पशु चिकित्सालय : जब मन किया आ गए कार्यालय
भागलपुर। पशुधन को बचाने के लिए सरकार संजिदा है। लेकिन पशु चिकित्सकों को एवं कर्मचारियों को इसकी कोई
भागलपुर। पशुधन को बचाने के लिए सरकार संजिदा है। लेकिन पशु चिकित्सकों को एवं कर्मचारियों को इसकी कोई फिक्र नहीं है। समय पर पशु चिकित्सक अस्पताल नहीं आते हैं वहीं कर्मचारियों के आने का समय तो निर्धारित है लेकिन जब मन चाहा आ जाते हैं।
मवेशी अस्पताल खुलने का समय सुबह 8:30 बजे
तिलकामांझी स्थित मवेशी अस्पताल खुलने का समय 8.30 बजे है लेकिन बुधवार को सुबह नौ बजे तक झाडू ही लगाया जा रहा था। अस्पताल के भवन में ही पशु चिकित्सक डॉ. सुभाषचंद्र ¨हदुस्तानी रहते हैं। वे 9.30 बजे अस्पताल आए। इसके पूर्व उनके कार्यालय में ताला लगा हुआ था। गनीमत यह थी कि उस समय तक बीमार मवेशी को पशुपालक लेकर नहीं आए थे।
10.30 कार्यालय आने का समय पर कर्मी आए ग्यारह बजे
जिला पशु अस्पताल कार्यालय के खुलने का समय 10.30 बजे है। कई चिकित्सक एवं कर्मचारी कार्यालय नहीं आए थे। 11 बजे के बाद आराम से कर्मचारी कार्यालय आए। जबकि जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. जीके झा 10.30 बजे अपने कार्यालय में आ गए थे।
ये कर्मचारी थे अनुपस्थित
डॉ. अंजलि सिन्हा, डॉ. राजेंद्र कुमार, डॉ. प्रवीण कुमार, सुपरवाइजार श्रवण, डेटा ऑपरेटर दीपक। प्रधान लिपिक अनिल कुमार सहाय ने बताया कि डॉ. अंजलि सिन्हा ने मोबाइल से सूचना दी कि वह पहुंच रही हैं। जिला पशुपालक पदाधिकारी ने कहा कि देर से आने वाले चिकित्सक एवं कर्मचारियों से स्पष्टीकरण भी पूछा जाएगा।
एक पदाधिकारी के जिम्मे कई विभागों का प्रभार
जिला पशु पालन पदाधिकारी डॉ. जीके झा के जिम्मे कई विभागों का प्रभार है। इनमें जिला गव्य विकास पदाधिकारी, सहायक निदेशक कुक्कुट, पशु शल्य चिकित्सक एवं विशेष निदेशक पशु पालन पदाधिकारी शामिल है।
अस्पताल में पसरी थी गंदगी
अस्पताल परिसर झाड़-झंखार से पटा हुआ है। चारों तरफ गंदगी है। रात्रि प्रहरी राधे तांती ने कहा सफाई कर्मचारी नहीं है। बेटा या मैं खुद सफाई करता हूं। अस्पताल परिसर में स्थित गायसेट राधे तांती की गाय का बथान बन गया है। गायसेट में बीमार गायों का इलाज किया जाता है।
राजनीति करते हैं कर्मचारी
जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सक एवं कर्मचारी राजनीति में उलझे हुए हैं। चिकित्सकों में अहम की भावना है। इसलिए यहां कोई पदाधिकारी आना नहीं चाहते।