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बागबाड़ी में अभी कुछ भी नहीं धरातल पर

भागलपुर । बागबाड़ी में व्यापारियों को पहुंचाना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। प्रशासन ने दाव

By Edited By: Published: Wed, 27 Jul 2016 02:58 AM (IST)Updated: Wed, 27 Jul 2016 02:58 AM (IST)
बागबाड़ी में अभी कुछ भी नहीं धरातल पर

भागलपुर । बागबाड़ी में व्यापारियों को पहुंचाना जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। प्रशासन ने दावा किया है कि 15 अगस्त तक वहां सबकुछ ठीक हो जाएगा। पर वहां अभी तक धरातल पर कुछ भी नहीं है। प्रशासन की पहल का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिन व्यापारियों ने वहां पर व्यापार के लिए उम्मीद तलाशी और आवेदन दिया। उन्हें यह तक पता नहीं उनके आवेदन पर प्रशासन क्या करेगा? उन्हें यह भी पता नहीं है कि उन्हें खाली जमीन मिलेगी या दुकान। यदि दुकान भी मिलेगी तो उसकी लंबाई और चौड़ाई क्या होगी।

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ऐसे कई सवाल व्यापारियों के मन है लेकिन इसका समाधान करने के लिए कोई नहीं है। बस, घोषणाएं हो रही है। बागबाड़ी में दुकान चलाने वाले को प्रधानमंत्री अमृत योजना के तहत पचास हजार का ऋण मिलेगा। जिससे वे व्यवसाय कर सकते हैं। सवाल उठता है व्यवसाय खुले आकाश के नीचे करेंगे या कोई दुकान मुहैया कराई जाएगी।

बागबाड़ी में टूटेफूटे शेड, जर्जर दुकानें जो बाजार समिति के समाप्त होने के बाद से बंद पड़ी है। फिलहाल, इलाके के आम बेचने वाले किसान खुले शेड के नीचे आम का व्यापार कर रहे हैं। दो वर्ष पहले तक उन्हें व्यापार करने के लिए जिला प्रशासन जगह आवंटित करता रहा। स्थिति खराब होने पर प्रशासन ने आवंटन बंद कर दिया और खुले आकाश के नीचे व्यवसाय करने की छूट दे दी। पर सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं की। बागबाड़ी में एक पुलिस द्वारा जब्त की हुई बस का ढांचा खड़ा है। जिससे यह अहसास हो रहा है कि पुलिस कहीं आसपास तो हैं लेकिन वह सुरक्षा को लेकर सजग नहीं है।

आम के कारोबारी प्रेमदास कहते हैं रात में यदि खुद आम की सुरक्षा न की जाए तो एक भी आम नहीं बचेगा। रात में इलाके के ही चोर आते हैं पूरी टोकरी उठा लेते हैं। हम सभी रखवाली न करें तो पूरी आमदनी ही चली जाएगी। पुलिस का भय अपराधियों में नहीं है। जब तक यहां पूरी पुख्ता व्यवस्था नहीं होगी तब तक कोई व्यापारी यहां नहीं आएगा।

व्यापारी विकास साह कहते हैं कि जब बाजार समिति बंद हुई थी उस समय यहां के फल व्यापारियों को सुरक्षा नहीं मिली तो वे गिरधारी साह हटिया चले गए। धीरे-धीरे बाकी व्यवसाई भी चले गए। यहां पर हमारी भी दुकान थी। जिसकी रशीद भी कटती थी। अब कुछ भी नहीं बचा। कोई भी देखने वाला नहीं है। बस ढांचा खड़ा है।

कई वर्षो के बाद फिर जिला प्रशासन की तंद्रा टूटी। अभी तक केवल आवेदन लिया गया है बाकी कुछ भी नहीं हो रहा है। कुछ लोग रस्सी लेकर नापी कर रहे हैं लेकिन क्या नाप रहे हैं यह किसी को पता नहीं। प्रशासन के लोग कह रहे हैं कि बाहर के व्यापारी आएंगे और व्यापार करेंगे। यह प्रयोग इस इलाके में बस स्टैण्ड लाकर भी किया गया था। लेकिन वह सफल नहीं हुआ। बाद में प्रशासन ने खुद बस स्टैण्ड दूसरी जगह कर लिया। किसी ने इस ओर नहीं देखा।

बागबाड़ी के पास रहने वाले नसीम कहते हैं कि अखबार में लगातार सूचना आ रही है कि बागबाड़ी फिर चमन होगा। लेकिन जो गति दिख रही है उससे लग रहा है कि फिलहाल कुछ भी नहीं होगा। अभी प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया है। कोई हंगामा न हो इसलिए इस तरह की बयानबाजी हो रही है। यदि सचमुच यहां व्यापारियों को लाए जाने की योजना होती तो प्रशासन की गतिविधियां जरूर दिखती।


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