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20 मार्च को रद होगी पूर्व मंत्री तोमर की डिग्री, राजभवन ने दे दी हरी झंडी

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर के मामले में राजभवन ने 20 मार्च को सीनेट बुलाने का फैसला लिया है। बैठक में ताेमर की डिग्री रद्द कर दी जायेगी।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Thu, 23 Feb 2017 12:26 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2017 10:20 PM (IST)
20 मार्च को रद होगी पूर्व मंत्री तोमर की डिग्री, राजभवन ने दे दी हरी झंडी
20 मार्च को रद होगी पूर्व मंत्री तोमर की डिग्री, राजभवन ने दे दी हरी झंडी

भागलपुर [जेएनएन]। दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री रद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राजभवन ने इस संबंध में अनुमति देते हुए सीनेट की बैठक बुलाने का आदेश दिया है। ऐसे में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने 20 मार्च को सीनेट की बैठक बुलाने का निर्णय लिया है, जिसमें तोमर की डिग्री रद कर दी जाएगी।

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बता दें कि बीते दो फरवरी को विवि की सिंडिकेट की बैठक हुई थी। जिसमें तोमर की डिग्री रद करने की अनुशंसा करते हुए मामले को सीनेट भेज दिया गया था। सीनेट ने इसे राजभवन को अग्रसारित कर दिया था। जिस पर राजभवन ने विवि प्रबंधन को सीनेट की बैठक बुलाकर तोमर की डिग्री रद करने के लिए हरी झंडी दे दी है।

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उधर, तोमर की लॉ की डिग्री मामले में दिल्ली पुलिस ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के 15 पूर्व व वर्तमान शिक्षकों व कर्मियों के अलावा विश्वनाथ सिंह विधि महाविद्यालय के अधिकारियों पर बुधवार को भी चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अगले एक-दो दिनों में चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी। कागजातों को और भी मजबूत और दुरुस्त किया जा रहा है।

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ये है मामला

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। लेकिन मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि तिमांभाविवि के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी। डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के थे। उन्होंने अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया था। दोनों विवि पूर्व में ही इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर चुके हैं।

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