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श्रद्धांजलि : थम गई चंपा बहन की आवाज, आकाशवाणी भागलपुर में शोक

अब आकाशवाणी से उनकी मधुरआवाज सुनने को नहीं मिलेगी। ग्रामजगत खेती गृहस्थी कार्यक्रम में विरजू भाई व चंपा बहन की जोड़ी श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय थी। गुरुवार को उनका निधन हो गया।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 05:11 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 05:11 PM (IST)
श्रद्धांजलि : थम गई चंपा बहन की आवाज, आकाशवाणी भागलपुर में शोक
श्रद्धांजलि : थम गई चंपा बहन की आवाज, आकाशवाणी भागलपुर में शोक

भागलपुर (दिलीप कुमार शुक्ला) । 'आरु सब्भै क चम्पा के नमस्कार...' के साथ आकाशवाणी भागलपुर से प्रतिदिन प्रसारित ग्रामजगत खेती गृहस्थी कार्यक्रम का आगाज करने वाली चंपा बहन अलविदा हो गईं। अब आकाशवाणी से उनकी मधुरआवाज सुनने को नहीं मिलेगी। ग्रामजगत खेती गृहस्थी कार्यक्रम में विरजू भाई और चंपा बहन की जोड़ी श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय थी। हर तबके के लोग इन दोनों को सुनने के लिए रेडियो पर जमे रहते थे। विरजू भाई यानी डॉ. विजय कुमार मिश्र और चंपा बहन यानी सांत्वना साह। सांत्वना साह ने गुरुवार को बेंगलुरू के निजी अस्पताल में आखिरी सांस लीं। निधन की सूचना मिलने पर आकाशवाणी भागलपुर सहित शहर के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, नाटककारों, कवि सहित आम लोग मर्माहत हैं। रेडियो के श्रोताओं ने जैसे ही यह खबर सुनी सभी हतप्रभ रह गए।

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आकाशवाणी भागलपुर में सांत्वना साह 13 दिसंबर 1990 से कार्यरत थीं। हिन्दी के उद्घोषक कम्पीयर के नाते उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। वे आकाशवाणी में ग्रामजगत के अलावा अंग दर्पण, गूंजे बिहार कार्यक्रम भी करतीं थीं। पिछले कुछ समय से वह बीमार थीं। आकाशवाणी से उनका अंतिम कार्यक्रम ग्रामजगत में 9 अप्रैल को हुआ था। सांत्वना साह अप्रैल 2019 में सेवानिवृत होने वाली थीं।

अप्रैल माह से थीं बीमार

10 अप्रैल को सांत्वना साह कोलकाता के एक स्वास्थ्य शिविर में भाग लेने जा रहीं थीं। अपने भतीजे प्रणवीर के साथ ट्रेन पर जाने के क्रम में ही वह काफी बीमार हो गईं। वह पिछले कुछ माह से यादास्त खोने की बीमारी से जूझ रहीं थीं। बीच रास्ते में ट्रेन से उतरकर सांत्वना साह दूसरे डिब्बे में चलीं गईं। इसकी सूचना प्रणवीर ने सांत्वना साह के दोनों पुत्रों को दी। सांत्वना साह के पुत्र सलील ने अपनी मां को कोलकाता से बेंगलुरू लाने को कहा। सांत्वना के दोनों पुत्र सलील और सौरभ बेंगलुरू में कार्यरत हैं। इस बीच सलील कोलकाता आए आ गए और उन्होंने प्रणवीर के साथ अपनी मां को बेंगलुरू ले गए। दोनों पुत्रों ने अपनी मां को वहीं अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सक ने माथे पर ट्यूमर होने की बात कही। ट्यूमर ने कैंसर का रूप ले लिया था। जो चौथे स्टेज में पहुंच गया था।

इसके बाद वहीं अपोलो में उन्हें भर्ती कराया गया। जहां कैंसर सहित ट्यूमर का इलाज किया जा रहा था। वहां उन्हें चार कीमोथेरेपी कराया गया। पांचवां और आखिरी कीमोथेरेपी दिसंबर में होना था। लेकिन इलाज के दौरान ही उनकी मौत बेंगलुरू में अस्पताल में हो गया। यहां बता दें कि आकाशवाणी भागलपुर में कार्य के दौरान ही उन्हें यादास्त खोने की बीमारी होने लगी थी।

लेखिका, कवयित्री, नाटककार और निर्देशक थीं सांत्वना साह
सांत्वना साह बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। उनकी रचित दो पुस्तकें प्रकाशित हुई है। उन्होंने बच्चों के लिए कविता की भी पुस्तक लिखी। वे आकाशवाणी भागलपुर की वरीय नाटककार और लोकगीत गायिका भी थी। लोकगीत रचना करने के अलावा उन्होंने कई कविताएं भी रचीं। रेडियो से प्रसारित होने वाले कई नाटकों के मुख्य पात्र की भूमिका भी उन्होंने निभाईं थीं, जिसे काफी प्रशंसा मिली थी। उन्होंने कई कार्यक्रमों के अलावा कई नाटकों और रूपकों के निर्देशन भी किए थे।


2017 में हो गया था पति का निधन
सांत्वना साह अपने पति शिव शंकर साह के साथ आकाशवाणी के क्वाटर में हीं लंबी अवधि से रहतीं थीं। वहीं से रोज आकाशवाणी आकर काम करतीं थी। उनके पति का निधन 2017 में हो गया। उनके निधन के बाद से ही सांत्वना जी सदमे में चलीं लगीं। आकाशवाणी भी कम आने लगीं। ज्यादातर अवकाश पर रहतीं थीं। उनके इस हाल को देखकर आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ. विजय कुमार मिश्र ने उन्हें काफी समझाया। उन्हें काफी हिम्मत और साहस दी। आकाशवाणी आकर फिर से काम करने के लिए आग्रह किया। तब से वे पुन: आकाशवाणी आने लगीं। लेकिन अपने पति के निधन से बाद से ही वे बीमार होने लगीं थीं। सांत्वना के दोनों पुत्र सलील और सौरभ बेंगलुरू में कार्यरत हैं। उनका ससुराल मुंगेर जिले के असरगंज स्थित मकवा गांव में है। उनका मायके भागलपुर में ही है। मायके परिवार के लोग पटल बाबू रोड में रहते हैं। 

विरजू भाई ने कहा- हमने अपनी चंपा बहन को खो दिया 
सांत्वना साह के निधन से 27 वर्ष 4 माह तक एक साथ आकाशवाणी में काम करने वाले डॉ. विजय कुमार मिश्र काफी मर्माहत हैं। डॉ. विजय ने कहा कि हमने अपनी बहन को खो दिया है। हम लोग जब कार्यक्रम के बाहर भी रहते थे, तो वे मुझे विरजू भाई और हम उन्हें चंपा बहन के नाम से ही पुकारते थे। श्री मिश्र ने कहा कि इतने दिनों का साथ टूटना असहनीय जैसा प्रतीत हो रहा है। आकाशवाणी उनके योगदान को हमेशा याद रखेगी। उन्हें मधुर और कर्णप्रिय आवाज से कार्यक्रम खिल जाता था। कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए उनकी मांग की जाती थी।  वे अंगिका और हिन्दी की अच्छी जानकार थीं। अंगिका का उच्चारण इस अंदाज में करतीं थी कि जैसे खुद ग्रामीण परिवेश में रहीं हों। अंग्रेजी भाषा में भी उनकी अच्छी पकड़ थी। एक आदर्श, अनूठा और अद्वितीय व्यक्तित्व का अाज अंत हो गया। उन्होंने सांत्वना साह के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। यहां बता दें कि आकाशवाणी में विरजू भाई और चंपा बहन की उपस्थिति से वहां गौरवपूर्ण वातावरण का निर्माण हो जाता था। 

सांत्वना साह के निधन पर आकाशवाणी भागलपुर में शोकसभा में शामिल अधिकारी व कर्मी

आकाशवाणी में हुई शोकसभा
सांत्वना साह के निधन पर आकाशवाणी भागलपुर में शोकसभा आयोजित की गई। इस अवसर पर आकाशवाणी परिवार के सभी अधिकारी व कर्मचारी मौजूद थे। सभी ने उनके निधन को आकाशवाणी के लिए काफी क्षति बताया। इस अवसर पर आकाशवाणी के उपनिदेशक अभियंत्रण ब्रजेश कुमार, आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ. विजय कुमार मिश्र, कार्यक्रम अधिशासी मनीष ठाकुर, सचिन कुमार, अमित कुमार, लेखापाल गिरेन्द्र कुमार, पुस्तकाध्यक्ष ब्रह्मदेव मंडल, अभियंत्रण विभाग के पवन वर्मा, गिरिश रविदास, ज्ञानानंद तिवारी, प्रसारण अधिशासी सौरभ कुमार, मो. सरसा के अलावा लेखा विभाग के प्रकाश झा, जितेन्द्र, एसडी गुप्ता आदि मौजूद थे।

गीतकार राजकुमार ने दी श्रद्धांजलि
शोक व्यक्त करते हुए गीतकार राजकुमार ने कहा कि अंगिका में अपनी अलग पहचान रखने वाली कवयित्री सांत्वना साह और आकाशवाणी भागलपुर की चम्पा बहन जो डॉ.विजय कु.मिश्र 'बिरजू भाय' के साथ समर्पित भाव से अंगिका के लालित्य को चतुर्दिक फैलाने वाली का अचानक चला जाना अंग के लिए अपूरणीय क्षति है। ऐसी सौम्य विदूषी कवयित्री को मैं नमित आँखों से अपनी विनम्र श्रद्धांजलि निवेदित करता हूँ। ईश्वर उनकी विदेही आत्मा को शांति प्रदान करेे।

शोक जताया : सांत्वना साह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए स्नात्कोत्तर हिन्दी विभाग के प्रो डॉ बहादूर मिश्र और बिहार अंगिका अकादमी के अध्यक्ष डॉ लखन लाल सिंह आरोही ने कहा कि अंगिका और हिन्दी सहित्य की सुधि रचनाकार थीं सांत्वना साह। उन्होंने अंगिका के उत्थान और प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके आकस्मिक निधन से हिन्दी और अंगिका साहित्य को व्यापक क्षति हुई है। इनके अलावा  डा. तपेश्वर नाथ, डा. राजेन्द्र पंजियार, डा. अमरेन्द्र, कथाकार रंजन, बाबा दिनेश तपन, रामावतार राही, रथेन्द्र विष्णु नन्हें, माधवी चौधरी, महेन्द्र मयंक, अभय भारती, मनोज मिश्र, अमोद कुमार मिश्र, चंद्रकांत पाठक, सत्यनारायण प्रकाश, सुगम कुमार, डॉ मीरा झा, भगवान प्रलय, डॉ मथुरा दूबे, प्यारे हिन्द आदि ने शोक व्यक्त किया है।  
 

शुक्रवार को होगा दाह संस्कार
उनके पुत्र सलिल ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर गुरुवार की देर रात भागलपुर लाया जाएगा। आकाशवाणी भागलपुर के क्वाटर में स्थित सरकारी आवास में उनके पार्थिव शरीर रखा जाएगा। सांत्वना साह यहीं रहतीं थीं। शुक्रवार को उनका दाहसंस्कार सुल्तानगंज घाट पर दो बजे किया जाएगा। 


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