Move to Jagran APP

चारा घोटाले का रिकार्ड तोड़ सकता है 'सृजन घोटाला', अब तक सात गिरफ्तार

सृजन घोटाला अब महाघोटाला साबित हो रहा है। चारा घोटाले के बाद यह सरकारी धन गबन करने का सबसे बड़ा मामला साबित हो रहा है। घोटाले का आकार 700 करोड़ तक पहुंच गया है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 07:47 PM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 11:13 PM (IST)
चारा घोटाले का रिकार्ड तोड़ सकता है 'सृजन घोटाला', अब तक सात गिरफ्तार
चारा घोटाले का रिकार्ड तोड़ सकता है 'सृजन घोटाला', अब तक सात गिरफ्तार

भागलपुर [जेएनएन]। सृजन घोटाला अब महाघोटाला साबित हो रहा। बिहार में चारा घोटाले के बाद सरकारी धन गबन करने का यह सबसे बड़ा मामला है। शुक्रवार को और 150 करोड़ के गबन के दस्तावेज मिलते ही घोटाले का आकार 700 करोड़ तक पहुंच गया।

loksabha election banner

ताबड़तोड़ छापेमारी में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। अब तक जो तथ्य मिले हैं, उससे साफ है कि भागलपुर डीएम ऑफिस, ट्रेजरी, बैंक और सृजन महिला विकास सहयोग समिति के अधिकारी इस महाघोटाले में शामिल थे। केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, प्रखंड प्रमुखों और कारोबारियों की ओर भी शक की सुई घूम रही। 

डीएम के पीए समेत सात धराए 

आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने शुक्रवार को जिन सात लोगों को गिरफ्तार किया है, उनमें सेवानिवृत्त अनुमंडल अंकेक्षक सतीश चंद्र झा, सृजन महिला विकास सहयोग समिति की प्रबंधक सरिता झा, भागलपुर समाहरणालय का लिपिक प्रेम कुमार जो डीएम का स्टेनोग्र्राफर है, डीआरडीए का नाजिर राकेश यादव, जिला भू-अर्जन कार्यालय का नाजिर राकेश झा, इंडियन बैंक का क्लर्क अजय पांडेय और प्रिंटिंग प्रेस का मालिक वंशीधर झा शामिल हैं। उनसे पिछले दो दिनों से लगातार पूछताछ की जा रही थी।

वंशीधर झा ने पुलिस के सामने पूरा खेल खोल दिया है। वंशीधर ही सरकारी बैंक खाते के पासबुक अपने प्रिंटिंग प्रेस में फर्जी ढंग से अपडेट करता था। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की प्रमुख मनोरमा देवी की मृत्यु के बाद कामकाज संभालने वाली सरिता झा भी पुलिस की गिरफ्त में हैं। 

सहरसा से भी गायब हुए 150 करोड़ 

गबन का जाल भागलपुर से सहरसा तक पहुंच गया। जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के अफसरों ने बताया कि सहरसा के जिला भू-अर्जन कार्यालय और सृजन के बीच 150 करोड़ के ट्रांजेक्शन के दस्तावेज गुरुवार की रात ही हाथ लगे है। इस राशि के मिलने के बाद घोटाले का आकार लगभग 700 करोड़ तक पहुंच गया है। 

प्यादे पकड़ाए, चर्चा में वजीरों के नाम 

सात लोगों की गिरफ्तारी के बाद सृजन से जुड़े नेताओं के नाम सामने आने लगे हैं। पूर्व और वर्तमान मंत्रियों, सांसदों और स्थानीय नेताओं के नाम की चर्चा है। सृजन संस्था के कार्यक्रम में यह लोग दिखते थे। सृजन की प्रमुख मनोरमा देवी के साथ भी अच्छे संबंध थे। हालांकि, जांच अधिकारियों ने इस संबंध में मुंह पर ताला लगा लिया है। सबूत हाथ लगने पर ही नेताओं के नाम खोले जाएंगे।  

दिन-रात हो रही जांच, मानो युद्ध छिड़ा है 

युद्ध स्तर पर घोटाले की जांच चल रही। बुधवार दिन में पहली जांच टीम भागलपुर पहुंची थी। उसके बाद दिन-रात जांच पड़ताल जारी है। इस दौरान साफ हो गया कि घोटाले के तार बिहार के अन्य जिलों से भी जुड़े हैं। जांच टीम को और बड़ा बनाया गया है। तकनीकी और वैज्ञानिक जांच के लिए पटना से इओयू की एक्सपर्ट टीम भागलपुर पहुंची है। दिन-रात जांच और छापेमारी चल रही।

खुल रहे कारनामे 

फर्जीवाड़े के लिए वर्षों से पूरा गिरोह सुनियोजित ढ़ंग से काम करता था। बैंक अधिकारी, प्रशासनिक अफसर, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, बिजनेसमैन और कई निजी कंपनियों के प्रमुख सृजन महिला विकास सहयोग समिति के मार्फत करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे थे। 

बैंक में नहीं प्रिटिंग प्रेस में अपडेट होता था पासबुक 

गिरफ्तार होते ही प्रिंटिंग प्रेस के मालिक वंशीधर झा ने भेद खोलना शुरू कर दिया है। उसने कहा कि सरकारी योजनाओं के लिए जो बैंक खाते इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में खोले गए थे, उनके पासबुक बैंक में नहीं निजी प्रिंटिंग प्रेस में अपडेट किए जाते थे, ताकि अधिकारियों को पता नहीं चले कि  खाते से सरकारी फंड गायब है।

भीखनपुर त्रिमूर्ति चौक स्थित प्रेरणा ग्र्राफिक्स के मालिक वंशीधर झा के प्रिंटिंग प्रेस में ही पासबुक फर्जी ढंग से अपडेट होता था। खाते में सरकारी राशि जस की तस दिखती थी। हकीकत में वह सरकारी खातों से सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खातों में चली जाती थी। 

ये है मामला 

भागलपुर में सरकारी खजाने से करोड़ों की हेराफेरी का मामला मंगलवार को खुला। जांच शुरू हुई तो पता चला कि सैकड़ों करोड़ का मामला है। जिले के तीन सरकारी बैंक खातों में सरकार फंड भेजती थी। डीएम ऑफिस, बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड, सबौर नामक गैर सरकारी संगठन के छह बैंक खातों में उस राशि को ट्रांसफर कर दिया जाता था।

यह भी पढ़ें: 'सिर्फ हाजरी बनाने से नहीं चलेगा काम, पढ़ाने में कोताही बरतने पर होगी कार्रवाई'

यह समिति को-ऑपरेटिव बैंक की तरह काम करती थी। समिति से जुड़े लोग उस पैसे को जमीन खरीद, रियल इस्टेट के अलावा अन्य निजी कार्यों में खर्च करते थे। भागलपुर के बड़े-बड़े लोग इस खेल में शामिल हैं। जांच में पता चला है कि 2002 से यह खेल चल रहा था।

भू अर्जन विभाग का फंड सबसे अधिक गायब है। अब तक 700 करोड़ की हेराफेरी के कागजात मिले हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे बड़ा घोटाला मानते हुए पूरे बिहार में इसके फैले होने की आशंका जताई और जांच का आदेश दिया।

यह भी पढ़ें: शराब की होम डिलीवरी करते पकड़ा गया गौतम गंभीर, जानिए


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.