डंपिंग जोन के लिए जमीन तलाशने में छूट रहा पसीना
भागलपुर । शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या बढ़ती जा रही है। डंपिंग जोन की व्यवस्था नहीं ह
भागलपुर । शहर में कूड़ा निस्तारण की समस्या बढ़ती जा रही है। डंपिंग जोन की व्यवस्था नहीं होने से शहर की सड़कें व नदियों के तट कूड़े के ढेर में तब्दील होने लगे हैं। इससे शहर की आबोहवा अब दूषित होने लगी है। ऐसे में इन रास्तों से गुजरने के बाद राहगीरों को परेशानी हो रही है।
नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव ने डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन की तलाश करने की जिम्मेवारी जिलाधिकारी को दे रखी है। लेकिन बीते चार वर्ष में जिला प्रशासन द्वारा डंपिंग ग्राउंड उपलब्ध नहीं करा सका है। टालमटोल की स्थिति में कभी नवगछिया एसडीओ को जगह देने का फरमान जारी किया जाता है तो कभी नाथनगर, जगदीशपुर व सबौर के सीओ को निर्देश जारी किया जाता है। नाथनगर के दिग्घी पोखर में सीओ द्वारा एनओसी मिलने के बाद स्थानीय लोगों का विरोध होने पर मामला टल गया। वहीं गोराडीह प्रखंड में भूमि देने के लिए कुछ लोग तैयार भी हुए, लेकिन वहां भी विरोध आडे़ आ गया। कुछ माह पूर्व डीएम के निर्देश पर नवगछिया एसडीओ के साथ नगर आयुक्त ने खरीक में जगह देखी थी। लेकिन विक्रमशिला पुल पर जाम की समस्या को देखते हुए यह भी व्यवस्था उपयुक्त साबित नहीं हो पाई। डीएम के निर्देश पर जगदीशपुर सीओ ने डंपिंग ग्राउंड के जायजा लिया था। कनकैथी में जमीन देने की योजना भी तैयार की गई, लेकिन वहां पूर्व से ही प्रस्तावित पावर ग्रिड निर्माण को लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जबकि डंपिंग ग्राउंड के लिए नगर निगम को दो एकड़ भूमि चाहिए। जगदीशपुर सीओ का कहना है कि अंचल क्षेत्र में इतनी जमीन कहीं नहीं है। ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन खोजने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी को स्वच्छ व सुंदर बनाने की योजना साकार होती नहीं दिया रही है।
मंत्री की घोषणा का असर नहीं :
नगर विकास मंत्री महेश्वर हजारी ने भागलपुर में समीक्षा बैठक में कूड़ा निस्तारण की समस्या को दूर करने के लिए 25 एकड़ तक भूमि उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि शहर के आसपास कहीं भी भूमि की तलाश करें। भू-अर्जन विभाग जमीन को खरीदेगा। इसका भुगतान भी नगर विकास विभाग करेगा। लेकिन इसके बावजूद अमल नहीं हो पाया है।