मुखिया ने सरकारी बैठक का किया बहिष्कार, सीएम के खिलाफ की नारेबाजी
सात निश्चय की योजनाओं को वार्ड समिति से कराने संबंधी जानकारी देने व अन्य मुद्दों को लेकर जिला प्रशासन ने गुरुवार को जिले भर के मुखिया की बैठक बुलाई थी लेकिन वह हंगामे की भेंट चढ़ गई।
भागलपुर । सात निश्चय की योजनाओं को वार्ड समिति से कराने संबंधी जानकारी देने व अन्य मुद्दों को लेकर जिला प्रशासन ने गुरुवार को जिले भर के मुखिया की बैठक बुलाई थी लेकिन वह हंगामे की भेंट चढ़ गई। सभी मुखिया डीआरडीए परिसर तो आए पर उन्होंने यह कहते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया कि प्रशासन ने दबाव बनाने के लिए उन्हें बुलाया है। बहिष्कार के बाद सभी ने मुख्यमंत्री नीतीश के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
राज्य सरकार के अध्यादेश को लागू कराने में सहयोग के लिए प्रशासन ने यह बैठक बुलाई थी। प्रशासन ने बैठक का नाम दिया था- 'माननीय मुखियागणों के साथ एक दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम।' डीडीसी अमित कुमार की ओर से जारी पत्र में जिले के तीनों अनुमंडल के लिए अलग-अलग तिथि निर्धारित की गई है। सदर अनुमंडल के मुखिया की बैठक डीआरडीए परिसर में बुलाई गई थी जिसकी अगुआई खुद डीडीसी को ही करनी थी। बैठक के एजेंडे में सात निश्चय के तहत गली नाली पक्कीकरण एवं ग्रामीण पेयजल योजना की विस्तृत जानकारी दी जानी थी। इसके साथ पंचायत सरकार भवन के लिए जमीन की उपलब्धता और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान पर भी चर्चा की जानी थी। पर बैठक के लिए पहुंचे अनुमंडल के तकरीबन सभी पंचायतों के मुखिया यह समझ रहे थे अन्य मुद्दे तो बहाना हैं, प्रशासन ने उन्हें सरकार के अध्यादेश पर काम करने का दबाव बनाने के लिए बुलाया है। सो सभी ने प्रशासन पर ही दबाव बनाने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी। सभी ने एक सुर से कहा कि अगर सरकार वार्ड समितियों के माध्यम से काम कराना चाहती है तो वह सीधे वार्ड सदस्यों के खाते में पैसे भेजे। मुखिया के खाते में आए पैसे के उपयोग के लिए मुखिया ही संवैधानिक व्यवस्था के तहत योजना तय करेंगे। अगर हमपर कोई दबाव बनाया गया तो हाईकोर्ट की शरण में फिर से जाएंगे।
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डीडीसी ने समझाया पर नहीं माने मुखिया
हंगामे के बीच डीडीसी अमित कुमार ने 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को अपने कमरे में बात करने के लिए बुलाया। यहां प्रतिनिधिमंडल ने हाईकोर्ट में मामला दायर होने का हवाला देकर वार्ड समिति के माध्यम से काम कराने का विरोध दर्ज कराया। डीडीसी ने कहा कि पंचायती राज अधिनियम के तहत सभी मुखिया को लोकसेवक का दर्जा प्राप्त है। सरकारी अध्यादेश का अनुपालन कराना उनका दायित्व है। वार्ड स्तर पर गठित समिति का अब वैधानिक अस्तित्व है। जब तक हाईकोर्ट ने इस मामले में कोई निर्देश नहीं दिया है अध्यादेश के आधार पर ही काम करना होगा।
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डीडीसी का तर्क, मुखिया का जवाब
- 90 फीसद मुखिया तैयार हैं। सिर्फ 10 फीसद को ही परेशानी है। एक्ट में हुए संशोधन की जानकारी ले लें।
- आप 90 फीसद से काम शुरू कराइए, बाकी बचे 10 फीसद तो दौड़कर आपके साथ हो जाएंगे।