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बीएयू के 161 शिक्षकों की नौकरी खतरे में

भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में वर्ष 2012 में हुई 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 02:18 AM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 02:18 AM (IST)
बीएयू के 161 शिक्षकों की नौकरी खतरे में
बीएयू के 161 शिक्षकों की नौकरी खतरे में

भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में वर्ष 2012 में हुई 161 सहायक प्राध्यापक सह जूनियर साइंटिस्टों की नौकरी संदेह के घेरे में आ गयी है। इस मामले में एफआईआर के बाद इनकी नौकरी पर भी खतरा मंडरा रहा है। पुलिस की जांच में यदि इनकी बहाली गलत तरीके से बिना मेधा की हुई पायी गयी तो इनकी नौकरी भी जा सकती है। नियुक्ति में बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े और अवैध और गलत तरीके से निर्माण कार्य की जांच सेवानिवृत जस्टिस मो. महफूज आलम ने की है। उन्होंने 63 पन्नों की रिपोर्ट राजभवन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मेवालाल पर एफआईआर हुआ है।

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निर्माण में करोड़ों की हेराफेरी का जिक्र

सूत्रों की मानें तो मेवा लाल चौधरी ने बीएयू के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण कार्य में करोड़ों की हेराफेरी की है। 63 पन्नों की जांच रिपोर्ट में पहले ही पन्ने में निर्माण कार्य से जुड़े हेराफेरी जांच की बात उजागर हुई है। सूत्रों की मानें तो निर्माण कार्य में भी मनचाहे ठेकेदार को मेवालाल ने निर्माण कार्य का ठेका दिया था और लाखों रूपए कमाए। अब पुलिस की जांच में इन बिंदुओं पर बारीकी से जांच होगी। इसके दायरे में आने वाले निर्माण कार्य कंपनी को भी पुलिस अपनी जांच के दायरे में लाएगी और गड़बड़ी पाए जाने पर उनपर भी कार्रवाई होगी।

जांच रिपोर्ट में बहाल शिक्षकों का भी है नाम

सूत्रों की मानें तो बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में हुए इस फर्जी वाड़े की जांच रिपोर्ट में विवि में योग्य अभ्यर्थियों की बजाय अयोग्य अभ्यर्थियों की नियुक्ति किए जाने का साफ जिक्र है। गलत तरीके से बहाल गैर मेधा बहाल 161 शिक्षकों को भी चिह्नित कर संदेह के घेरे में लाया गया है। दरअसल, बीएयू में वर्ष 2012 में प्राध्यापकों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें मेधा व नियमों को ताक पर रखकर नियुक्ति की गई। नियुक्ति प्रक्त्रिया में असफल अभ्यर्थियों का आरोप है कि जिनका एकेडमिक रिकार्ड बेहतर था, उन्हें पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन एवं साक्षात्कार के लिए आवंटित 10-10 अंकों में 0.1 देकर अयोग्य करार दे दिया गया, जबकि जिन अभ्यर्थियों का एकेडमिक रिकार्ड कमजोर था उन्हें 20 में से 18 नंबर तक देकर अवैध रूप से नियुक्त कर लिया गया है।

पाच वर्ष तीन दर्जन प्राध्यापकों को कर दिया गया था सेवामुक्त

विवि प्रशासन द्वारा पाच वर्ष पूर्व तीन दर्जन ऐसे प्राध्यापकों को सेवामुक्त कर दिया गया था जो बगैर नेट परीक्षा पास किए नियुक्त किए गए थे। सूत्रों का कहना है कि विवि में पूर्व कुलपति द्वारा नियम को ताक पर रख कर कई पदाधिकारियों को वर्ष में तीन बार प्रोन्नति का भी लाभ दिया गया है। पीजी की शैक्षणिक कार्य के लिए पीएचडी योग्यताधारी शिक्षकों की जगह एमएससी एजी योग्यताधारी शिक्षकों की नियुक्ति भी कर लिए जाने की चर्चा विवि में जोरों पर है।


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