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कफ सीरप की जगह बिक रहा गुड़ का घोल

जिले में नकली दवाओं का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। शहरी हो या ग्रामीण, सभी जगह नकली दवाएं आसानी से खपाई जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 02:36 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 02:36 AM (IST)
कफ सीरप की जगह बिक रहा गुड़ का घोल
कफ सीरप की जगह बिक रहा गुड़ का घोल

भागलपुर। जिले में नकली दवाओं का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। शहरी हो या ग्रामीण, सभी जगह नकली दवाएं आसानी से खपाई जा रही हैं। आलम यह है कि कफ सीरप के नाम पर गुड़ का घोल बेचा जा रहा है। वहीं टेबलेट व इंजेक्शन भी नकली बेचे जा रहे हैं। लेकिन औषधि विभाग सबकुछ जानते हुए अनजान बना हुआ है।

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नकली दवाओं के कारोबारियों पर ऐसे लोग निशाने पर हैं जो कम पढ़े-लिखे हैं। ऐसे लोगों में जानकारी न होने की वजह से दुकानदार उन्हें आसानी से नकली दवाएं पकड़ा देते हैं। हालांकि यह धंधा हाल फिलहाल से नहीं चल रहा है बल्कि यह वर्षो से जारी है।

शहर में मिली थी भारी मात्रा में नकली दवाएं व रैपर

15 वर्ष पूर्व शहर के मोजाहिदपुर थाना अंतर्गत एक घर से बड़ी मात्रा में ब्रांडेड कंपनियों के रैपर के अलावा नकली कफ सीरप बनाने की सामग्री के साथ कई लोग गिरफ्तार किए गए थे। दरअसल, मोजाहिदपुर थाने में रसोई गैस सिलेंडर चोरी होने की प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। मामले में जब पुलिस ने एक घर में छापेमारी की तो वहां कफ सीरप बनाते हुए कई लोग गिरफ्तार किए गए थे। साथ ही घर में ब्रांडेड दवा कंपनियों के तकरीबन चार सौ रैपर, जिसमें जेंटामाइसीन, कफ सीरप और कई इंजेक्शन के रैपर, खाली बोतल आदि बरामद किए गए थे। इसके अलावा मुंदीचक, मिरजानहाट में भी ब्रांडेड दवा कंपनियों के रैपर बरामद किए गए थे।

बेचने वाले दुकानदार ने कर दिया था इन्कार

पीरपैंती के गौतम पांडेय ने बताया कि उन्होंने दो माह पूर्व दवा दुकान से कफ सीरप खरीदा, लेकिन उसमें गुड़ और पानी का स्वाद मिला। डॉक्टर को दिखाया तो उसने कहा कि यह नकली। फिर डॉक्टर ने दूसरी जगह से कफ सीरप लेने को कहा। चूंकि दवा खरीदने के बाद रसीद नहीं ली थी, इसलिए दुकानदार ने इस बात से साफ इन्कार कर दिया कि उसने वह सीरप बेचा था।

एक्सपायरी दवाओं का भी हो रहा बड़े पैमाने पर खेल

जिले में एक्सपायरी दवाओं का भी बड़े पैमाने पर बेचने का खेल चल रहा है। दुकानदार थोक भाव में 20 से 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एक्सपायरी दवाएं खरीदकर बेच रहे हैं। दवाओं के रैपर पर ही दवा की कीमत अंकित रहती है। लेकिन कई दवा दुकानों में अलग से एमआरपी का रैपर लगाकर दवा की कीमत ग्राहकों से ज्यादा वसूली जाती है।

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कोट

दस दवा दुकानों में छापेमारी करने के बाद एक्सपायरी दवाएं मिली थीं। ऐसे दुकानदारों पर प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। ब्रांडेड कंपनियों के रैपर भी मिले हैं। शहर में नकली दवा बिक्री की सूचना नहीं है। यदि ऐसा है तो कार्रवाई की जाएगी

जितेंद्र कुमार, औषधि निरीक्षक


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