एक फार्मासिस्ट की डिग्री पर चल रहीं कई दवा दुकानें
एक फार्मासिस्ट की डिग्री पर शहर में कई दवा दुकानें चल रहीं हैं।
भागलपुर [अशोक अनंत]
एक फार्मासिस्ट की डिग्री पर शहर में कई दवा दुकानें चल रहीं हैं। इसके लिए उन्हें प्रति दुकान एक से डेढ़ हजार रुपये बतौर वेतन दिया जाता है। ड्रग इंस्पेक्टर की जांच में फार्मासिस्ट का दुकानों पर ना मिलना इसका प्रमाण है। पूछे जाने पर दुकानदार फार्मासिस्ट के इधर-उधर जाने की बात कह उन्हें बरगलाने की कोशिश करते हैं। बात बन गई तो ठीक नहीं तो उन्हें फोन कर बुला लिया जाता है। दुकानदार और फार्मासिस्ट का यह खेल लंबे समय से चलता आ रहा है। भागलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने बताया कि अगर सरकार कार्रवाई करे तो जिले की 90 फीसद दवा दुकानें बंद हो जाएंगी।
फर्मासिस्ट ऑनलाईन करने पर दुकानदारों की बेचैनी बढ़ी
अन्य राज्यों की तर्ज पर बिहार सरकार ने भी दवा दुकानदारों को फर्मासिस्ट को ऑन लाइन करने, बैंक और चेक द्वारा वेतन भुगतान करने का फरमान जारी किया है। साथ ही फर्मासिस्ट को कम से कम 12 हजार रुपये वेतन देने का निर्देश दिया है। इससे दवा दुकानदारों की बेचैनी बढ़ गई है। क्योंकि यहां तो एक फर्मासिस्ट कई दुकानदारों को अपना लाइसेंस भाड़े पर दिए हुए हैं। ऑनलाइन होने से वे एक ही दुकान को अपनी सेवा दे सकेंगे। इससे फार्मासिस्ट और दवा दुकानदार दोनों को नुकसान होगा।
नहीं लिए जा रहे नए आवेदन
नई दवा दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन देने पर सरकार ने रोक लगा दी है। प्रतिदिन तीन-चार आवेदनकर्ता को कार्यालय से लौटाया जा रहा है। जबतक दवा दुकानदार फार्मासिस्ट को ऑनलाइन नहीं करेंगे तब तक यह रोक लगी रहेगी।
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क्यों जरूरत होती है फार्मासिस्ट की
दवा दुकान का लाइसेंस लेने के लिए फार्मासिस्ट के रजिस्ट्रेशन नंबर और उनके फोटो की जरूरत होती है। उनकी सदेह उपस्थिति भी अनिवार्य है। इसलिए दवा दुकानदार फार्मासिस्ट को सिर आंखों पर रखते हैं।
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कोट :-
राज्य में सात हजार फार्मासिस्ट हैं। अगर सरकार फार्मासिस्ट के नाम पर कार्रवाई करेगी तो जिले के 90 फीसद दवा दुकानें बंद हो जाएंगी। एक फार्मासिस्ट कई दुकानों में पार्ट टाइम कार्य करता है।
- घनश्याम कोटरीवाल, अध्यक्ष, भागलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन।