायण और शनिचर तैलिक की मौके पर मौत हो गई। जबकि विजय मोदी की हालत अस्पताल में नाजुक बनी हुई है। हादसे से गुस्साए स्थानीय लोग और बारात में भी शामिल कुछ लोगों ने ट्रक चालक और खलासी को दबोचने की कोशिश की। इसमें चालक तो भागने में सफल रहा। पर, खलासी को पकड़ लिया गया। गुस्साए लोगों ने लात-घूसों से खलासी को अधमरा कर दिया है। घटना की जानकारी पर मौके पर पहुंची आदमपुर और तिलकामांझी पुलिस को गुस्साए लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा। स्थित नियंत्रित होता देख तुरंत कई थानों की पुलिस को बुलाया लिया गया। बड़ी संख्या में पुलिस को देख उपद्रव कर रहे लोग भाग निकले।
एसडीओ सदर और डीएसपी सिटी भी मौके पर पहुंचे और हादसे की जानकारी ले तुरंत जवाहर लाल नेहरू अस्पताल पहुंचे। वहां एक जख्मी का हाल जाना। परिजनों से भी बातें की। तत्काल एसडीओ सदर और डीएसपी सिटी ने चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने की बात कही है।
हादसे के शिकार झाड़ रोशनी वाले थे,बारात लगा लौट रहे थे वापस
सभी मजदूर बारात पार्टी में झाड़ रोशनी लेकर चलने वाले थे। मरने वालों में सिकंदरपुर निवासी अरुण मोदी, मिरजान हाट सिकंदरपुर निवासी शनिचर तैलिक और कोतवाली झोपड़पट्टी निवासी नारायण शामिल हैं। जख्मी विजय मोदी कुतुबगंज का रहने वाला है। उसकी हालत चिकित्सकों ने नाजुक बताई है।
विक्रमशिला कालोनी से बारात लेकर तिलकामांझी पहुंचे थे 13 मजदूर
हादसे में बाल-बाल बचे दिलीप मोदी, छोटू चौरसिया ने जानकारी दी कि विक्रमशिला कालोनी से बारात पार्टी के साथ झाड़ रोशनी लेकर कुल 13 मजदूर साथी चले थे। सिकंदरपुर निवासी प्रकाश मंडल और उसके ससुर लखन मिस्त्री की झाड़ रोशनी की कंपनी है। स्टोर एवं दुकान शाह मार्केट में है। वहीं से झाड़ रोशनी लेकर सभी विक्रमशिला कालोनी तय सट्टे पर पहुंचे थे। वहां से बारात पार्टी लेकर तिलकामांझी चौक से पहले मिश्रा जी के विवाह भवन के समीप बारात पार्टी को लगाने के बाद वापस झाड़ रोशनी लेकर शाह मार्केट लौट रहे थे स्टोर में सामान रखने को। जैसे ही 13 मजदूरों का जत्था घुरण शाह पीर बाबा चौक पार किया तभी एक ट्रक तेजी से आगे बढ़ गए अरुण, शनिचर, नारायण और विजय को रौंदते हुए निगम के गेट से जा टकराई। हादसे में उनके तीन साथी नारायण, अरुण और शनिचर ने वहीं दम तोड़ दिया। विजय जख्मी था। उसे अस्पताल ले जाया गया।
...शोर के बाद मची भगदड़ मानो भूकंप आ गया हो
ट्रक हादसा जब हुआ तब दिलीप, जयप्रकाश, सोनू, जयङ्क्षहद यादव पैदल बूढ़ानाथ मंदिर से एक शादी में भाग लेकर वापस बरारी लौट रहे थे। चारों कंबाइंड बिल्डिंग के समीप आपस में गप करते पहुंचे ही थे कि अचानक तेज शोर हुआ। चारों कंबाइंड बिल्डिंग के गेट के समीप आंखें मूंद बैठ गए। चारों ने सांसे रोक ली थी। उन्हें कुछ सेकेंड के लिए लगा कि भूकंप आ गया या बड़ा पेड़ गिर रहा हो। कुछ ही सेकेंड में तो भगदड़ सी मच गई। चारों ने जब आंखें खोली तो दृश्य देख कांप गए। सड़क पर खून से सनी चप्पलें फिर इनकी नजरें वहां खून से लथपथ पड़े चार लोगों पर पड़ी। जिनमें एक के शरीर में जान थी। वह कराह रहा था। इसी बीच आसपास के लोग आ गए। उन लोगों ने ट्रक के खलासी को पकड़ कर मारपीट शुरू कर दी। कुछ ने पत्थर उठा कर ट्रकों के शीशे पर मारना शुरू कर दिया। देखते ही देखते वहां उपद्रव जैसी स्थिति बन गई। ट्रकों की लंबी कतार से जैसे-तैसे चालक अपनी ट्रकों को लेकर भागने लगे। लेकिन इस दौरान भी एक दर्जन से अधिक ट्रकों को गुस्साए लोगों ने निशाना बनाया। उन गाडिय़ों के शीशे तोड़ डाले। कचहरी चौक से कमिश्नर कार्यालय गेट तक सड़कों पर ईंट और टूटे शीशे बिखरे पड़े थे। करीब आधा घंटे तक अराजक स्थिति सड़क पर बनी रही। सड़क पर कई गाडिय़ां बारात वालों की भी फंसी रही जो दूसरी जगहों से आ रहे थे। उन्हें भी आक्रोशित लोगों ने पर रोक जाम लगा दिया। इस बीच पुलिस पहुंची तो लोगों ने उन्हें भी खदेड़ा लेकिन बाद में भारी बल पहुंचा देख उतनी ही तेजी से गायब भी हो गए। फिर पुलिस आनन-फानन में तीन शवों को पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया। एक जख्मी को लेकर जैसे-तैसे जवाहर लाल नेहरू अस्पताल लेते गए।
परिजन को दहाड़ मार रोते देख नम हो गई सबकी आंखें
ट्रक हादसे की जानकारी जब सिकंदरपुर, कुतुबगंज और कोतवाली झोपड़पट्टी पहुंची तो धीरे-धीरे अस्पताल उनके परिजन पहुंचने लगे। मृत अरुण मोदी को दो बेटा और तीन बेटी है। मरने वालों के परिजन पहुंच शव पर दहाड़ मार रोने लगे। उन्हें रोता देख वहां मौजूद लोग यहां तक की कुछ पुलिस वालों की भी आंखें भर आई। सभी परिजनों के दुख से द्रवित थे। हादसे को लेकर आमजनों का रोष बाहर आ रहा था।