विधानसभा चुनाव : पोस्टर वार वाया ऑटो रिक्शा
ऑटो पर प्रचार पोस्टर मामले में भागलपुर की सड़कों पर चल रहे कुछ ऑटो बरबस ध्यान खींच लेते हैं। कुछ ऑटो पर भाजपा के प्रचार पोस्टर हैं तो कुछ पर कांग्रेस के। यह चुनाव प्रचार का दिल्ली स्टाइल है।
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्र]। भागलपुर की सड़कों पर चल रहे कुछ ऑटो बरबस ध्यान खींच लेते हैं। कुछ ऑटो पर भाजपा के प्रचार पोस्टर हैं तो कुछ पर कांग्रेस के। यह चुनाव प्रचार का दिल्ली स्टाइल है, सो चर्चा में आ चुका है।
पूर्व बिहार, कोसी व सीमांचल के इलाकों की बात करें तो इसकी शुरुआत भागलपुर से की गई है। यहां करीब पांच हजार ऑटो सड़कों पर दौड़ते हैं। महज संयोग कहें कि दिल्ली अपने-आप में देश का स्मार्ट सिटी है और भागलपुर स्मार्ट सिटी बनाए जाने की दौड़ में बिहार में पहले स्थान पर आया है।
हालांकि, ऑटो पर प्रचार पोस्टर मामले में दिल्ली और बिहार का अंतर यह है कि वहां आम आदमी पार्टी इसे चुनाव प्रचार का बेजोड़ हथियार बनाने में अग्रणी रही थी और यहां पर इस प्रयोग को दोहराने में भाजपा ने शुरुआती बढ़त हासिल की है। आम आदमी पार्टी से प्रभावित जदयू प्रचार के इस माध्यम को अपनाने में फिलहाल पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है।
भागलपुर में भाजपा की ओर से इसकी शुरुआत डिप्टी मेयर प्रीति शेखर ने की। इसके बाद पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर भी प्रचार के इस माध्यम को अपनाया गया है। इसी बीच कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा भी इस ऑटो प्रचार माध्यम में कूद गए हैं।
भाजपा के अधिकृत प्रचार पोस्टर में इकलौती तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है जो जिले के ऑटो रूट पर सवाल दाग रही है- अपराध, भ्रष्टाचार और अहंकार, क्या इस गठबंधन से बढ़ेगा बिहार? डिप्टी मेयर और विधायक के ऑटो पोस्टर वार में भागलपुर के विकास के सपने दिखाए गए हैं।
डिप्टी मेयर ने अपने पोस्टर में नरेंद्र मोदी से लेकर प्रदेश और स्थानीय बड़े नेताओं की छोटी-बड़ी तस्वीरों को खुद की बड़ी तस्वीर के ऊपर रखा है। विधायक ने अपने पोस्टर में अपनी बड़ी तस्वीर के बगल में कंधे के ऊपर सोनिया गांधी और राहुल गांधी को स्थान दिया है।
इसमें प्रदेश से लेकर स्थानीय नेताओं को कोई जगह नहीं मिली है। इसे विधायक के विरोधी हवा दे रहे हैं। हालांकि, विधायक शर्मा कहते हैं कि ऑटो पर लगने वाले पोस्टर की साइज सड़कों पर लगने वाले होर्डिंग्स के मुकाबले बहुत छोटी होती है। पोस्टर में उन्होंने एक साल के कार्यकाल और भविष्य की योजना से जुड़े स्लोगन मोटे अक्षर में लिखे हैं, इसलिए सभी नेताओं की तस्वीर नहीं लगी। बाकी, सड़कों पर जो होर्डिंग्स लगे हैं उनमें सभी नेताओं के फोटो हैं।
बहरहाल, भाजपा के अधिकृत प्रचार पोस्टर को छोड़ दें तो निजी तौर पर किए जा रहे प्रचार संभावित दावेदारों की कुलबुलाहट मानी जा रही है। ऐसे दावेदार संभवत: पार्टी को भी संदेश दे रहे हैं कि वे चुनाव लडऩे की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। जाहिर है कि अभी न तो भाजपा का टिकट तय है और न ही कांग्रेस का।
कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होगी यह लगभग पक्का है, पर महागठबंधन से भागलपुर सीट को लेकर जदयू को भी उत्सुक बताया जा रहा है। यद्यपि, बीते उपचुनाव में महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने जीत दर्ज की थी। पर, वर्तमान में यह चर्चा है कि जदयू के सर्वे में बताया गया है कि विधायक का जनता में विरोध है, सो यह सीट खतरे में है। यदि इस सीट पर पार्टी मुख्यमंत्री के करीबी रहे शिक्षाविद को मौका देती है तो परिणाम पक्ष में आ सकता है।
भाजपा के केंद्रीय योजना का हिस्सा
भाजपा के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ऑटो पर प्रचार भाजपा की केंद्रीय योजना का हिस्सा है। सिर्फ ऑटो ही नहीं, प्रचार की सारी सामग्री प्रदेश की ओर से मुहैया कराई जा रही है। होर्डिंग्स, बैनर या ऑटो पर प्रचार के लिए पार्टी ने एजेंसी से अनुबंध कर रखा है। इस दायित्व से पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता मुक्त हैं। स्थानीय स्तर पर किसी को जानकारी नहीं है कि पोस्टर कौन लगवा रहा है और किस ऑटो वाले ने कितना पैसा लिया है। हां, प्रदेश स्तर के अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि भागलपुर के बाद कोसी और सीमांचल में भी ऐसे प्रयोग जल्द किए जाएंगे। जबकि डिप्टी मेयर ने बताया कि ऑटो वालों ने स्वेच्छा से उनका पोस्टर लगाया है।
विधायक ने कार्यकर्ताओं को दिया है जिम्मा
विधायक अजीत शर्मा ने बताया कि इस तरह प्रचार के जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं के दे रखा है। आने वाले दिनों में वे इसका दायरा और बढ़ाएंगे और शहर के रिक्शा में भी प्रचार पोस्टर लगाएंगे।
सभी पार्टियां हैं उत्सुक
ऑटो चालक मालिक संघ के अध्यक्ष संतोष कुमार पांडेय ने बताया कि इस बार तकरीबन सभी दल ऑटो पर अपना प्रचार पोस्टर लगाने को उत्सुक हैं। भाजपा और कांग्रेस विधायक के पोस्टर तो ऑटो पर दिखने लगे हैं। हालांकि, हजारों ऑटो अभी खाली हैं।
जदयू के लोगों ने भी संपर्क किया है। उन्हें कहा गया है कि पोस्टर बनवाकर लाएं। संघ के स्तर से किसी खास पार्टी के लिए किसी ऑटो पर पोस्टर लगाने के लिए दबाव नहीं दिया जाएगा। अभी जानकारी यह मिली है कि ऑटो चालकों से निजी तौर पर संपर्क कर पार्टियों ने पोस्टर लगाए गए हैं और इसके लिए चालकों को प्रति पोस्टर 50 रुपये पेमेंट किया गया है।