जहां से बुझती है शहर की प्यास, वहीं के लोग बूंद-बूंद को मोहताज
शहर का सबसे वीआइपी क्षेत्र है वार्ड : 27। इसी वार्ड के वाटर वर्क्स से शहर के आधे से अधिक हिस्से की प्यास बुझती है पर विडंबना देखिए कि यहीं के पांच हजार लोग बूंद-बूंद को मोहताज हैं।
भागलपुर। शहर का सबसे वीआइपी क्षेत्र है वार्ड : 27। इसी वार्ड के वाटर वर्क्स से शहर के आधे से अधिक हिस्से की प्यास बुझती है पर विडंबना देखिए कि यहीं के पांच हजार लोग बूंद-बूंद को मोहताज हैं।
अंग्रेज जमाने की पाइप लाइन दम तोड़ चुकी है। जगह-जगह पाइप जाम होने की वजह से सभी इलाकों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। लिहाजा मुस्तफापुर, जुल्फी कबाड़ी लेन, मायागंज, मुसहरी टोला, मुसहरी घाट, गर्म टोला आदि के लोगों को एक प्याऊ व छह सरकारी चापाकल के भरोसे रहना पड़ रहा है। कन्हैया लाल लेन व मुस्तफापुर में पाइप लाइन रहने के बाद भी लोग पेयजल से वंचित हैं।
भूलभूत सुविधाओं का अभाव
वार्ड के महादलित मोहल्ले अब भी विकास से वंचित हैं। मूलभूत सुविधाओं के लिए वे अभी भी नगर निगम की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं।
भाड़े के मकान में आंगनबाड़ी केंद्र
वार्ड में आंगनबाड़ी केंद्र तो है, पर वह भाड़े के भवन में चल रही है। यहां आने वाले बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
रैन बसेरा का निर्माण अधूरा
बरारी थाना के समीप 2009 में रैन बसेरा का निर्माण कराया गया था। पर संवेदक आधा-अधूरा निर्माण कर भाग खड़ा हुआ। लिहाजा आठ साल बाद भी गरीब जनता रैन बसेरा की सुविधा से वंचित है। अब इस अधूरे भवन को लोगों ने अतिक्रमित कर अपना ठिकाना बना लिया है।
जर्जर है रैन बसेरा
मायागंज अस्पताल जैसे महत्वपूर्ण स्थल पर भले ही नगर निगम ने रैन बसेरे की सुविधा दे दी हो, लेकिन अब वह धराशाही होने के कगार पर पहुंच गया है। छत का मलबा गिर रहा है।
स्लम बस्तियों की स्थिति खराब
वार्ड के स्लम बस्तियों की स्थिति बेहद खराब है। दो हजार से अधिक की आबादी सरकारी जमीन व सड़क किनारे गुजर बसर करने को मजबूर है। ये लोग पुराने आइजी आवास के समीप सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं।
2009 में मुसहरी घाट मार्ग में नगर निगम ने गंदी बस्ती योजना के तहत 128 भवनों का निर्माण कर महादलित व गरीब परिवारों को बसाया था। पर उन्हें पेयजल की सुविधा नहीं दी गई। लिहाजा आज भी यहां के 600 लोग पानी को तरस रहे हैं। इनके घर न तो बिजली कनेक्शन लग पाया है और न ही सड़क व नाले बन पाए हैं। हल्की बारिश में लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है।
वीआइपी मोहल्ले के कचरे का बोझ बोझ स्लम बस्ती पर
वार्ड के वीआइपी मोहल्ले के कूड़े-कचरे का उठाव कर उसे गंगा नदी के किनारे यानी मुसहरी घाट में फेंक दिया जाता है। इससे स्लम बस्ती की घनी आबादी को काफी परेशानी हो रही है। उनकी सेहत दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।
दो दिन ही उठाया जात है कूड़ा
सफाई एजेंसी शिवम वार्ड के डंपिंग स्थलों से सप्ताह में दो दिन ही कूड़ा उठाव करती है। जिसके कारण मोहल्ले की सड़कों पर कूड़ा पसरा रहता है। इससे लोगों को परेशानी हो रही है।
क्या-क्या खास है इस वार्ड में
विश्व प्रसिद्ध महर्षि मेंॅहीॅ आश्रम, पूर्व बिहार का सबसे बड़ा जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, केएनएच मेडिकल कॉलेज, डीएम कोठी, वाटर वर्क्स, सुंदरवन, ग्रामीण कार्य विभाग, जिला उद्योग केंद्र, पीएचइडी कार्यालय, प्रदूषण कार्यालय, बिजली कार्यालय, वन विभाग व सुधा डायरी। बावजूद इसके यहां नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है।
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वार्ड की चौहद्दी :
पूरब : वाटर वर्क्स, हनुमान घाट
पश्चिम : लंच घाट
दक्षिण : मायागंज
उत्तर : गंगा नदी
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वार्ड का परिचय :
मतदाता : 5200
आबादी : 18 हजार
होल्डिंग : 800
स्लम : तीन
विद्यालय : एक मध्य विद्यालय
रैन बसेरा : एक
आवास योजना : चार लाभुक
शौचालय निर्माण : 107
बीपीएल : 600
एपीएल : 1200
अंत्योदय : 190
आंगनबाड़ी : पांच
चापाकल : छह
प्याऊ : एक
हाईटेक शौचालय : एक
सामुदायिक भवन : तीन
रोशनी : वेपर 30 व एलइडी 10
कूड़ेदान : 34
सफाई मजदूर : 11
सड़क व नाला निर्माण : 35
लेन : 11
कच्ची गली व सड़क : 20
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लोगों की प्रतिक्रिया :-
वार्ड का अधिकांश मोहल्ला पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। मुस्तफापुर के लोगों को पड़ोस के वार्ड व चापाकल से पानी लाना पड़ रहा है।
- अभिमन्यु कुमार यादव।
जलनिकासी की समस्या होने की वजह से सड़कों पर अक्सर जलजमाव की स्थिति बनी रहती है। मायागंज की मुख्य सड़क और रिशाला रोड में नाला नहीं है। वार्ड का 50 फीसद नाला क्षतिग्रस्त हो गया है।
- भिखारी पासवान
स्लम क्षेत्र में पेयजल की समस्या है। यहां एक प्याऊ पर एक हजार की आबादी निर्भर है। लोगों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं।
- शैल देवी
सुविधाएं सिर्फ वीआइपी इलाके को मिल रही है। स्वास्थ्य विभाग की भवनों से लेकर सड़कों तक पर लोग कब्जा किए हुए हैं।
जिसे हटाने के लिए कोई प्रयास प्रशासन ने नहीं किए है।
- चंदन मिश्रा
मुसहरी घाट मार्ग में 128 लोगों को सरकार ने गंदी बस्ती योजना से भवन दिया, लेकिन यहां पानी, बिजली, पक्की सड़क व नाले की समस्या से लोग जूझ रहे हैं।
- कुलदीप मंाझी
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बोले पार्षद
कूड़ा उठाव को लेकर सफाई एजेंसी लापरवाह हो गई है। सप्ताह में दो दिन कूड़े का उठाव होता है। भूमि के अभाव में कई योजनाएं धरातल पर उतर सकी। रिशाला रोड में एक वर्ष से निविदा के बाद भी कार्य नहीं हुआ। वार्ड अतिक्रमण की जद में है। सड़क, नाला व शौचालय निर्माण की दिशा में कार्य हुआ।
- महेंद्र पासवान, पार्षद, वार्ड 27