जिले में कालाजार से 14 लोग पीड़ित
भागलपुर। सरकार ने बेशक 2017 तक राज्य को कालाबाजारमुक्त बनाने के लिए कवायद कर रही है लेकिन सरकारी मशीनरी ही इस मुहिम को पलीता लगा रही है। जिले में अब तक यानी पिछले पांच माह में कालाबाजार जैसी घातक बीमारी से 14 लोग पीड़ित हो चुके हैं। इसके बावजूद मलेरिया विभाग लापरवाह बना हुआ है।
भागलपुर। सरकार ने बेशक 2017 तक राज्य को कालाबाजारमुक्त बनाने के लिए कवायद कर रही है लेकिन सरकारी मशीनरी ही इस मुहिम को पलीता लगा रही है। जिले में अब तक यानी पिछले पांच माह में कालाबाजार जैसी घातक बीमारी से 14 लोग पीड़ित हो चुके हैं। इसके बावजूद मलेरिया विभाग लापरवाह बना हुआ है।
जिले में इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीरपैंती प्रखंड के लोग पीड़ित हो रहे हैं। इसके बाद कहलगांव, खरीक, जगदीशपुर आदि प्रखंड हैं जहां लोग कालाबाजार से पीड़ित हो रहे हैं। पिछले वर्ष कालाजार से 17 लोग पीड़ित हुए थे। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा मेडिकल महाविद्यालय अस्पताल के मेडिसीन विभाग में कालाजार पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
क्या है कारण
राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा दी गई राशि के खर्च का हिसाब नहीं देने के कारण समिति समय पर राशि आवंटित नहीं कर रही है। जिससे प्रखंडों में दवा का छिड़काव नहीं हो पा रहा है। इतना ही नहीं इसके लिए आम जन भी कम जिम्मेदार नहीं है। लोग कालाजार निरोधी दवा का छिड़काव करने विरोध करते हैं। जिसके कारण कर्मचारियों को कठिनाई होती है। कई जगहों पर इस बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद लोगों ने छिड़काव कराने से रोक दिया।
खर्च का नहीं दिया ब्योरा
कालाजार प्रभावित प्रखंडों को पांच से सात लाख रुपये दिए जाते हैं। राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा कालाजार उन्मूलन के लिए भेजी गई तकरीबन 20 लाख राशि का हिसाब जिला मलेरिया कार्यालय को जनवरी तक देना था। लेकिन अभी तक पूरा ब्योरा नहीं दिया गया। खरीक प्रखंड द्वारा खर्च का पूरा ब्योरा नहीं दिया गया है।
जनवरी में नहीं मिला आवंटन
कालाजार प्रभावित प्रखंडों में दूसरे चरण का कालाजार निरोध दवा का छिड़काव जुलाई में होना है। मलेरिया विभाग के अफसरों के अनुसार इसके लिए विभाग ने 25 लाख आवंटन की मांग की है। लेकिन अभी तक आवंटन नहीं आया है। जनवरी में आवंटन आया होता तो छिड़काव की तैयारी की गई होती।
सबौर में किया छिड़काव का विरोध
जिला मुख्यालय से सटे सबौर प्रखंड में लोगों ने दवा के छिड़काव का विरोध किया था। एक व्यक्ति कालाजार से पीड़ित था अत: लोग कह रहे थे कि छिड़काव से कुछ नहीं होता है। जिला मलेरिया के अधिकारी द्वारा पीड़ित का इलाज किया गया। ऐसे में अधूरा छिड़काव से कालाजार का उन्मूलन होना संभव नहीं है।
बालू मक्खी के काटने से होता है कालाजार
कालाजार की बीमारी बालू मक्खी के काटने से होती है। यह मक्खी तीन फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती है। खासकर नमी वाले क्षेत्रों में बालू मक्खी पाई जाती है। कालाजार से बचाव के लिए लोगों को विभाग द्वारा जागरूक भी नहीं किया जाता। उधर, जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल का कहना है कि कालाजार की दवा उपलब्ध है।
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कोट :
समय पर राशि मिले तो कालाजार निरोधी दवा का छिड़काव भी समय पर होगा। लोगों द्वारा छिड़काव का विरोध भी किया जाता है।
डॉ. मोदनाथ सिंह ठाकुर, जिला मलेरिया पदाधिकारी