Terror Attack : भागलपुर का एक सैनिक शहीद, पिता बोले-पाक का करो खात्मा, कुर्बानी हम देंगे
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए।
भागलपुर [बलराम मिश्र]। भैया (रतन) ने दोपहर एक बजे भाभी राजनंदनी को कॉल कर श्रीनगर जाने की बात बताई थी। कहा था कि वहां पहुंचकर रात को फोन करेंगे। भैया का फोन तो नहीं आया। रात करीब साढ़े आठ बजे पापा के मोबाइल पर एरिया कमांडर का फोन आया। उन्होंने जैसे ही भैया के शहीद होने की जानकारी देनी चाही, पापा ने फोन मुझे थमा दिया।
फोन करने वाले ने पहले मुझे परिचय पूछा। फिर बताया कि आपके भाई बहुत ही बहादुर थे। आत्मघाती हमले में वे शहीद हो गए। यह सुनते ही मिलन रोने लगा। एरिया कमांडर ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए परिवार को संभालने की बात कही।
शहीद जवान रतन कुमार ठाकुर भागलपुर के अमडंडा इलाके के रतनपुर, मदारगंज निवासी राम निरंजन ठाकुर के पुत्र थे। उनका पूरा परिवार इशाकचक गुमटी नंबर-12 स्थित भट्ठा रोड में गोपाल पासवान के मकान में किराए पर रहता है।
रतन की शादी 2014 में बांका जिले के बौंसी की रहने वाली राजनंदनी से हुई थी। उन्हें तीन साल का बेटा कृष्णा है। बेटा स्टेपिंग स्टोन किड्स प्ले स्कूल में पढ़ता है। राजनंदनी पांच माह की गर्भवती है। रतन विगत जुलाई 2018 में घर आए थे। चार भाई बहनों में वे सबसे बड़े थे। रतन घर में एकलौते कमाने वाले थे।
उनके भाई ने बताया कि भैया 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए। फिलहाल पोस्टिंग श्रीनगर के बंदीपुरा में थी। वह 45वें बटालियन के जवान थे।
इधर, शहीद रतन के पिता राम निरंजन ठाकुर ने कहा कि उन्हें उनके बेटे की शहादत पर गर्व है। देश के लिए उनका एक बेटा शहीद हुआ तो क्या वे दूसरे बेटे को भी देश की सेवा में भेजेंगे। उन्होंने कहा कि आतंकियों ने कायरतापूर्ण कार्य किया है। देश को इसका जवाब देना चाहिए।
कहलगांव में होगा अंतिम संस्कार
रतन का पार्थिव शरीर उनके पैतृक घर कहलगांव के अमडंडा ले जाया जाएगा। वहीं उन्हें अंतिम सलामी दी जाएगी। जिसमें जिले के वरीय अधिकारी शामिल होंगे। रतन का अंतिम संस्कार कहलगांव स्थित गंगा घाट पर होगा। इनका परिवार पिछले एक वर्ष से भागलपुर के लालूचक में रह रहा है। पैतृक गांव जाने से पहले उनके पार्थिव शरीर को भागलपुर भी लाया जा सकता है।
भाई की जगह लेकर आतंकियों से करूंगा देश की रक्षा
रतन के भाई मिलन ने कहा कि वह अब अपने भाई की जगह लेकर आतंकियों से देश की रक्षा करूंगा। इसके लिए वह प्रयासरत है। उसने भी सेना में जाने की ठान ली है। उसने कहा कि भाई के शहीद होने पर दुख तो है। लेकिन गर्व से सीना फूला हुआ है। भाई का बलिदान बेकार नहीं जाएगा। उसने हाल ही में आरपीएफ की परीक्षा दी थी। लेकिन अब उसका अंतिम लक्ष्य सेना में जाना है। ताकि वह अपने भाई के अधूरे कामों को पूरा कर सके। उसने बताया कि जब भी भाई आता तो उसे हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता था। अक्सर वह अपने कार्यों के बारे में उससे बाते शेयर करता था। सेना की बात सुनकर वह भी काफी गौरन्वान्वित महसूस करता था।
एसएसबी कॉलेज से किया था ग्रेजुएशन
भाई के मुताबिक रतन ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कहलगांव से ही की थी। उसने एसएसबी कॉलेज, कहलगांव से स्नातक की परीक्षा पास की थी। वह कॉलेज में एनसीसी में भी शामिल था। एनसीसी के कारण ही उसने शुरू से सेना में जाने की ठान ली थी। तभी 2011 में सेना बहाली में उसने सफलता हासिल कर ली। तब वे इलाके एकलौते सेना में जाने वाले व्यक्ति थे। तब सेना के बारे में इलाके के काफी कम लोगों को जानकारी थी। रतन के सेना में जाने के बाद से लगातार लोग उस ओर जाने लगे। अब काफी संख्या में युवक सेना में भर्ती हो रहे हैं।
रतन की छोटी बहन सोनी है। जो बिहार पुलिस में चयनित होने के बाद बांका स्थित पुलिस लाइन में ट्रेनिंग ले रही है। तीसरे नंबर पर भाई मिलन ठाकुर है। जो सुल्तानगंज स्थित एके गोपालन कॉलेज में ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष का छात्र है। जबकि छोटी बहन नीतू कुमारी भी सीएम कॉलेज बौंसी में ग्रेजुएशन की छात्रा है। इस घटना के बाद रतन का ससुराल बांका जिले के कटेली मोड भी शोक की लहर दौड पडी। उनके श्वसुर कमल ठाकुर बौंसी में सैलून की दुकान लगाकर जीविका पालन करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी राजनंदनी उर्फ काजल की शादी रतन के साथ 2014 में हुई थी। शुक्रवार की सबह उनके ससुराल के सभी लोग शहीद के पैतृक गांव अमडंडा के लिए प्रस्थान कर चुके हैं।
शहीद होने की जानकारी पर थी असमंजस
भाई मिलन ने बताया कि घटना की जानकारी उन लोगों को टीवी से मिली। आतंकी घटना की जानकारी मिलते ही परिवार वालों ने संबंधित रेजीमेंट के सीओ और ग्रुप कमांडर से संपर्क करने का प्रयास शुरू कर दिया। लेकिन उन लोगों की तरफ से कुछ स्पष्ट सूचना नहीं मिल रही थी। वे लोग बार बार कन्फर्म होने पर जानकारी देंगे कह कर फोन काट देते थे।
फाइल फोटो लेने के बाद दी शहीद होने की जानकारी
रात साढ़े आठ बजे के करीब उन लोगों को एरिया कमांडर का फोन आया और उन्होंने रतन की फाइल फोटो मांगी। कारण पूछने पर उन्होंने कुछ देर में बताने की बात कही। मिलन ने बताया कि किसी पदाधिकारी ने दोबार घर पर फोन किया। फोन करने वाले पदाधिकारी से बात करने पर उसने पहले परिचय पूछा। जब मिलन ने कहा कि वह रतन का छोटा भाई बोल रहा है तो पदाधिकारी ने कहा कि आतंकी हमले में रतन भी शहीद हो गया है। यह सुनते ही वह कुछ देर चुप हो गया। लेकिन पदाधिकारी लगातार हैलो हैलो बोलते हुए उसे बात करने के लिए कह रहे थे।
मासूम कृष्णा के सिर से उठा पिता का साया
रतन के शहीद होने के बाद एक साथ कई लोगों सिर से उसका साया उठ गया। रतन की मां कुछ वर्ष पहले ही गुजर गई थी। उसके दादा जी रन्नूचक में सरकारी शिक्षक हैं। उनकी दादी भी अभी हैं। भरा पूरा परिवार होने के बाद अब रतन के तीन वर्षीय मासूम बेटे कृष्णा के सिर से पिता का साया उठ गया है। गुरूवार देर रात पत्नी राजनंदनी को पति के शहीद होने की जानकारी नहीं दी गई थी।
एक बजे का फोन जीवन का अंतिम कॉल बना रतन के लिए
राजनंदनी को क्या पता था कि एक बजे पति रतन से बात करने के बाद उससे फिर दोबारा कभी बात नहीं हो पाएगी। रतन के भाई ने बताया कि दिन में भाई ने जब फोन किया था तो वह काफी खुश था। भाभी से बात करने के बाद उसने कहा था कि श्रीनगर पहुंचने पर वह घर बात करेगा। इस लेकर घर में भी सभी निश्चिंत थे। लेकिन घर वालों को क्या पता था कि एक बजे का कॉल ही अंतिम कॉल बनकर रह जाएगा।
अमडंडा जाएगा पार्थिव शरीर
परिजनों के मुताबिक पार्थिव शरीर आने के बाद उसे अमडंडा स्थित पैतृक घर ले जाया जाएगा। इसके बाद कहलगांव गंगा घाट पर दाह संस्कार का कार्यक्रम होगा। इसके लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने तैयारी कर रखी है। रतन के शहीद होने की जानकारी जिला व पुलिस प्रशासन को भी हो गई है। पार्थिव शरीर को सलामी देने के लिए जिले के पुलिस अधिकारी जाएंगे।
रतन के शहीद होने पर देश को गर्व, आक्रोश में लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे
आतंकी हमले में जांबाज सीआरपीएफ जवान रतन कुमार ठाकुर के शहीद होने की जानकारी मिलते ही लालूचक में स्थित घर पर आसपास के काफी संख्या में लोग जमा हो गए। जैसे जैसे लोगों को जानकारी मिली घर पर भीड़ बढ़ती गई। मौजूद लोग शहीद रतन को लेकर गर्व कर रहा था। लेकिन उनके चेहरे पर आतंकियों के इस कायरतापूर्ण हमले को लेकर आक्रोश दिख रहा था। इसी आक्रोश में घर में जमा हुए लोगों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के लगातार कई नारे लगाए। इसके बाद शहीद रतन जिंदाबाद के नारे से पूरा इलाका गूंज उठा।
हर आतंकी घटना में सिहर जाते थे घर वाले
शहीद रतन के भाई मिलन ने बताया कि जब जब देश में आतंकी वारदात होती थी। घर वाले सिहर उठते थे। अखबार या टीवी से जानकारी मिलते ही वे लोग सबसे पहले रतन से फोन पर बात करते थे। बात हो जाने के बाद वे लोग राहत की सांस लेते थे। मिलन ने बताया कि श्रीनगर पोस्टिंग पर जाने के बाद ही घर वालों की चिंता लगी रहती थी। पिता भी प्रतिदिन भैया से बात करते थे। उन लोगों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि गुरूवार को आतंकी हमले की खबर मिलने पर उसमे भाई के शहीद होने की जानकारी मिलेगी।
हर बार शान से कहते थे सेना का हूं जवान
मिलन ने बताया कि भैया को सेना में जाने पर बहुत गर्व था। वे अक्सर अपनी वर्दी वाली फोटो घर भेजते थे। इसके अलावा जब भी वे अपनी ड्यूटी में होते थे तो वहां के बारे में जानकारियां देते थे। वहां की फोटो भी शेयर करते थे। जब भी वे घर आते थे तो अमडंडा भी जाते थे। अपने स्कूल के साथियों और अन्य लोगों से मुलाकात करते थे। आसपास के युवकों को भी वे सेना में जाने के लिए प्रेरित करते थे।
बेटे से वीडियो कॉल कर करते थे बात
रतन अक्सर अपने बेटे कृष्णा और घर वाले से वीडियो कॉल कर बात करते थे। यह बताते हुए भाई मिलन भी फफक कर रोने लगा। उसने कहा कि अब भैया का वीडियो कॉल कभी नहीं आएगा। रतन के शहीद होने की जानकारी के बाद पिता और भाई के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस प्रकार घटी घटना
जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। लगभग दो दर्जन जवान जख्मी हैं। इनमें से कई की हालत गंभीर है।
हमले को पाकिस्तान से संचालित जैश ए मुहम्मद के आत्मघाती दस्ते अफजल गुरु स्क्वाड के स्थानीय आतंकी आदिल अहमद उर्फ वकास ने अंजाम दिया। उसने 320 किलो विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को सीआरपीएफ के काफिले में शामिल जवानों से भरी एक बस को टक्कर मारकर उड़ा दिया। काफिले में शामिल तीन अन्य वाहनों को भी भारी क्षति पहुंची है।
घायल जवानों को उपचार के लिए बादामी बाग सैन्य छावनी स्थित सेना के 92 बेस अस्पताल में दाखिल कराया गया है। आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। आतंकियों का निशाना बना वाहन सीआरपीएफ के काफिले का हिस्सा था। सुबह जम्मू से चले इस काफिले में 60 वाहन थे, जिनमें 2547 जवान थे। दोपहर करीब सवा तीन बजे जैसे ही काफिला जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर गोरीपोरा (अवंतीपोरा) के पास पहुंचा। तभी अचानक एक कार तेजी से काफिले में घुसी और आत्मघाती कार चालक ने सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की बस को टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही धमाका हो गया। इससे बस के परखच्चे उड़ गए।
धमाका इतना भयावह था कि कई मील दूर तक आवाज सुनी गई। पल भर में हाईवे पर करीब 100 मीटर के दायरे में क्षत-विक्षत शव व शरीर के अंगों के टुकड़े पड़े हुए थे। धमाका होते ही काफिले में शामिल अन्य वाहन तुरंत रुक गए। जवानों ने पोजीशन ले ली। तभी वहां पहले से बैठे आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने तुरंत जवाबी फायर किया। इस पर आतंकी मौके से भाग निकले। इस बीच, जवानों ने पूरे इलाके को घेरते हुए विस्फोट से तबाह हुई बस में जख्मी और मृत जवानों को बाहर निकलवा कर अस्पताल पहुंचाना शुरू किया। आत्मघाती आतंकी आदिल के भी मारे जाने का दावा किया जा रहा है।
इसलिए इतनी संख्या में रवाना हुए
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि खराब मौसम के कारण लगभग एक सप्ताह से जम्मू-श्रीनगर हाईवे बंद था। दो दिनों से मौसम साफ होने के कारण गुरुवार को एक साथ इतनी संख्या में जवानों को श्रीनगर रवाना किया गया था। आतंकी हमले का निशाना बनी बस सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की है। संबंधित अधिकारियों ने बताया कि 12 जवान मौके पर ही शहीद हो गए थे, जबकि चार अन्य ने अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में दम तोड़ा। 11 अन्य जवानों की अस्पताल में शहादत पाई। विस्फोट की सूचना मिलते ही राज्य पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के आलाधिकारी भी अपने दल बल समेत मौके पर पहुंच गए।गौरतलब है कि 18 सितंबर, 2016 में उड़ी में सैन्य के मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद व 30 घायल हो गए थे।
पुलवामा के गुंडीपोरा का रहने वाला था आदिल, 10 माह पहले बना था आतंकी
बीते एक दशक के दौरान कश्मीर में अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम देने वाला आत्मघाती आतंकी आदिल अहमद उर्फ कमांडो उर्फ वकास दक्षिण कश्मीर के गुंडीबाग, काकपोरा, पुलवामा का रहने वाला था। वह बीते साल अप्रैल माह के दौरान ही आतंकी संगठन में सक्रिय हुआ था। 21 वर्षीय आदिल 10वीं पास था और सुरक्षाबलों ने उसे सी-श्रेणी के आतंकियों में सूचीबद्ध कर रखा था। उसके ऊपर तीन लाख का इनाम था।
विस्फोटक से भरी कार को बस से भिड़ा दी
आतंकियों ने विस्फोटकों से लदी एक कार में को हाईवे पर सीआरपीएफ की बस से टक्कर मारी। इसके बाद कार में हुए भयावह धमाके से बस व उसके पीछे आ रहे एक वाहन के परखच्चे उड़ गए।
दी श्रद्धांजिल : आतंकियों को मिलेगा करारा जवाब
पुलवामा की घटना देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा ने कहा है कि आंतकियों को करारा जवाब मिलेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले की भत्र्सना की है। चौबे ने शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। कहा कि सीआरपीएफ कर्मियों पर पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन द्वारा हमला घृणित कृत्य है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यह घटना दुखद है। आतंकी वारदात से देशवासियों का खून खौल उठा है। हुसैन ने कहा कि आतंकी भी यह जान लें कि उनके माथे पर भी मौत लिख गया है। हमारी सरकार और हमारी सेना चुप बैठने वाली नहीं है।
अर्जित शाश्वत चौबे, जिला अध्यक्ष रोहित पांडेय, पूर्व विधायक अमन कुमार, जिला परिषद अध्यक्ष अनंत कुमार, डॉ. विनय कुमार गुप्ता, प्रदीप जैन, बंटी यादव, युवा मोर्चा के मुकुल कुमार, डॉ. मृणाल शेखर, डॉ. प्रीति शेखर, अरुण सिंह, देव कुमार पांडे, सज्जन अवस्थी, अनूप लाल साह, रामनाथ पासवान और संजय हरि ने शहीदों के प्रति नमन किया है।
जिला अध्यक्ष रोहित पांडेय ने कहा कि भारत इस तरह के कृत्य को कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुझे लगता है कि भारत सरकार सर्जिकल स्टाइक से भी ज्यादा सख्त कार्रवाई करेगी। यूं तो सैनिकों के बलिदान को देशवासी किसी भी कीमत पर नहीं चुका सकता है। उनकी शहादत के प्रति हम लोग कृतग्य हैं। भारत अपने सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने देगी। लेकिन भारत सरकार से विश्वास है कि फिर से इस प्रकार की घटना नहीं हो, इसका बंदोबस्त जरूर सरकार करने का काम करेगी। शुक्रवार सुबह भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित पांडेय समेत जिला उपाध्यक्ष दिलीप कुमार निराला, जिला मंत्री विपुल सिंह, अभिनव कुमार, आलोक बंटू आदि ने शहीद के परिजन से मिलकर उन्हें सांत्वना दी।
उपमहापौर राजेश वर्मा ने कहा कि जितने भी जवान शहीद हुए हैं, उनके परिजनों को मैं सांत्वना देता हूं। इस दुख की घड़ी में हम सब उनके साथ हैं। उन्होंने केन्द्र सरकार से आतंकवाद पोषक पाकिस्तान को सबक सिखाने की अपील की। आतंकी संगठनों को नष्ट करने के बाद ही देश सुरक्षित रहेगा, तभी देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि इस समय सभी पार्टियां एक साथ् मिलकर देश की सुरक्षा में अपनी सारी शक्ति लगा दें। राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर दोषारोपण न करते हुए भारत को शक्ति प्रदान करें। भारत की जनता सैनिकों की शहादत को अब बर्दाश्त नहीं करेगी।
पूर्व उप महापौर प्रीति शेखर ने कहा कि अब समय आ गया कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने का। इस घटना में भागलपुर के भी एक सैनिक शहीद हुए हैं। घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि केन्द्र सरकार पाकिस्तान को सबक सिखाएगी। शांति और धैर्य के सारे रास्ते अब बंद हो चुके हैं। अब पाकिस्तान से संचालित होने वाली सभी आतंकी संगठनों को नष्ट करना ही भारत के लिए उचित है। केन्द्र सरकार कार्रवाई करे। सभी उनके साथ हैं।
पूर्व जदयू महानगर अध्यक्ष सुड्डू साईं ने कहा कि इस दुख की घड़ी में सभी राजनीतिक पार्टी को एक होकर सेना के मनोबल को बढ़ाना चाहिए। हमारी संवेदना उन सैनिकों के परिजनों के लिए हैं, जिन्होंने अपनेे पुत्र, भाई, पिता और पति को इस घटना में खो दिया। केन्द्र सरकार को आतंकियों से निपटने के लिए और सख्ती से पेश आने की जरूरत है। अब बहुत हो गया धैर्य और शांति।