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सात सौ एचआइवी पीड़ितों ने छोड़ी दवा

आर्थिक अभाव के कारण जिले के सात सौ एचआइवी मरीजों ने दवा खानी छोड़ दी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों की सुध नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 01:50 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 01:50 AM (IST)
सात सौ एचआइवी पीड़ितों ने छोड़ी दवा
सात सौ एचआइवी पीड़ितों ने छोड़ी दवा

भागलपुर। आर्थिक अभाव के कारण जिले के सात सौ एचआइवी मरीजों ने दवा खानी छोड़ दी है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ऐसे लोगों की सुध नहीं ले रहा है। ये पीड़ित दो-चार दिन नहीं बल्कि पिछले तीन वर्ष से दवा लेने नहीं आ रहे हैं। 2008 से लेकर फरवरी 2017 तक जिले में 413 एचआइवी पीड़ितों की मौत हो चुकी है।

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जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के एंटी वायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर में एचआइवी पीड़ितों को दवा दी जाती है। लेकिन पिछले तीन वर्षो से मरीज दवा लेने के लिए सेंटर नहीं आ रहे हैं। स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग को इन एचआइवी पीड़ितों की चिंता नहीं हैं। विभाग के पास तो आंकड़े भी नहीं हैं कि इनमें से कितने एचआइवी पीड़ितों की मौत हो चुकी हैं। अगर वे जिंदा भी हैं तो उनकी स्थिति कैसी है? इन एचआइवी पीड़ितों को ढूंढने के लिए एक संस्था को जिम्मा दिया गया।

एचआइवी पीड़ितों के लिए प्रतिदिन दवा खाना अनिवार्य है ताकि जबतक उनका जीवन है तबतक वे आराम से जिंदगी गुजार सकें। लेकिन आर्थिक अभाव व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण मरीजों का इलाज भगवान भरोसे है।

इन प्रखंडों के मरीज नहीं आ रहे दवा लेने

पीरपैंती, नवगछिया, सुलतानगंज, कहलगांव, गौराडीह, नाथनगर आदि प्रखंडों के एचआइवी पीड़ित दवा लेने नहीं आ रहे हैं।

नेको संचालित करता है एआरटी सेंटर

नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नेको) द्वारा जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में वर्ष 2008 में एआरटी सेंटर प्रारंभ किया गया था। भागलपुर समेत पूर्वी बिहार के कई जिलों के मरीजों का इलाज और दवा दी जाती है। एचआइवी मरीजों को पहली बार 15 दिनों की दवा दी जाती है, फिर एक माह की दवा दी जाती है।

पीड़ितों को नहीं मिल रही राशि

एचआइवी पीड़ितों को 2015 से सरकार ने 14 सौ रुपये देने का निर्णय लिया था। इसके लिए राशि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा दी जानी है। लेकिन अभी तक मात्र पांच पीड़ितों को ही राशि दी गई है।

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कोट

करीब सात सौ ऐसे एचआइवी मरीज हैं जो दवा खाना छोड़ चुके हैं। उनकी सूची बनाई जा रही है। उन्हें आधार कार्ड से भी जोड़ना है।

डॉ. विनय कृष्ण, प्रभारी, एआरटी सेंटर

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केस स्टडी एक

पति की मौत हो गई। पैसे के अभाव में दवा लेने नहीं जा रही हूं। जो होना है होगा। मैं क्या कर सकती हूं। एक दिन मजदूरी नहीं करूंगी तो खाऊंगी क्या।

एचआइवी पीड़ित महिला, पीरपैंती

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केस स्टडी दो

पति बाहर कमाने गया है। दो वर्ष से पैसे नहीं भेज रहा है। ससुर मजदूरी करते हैं। पैसे के अभाव में भागलपुर जाना संभव नहीं है।

एचआइवी पीड़ित महिला, कहलगांव


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