ब्लड के धंधे में मरीज परेशान, दलाल मालामाल
भागलपुर । जिले के निजी क्लीनिकों में प्रतिदिन तकरीबन एक सौ यूनिट ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता है। जवाह
भागलपुर । जिले के निजी क्लीनिकों में प्रतिदिन तकरीबन एक सौ यूनिट ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता है। जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के ब्लड बैंक से प्रतिदिन 20 से 25 यूनिट ब्लड निजी क्लीनिकों में दिया जाता है। बाकी तकरीबन 80 यूनिट ब्लड मरीजों को चिकित्सकों के कंपाउंडर और ब्लड के दलालों की साठगांठ से दिए जाते हैं। एक यूनिट ब्लड की कीमत दो हजार से लेकर पांच हजार रुपये देने पड़ते हैं। एक यूनिट ब्लड के लिए डोनर को तीन सौ से लेकर पांच सौ रुपये दिए जाते हैं।
प्रतिदिन एक सौ यूनिट ब्लड की जरुरत
जिले में चार सौ से ज्यादा चिकित्सक हैं। इनमें तकरीबन 250 स्त्री रोग विशेषज्ञ, 35 हड्डी रोग विशेषज्ञ, 70 फिजीशियन और 30 सर्जन शामिल हैं। स्त्री रोग विशेषज्ञों के क्लीनिकों में भर्ती मरीजों को प्रतिदिन एक से दो यूनिट रक्त चढ़ाया जता है। वहीं सर्जन एवं फिजीशियन के क्लीनिकों में भी प्रतिदिन दो यूनिट ब्लड मरीजों को चढ़ाया जाता है।
दो दर्जन दलाल बेचते हैं ब्लड
शहर के तकरीबन 60 चिकित्सक ही मरीजों को ब्लड बैंक से ब्लड के लिए भेजते हैं। इसके अलावा अन्य चिकित्सकों के यहां भर्ती मरीजों को ब्लड की जरुरत पड़ने पर कंपाउंडर ब्लड के लिए दलालों से मैनेज करते हैं। शहर में तकरीबन 15 ब्लड बेचने वाले दलाल हैं। जो दो हजार से पांच हजार रुपये एक यूनिट ब्लड की कीमत लेते हैं।
क्लीनिकों में भी मिल चुके हैं ब्लड बैंक के बैग
स्थिति यह है कि महिला चिकित्सक के क्लीनिकों में भी ब्लड बैंक के मोहर लगी बैग मिल चुकी है। ब्लड बैंक के मोहर और प्रभारी के हस्ताक्षर भी फर्जी थे। अब बैग कहां से मैनेज किया गया यह जांच का विषय है। स्थानीय ब्लड बैंक का बैग नहीं था। पूर्व में भी ब्लड बैंक के बैग मिल चुके हैं। एक स्त्री रोग विशेषज्ञ के मुताबिक अगर आधी रात को ब्लड की आवश्यकता पड़ जाए तो कहां से लाएंगी। अत: ब्लड की व्यवस्था रखनी पड़ती है ताकि मरीज की जान बचाई जा सके।
इन परिस्थियों में चढ़ाए जाते हैं ब्लड
- हिमोग्लोबीन की मात्रा सात ग्राम से कम हो
- ऑपरेशन के दौरान ब्लड की कमी होने से
- एनिमिया होने की स्थिति में
- ज्यादा रक्तश्राव होने से
ब्लड बैंक में शुद्ध मिलता है ब्लड
ब्लड बैंक से ब्लड मरीज को चढ़ाने से बीमारी होने की संभावना नहीं रहती। क्योंकि एचआइवी, हेपेटाइटिस, मलेरिया आदि की जांच के बाद ही ब्लड दिए जाते हैं। अन्य स्त्रोत से लिए गए ब्लड की शुद्धता की गारंटी नहीं रहती।
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कोट :
ब्लड अधिकोष से ही ब्लड लेना चाहिए। इसके लिए चिकित्सकों को अपने मरीजों के प्रति जागरुक रहना पड़ेगा।
डॉ. कुमार सुनित, सचिव्र आइएमए