Move to Jagran APP

पांव तले कंकड़, फिर भी जुबां पर भोले शंकर

कांवरिया पथ से [नवनीत मिश्र] मन में बाबा वैद्यनाथ के प्रति असीम आस्था। शरीर पर गेरूआ वस्त्र और

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 03:29 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 03:29 AM (IST)
पांव तले कंकड़, फिर भी जुबां पर भोले शंकर

कांवरिया पथ से [नवनीत मिश्र]

loksabha election banner

मन में बाबा वैद्यनाथ के प्रति असीम आस्था। शरीर पर गेरूआ वस्त्र और कांधे पर लचकती कांवर। पग-पग पर पांव तले कंकड़ फिर जुबां पर सिर्फ भोले शंकर। जी हां, आस्था के इस महाकुंभ में कांवरिया बाबा नाम केवलम को ही अपना लक्ष्य बना चुके हैं। उनके समक्ष राह में आने वाली हर बाधा, बाबा नाम के आगे काफूर हो जा रही है। सुल्तानगंज स्थित अगबीनाथ धाम से प्रतिदिन शिव भक्तों का जत्था यही संदेश दे रहा है। बुधवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सुल्तानगंज से जलभर कर बाबा वैद्यनाथ नगरी के लिए रवाना हुआ। श्रद्धालुओं में भक्ति व उत्साह देखते ही बन रहा था।

दरअसल, देवों के देव महादेव को प्रिय सावन माह उनके पावन धाम अजगवीनाथ के लिए किसी पर्व-उत्सव से कम नहीं। नित सुबह गंगा स्नान, बाबा का जलाभिषेक व अजगवीनाथ धाम के फेरे बाबा के मिजाज से मेल खाते रेशमी मन का मास पर्यत अनुष्ठान ठहरा लेकिन इस धाम की माटी सिर लगाए और श्रद्धा के सागर में गोते लगाने वाले कांवरियों का रेला उमड़ रहा है।

देश के कोने-कोने से उमड़ रहा भक्तों का हुजूम :

बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम, मेघालय, उड़ीसा, नेपाल तक से हजारों लाखों का जत्था खींचा चला आ रहा है। केशरिया परिधान, कांधे पर कांवर और नंगे पांव पूरे नगर की परिक्रमा कर श्रद्धालु धन्य हो रहे हैं। यह तो ठहरे बाबा भक्तों की श्रद्धा के भाव लेकिन गड्ढे में तब्दील धर्म नगरी की सड़कों पर बेतरतीब पसरा मल-जल आस्था पर चोट पहुंचा रहा है। हर ओर बिखरी गिट्टी-कंकड़ श्रद्धालुओं के पांव को लहूलुहान कर रहे हैं।

बुलंद हौसले से आगे बढ़ रहे कांवरिया :

कलेजे में टीस सी उठा रहा प्रशासन के निकम्मेपन का यह जीता-जागता उदाहरण कहा जा सकता है पर सनातन धर्म के संस्कारों की जमीन पर पला बढ़ा बाबा भक्तों का दल बिना उफ किए आबाद हौसले से अपने ठांव को आगे बढ़ता जा रहा है। बोल बम व हर-हर महादेव के जयघोष से इस छोर से उस ओर तक चहुंदिशाओं में गूंज रहा है। शिवमय हुआ भक्तों का जत्था भले कुछ न बोलें लेकिन उत्सव के पूरे एक माह के दौरान धर्म नगरी में सड़कों का यह हाल पूरी व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।

प्रवेश द्वार से ही दुश्वारियों का अंबार :

नगर में प्रवेश करने के चार मार्ग है। लेकिन चारों ओर दुश्वारियों का अंबार ही मिलेगा। देवघर से होते भागलपुर-सुल्तानगंज मार्ग हो या देवघर-सुल्तानगंज रोड या मुंगेर से आने वाले सुल्तानगंज रोड गड्ढों में तब्दील है। सुल्तानगंज में सड़कों पर भी गिट्टियां बिखरी पड़ी हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं की यात्रा कष्टदायक साबित हो रही है।

बाबा के प्रति आस्था भर रही श्रद्धालुओं में जोश :

कांवरिया पथ पर दिख रही आस्था और सिर्फ आस्था। सुल्तानगंज से कुमरसार तक पूरा कांवरिया पथ केशरिया रंग में रंगा नजर आ रहा है। केशरिया वस्त्र पहने भोले के भक्त बोल बम का जयघोष करते हुए उत्साह के साथ बाबा नगरी की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। फूल-मालाओं से सजी कांवर बाबा भोलेनाथ की भक्ति की डोर में अपने को बांध रखा है। कांवरिया पथ पर जहां रंग व जाति के साथ अमीरी-गरीबी का भी भेद-भाव खत्म हो गया है। वहीं उम्र की सीमा भी आड़े नहीं आ रही हैं।

एकरूपता का संदेश दे रहा भक्तों का रेला :

वहीं, लघु भारत की तस्वीर भी कांवरिया पथ पर जीवंत हो उठी है। पूर्वी, पश्चिमी, उत्तर और दक्षिण भारत के कांवरिया एक साथ बोलबम का जयघोष करते नजर आते हैं। एकरूपता का ऐसा संदेश शायद ही कही कही देखने को मिलता हो। कई ऐसे कांवरिया संघ हैं जिनके साथ कीर्तन मंडली भी चल रही है। ऐसे कांवरिया रात में जहां विश्राम करते हैं वहीं पर वे कीर्तन मंडली द्वारा भजनों की श्रृंखला से ईश्वरीय आस्था जगाते हैं।

पग-पग पर गूंज रहे लोक गीत व जयघोष :

संपूर्ण कांवरिया पथ बाबा भोलेनाथ भक्ति में तल्लीन हो गया है। बाबा भोले से जुड़े लोकगीत व नारों से पूरा पथ गुंजायमान हो रहा है। समूचे पथ में भक्ति रस की बयार बह रही है। राहगीर भी इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए मजबूर हो जाते हैं। कांवरियों की यात्रा में समय एवं वातावरण काफी अहम भूमिका निभाते हैं। आसमान में अगर बादल छाया हो तथा रिमझिम फुहारों वाली वर्षा होने पर कांवरियों की चाल मस्तानी हो जाती है। ऐसे में वे ज्यादा दूरी नापते हैं। लेकिन धूप रहने की स्थिति में यात्रा रूक-रूक कर करनी पड़ती है।

श्रद्धालुओं ने बोल बम को बनाया यात्रा का मूल मंत्र :

तलवा गर्म हो जाने के कारण पैरों में फफोले भी हो जा रहे हैं। जिससें चलने में काफी कठिनाई होती है। वैसे कांवरिया बोलबम की मंत्र को ही अपनी ताकत बना यात्रा पूरी कर रहे हैं। कांवर यात्रा में सभी प्रकार के भेदभाव मिट गए हैं। बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला व पुरुष सभी एक दूसरे के पूरक बनकर आगे बढ़ते रहने की प्ररेणा देते हुए कांवरिया बाबा नगरी की ओर कूच कर रहे हैं।

कांवरियों के जत्थे में दिख रही बाबा वैद्यनाथ की ताकत :

आरुफगंज पटना सिटी के 350 की संख्या में कांवरियों का एक जत्था कांवर यात्रा पर निकला है। जिनके पास 51 फीट लंबी एक कांवर है। 51 फीट का यह लंबी कांवर पूरे मार्ग में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जिनमें एक बार में 15 से 20 कांवरिया कांवर को कंधे पर लेकर चलते हैं। श्री श्री विशाल शिवधारी कांवर संघ द्वारा ये यात्रा प्रतिवर्ष की जाती है। विनोद कुमार, शिवधारी, पिंटू, चंदन, बिट्टू, राजू, विजय आदि ने बताया कि यह सिलसिला 2001 से लगातार जारी है, यह तबतक जारी रहेगा जब तक बाबा भोलेनाथ ताकत देते रहेंगे। इसी तरह उनके दरबार में संघ के कांवरियों की हाजिरी लगती रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.