तोमर पलटवार करने की तैयारी में
भागलपुर । दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री रद किए जाने के बाद भी तिलक
भागलपुर । दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की लॉ की डिग्री रद किए जाने के बाद भी तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय तोमर प्रकरण से मुक्त होता नहीं दिखा रहा है। सूचना है तोमर अब विश्वविद्यालय प्रबंधन को घेरने के मूड में हैं। वे सवाल उठाने वाले हैं कि उनके दाखिले के समय क्यों नहीं जांच की गई। विश्वविद्यालय ने जब डिग्री जारी कर दी ते बाद में रद क्यों की गई।
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय की सीनेट ने बैठक का मुख्य एजेंडा बनाकर तोमर की डिग्री रद कर दी थी। बीते दो फरवरी को विवि सिंडिकेट की बैठक हुई थी। जिसमें तोमर की डिग्री रद करने की अनुशंसा करते हुए मामले को सीनेट भेजा गया था। सीनेट ने उसे राजभवन अग्रसारित कर दिया था। जिस पर राजभवन ने विवि प्रबंधन को सीनेट की बैठक बुलाकर तोमर की डिग्री रद करने के लिए हरी झंडी दे दी थी। राजभवन से सीनेट की बैठक बुलाने की अनुमति मिलने के बाद डिग्री रद करने की कार्रवाई की गई। बीते सप्ताह डिग्री रद करने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने तोमर से अपना पल्ला झाड़ लिया था। लेकिन अब यह मामला तिलकामांझी विश्वविद्यालय प्रबंधन के लिए गले की हड्डी बनते जा रहा है। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर डिग्री रद किए जाने के बाद विश्वविद्यालय पर मुकदमा करने के मूड में हैं। उधर, दिल्ली पुलिस तोमर मामले में फंसे परीक्षा नियंत्रक और अन्य कर्मचारियों को घेराबंदी करने में जुट गई है। दिल्ली पुलिस पर्याप्त साक्ष्य जुटाकर विश्वविद्यालय के दोषी कर्मचारियों की गिरेबान नापेंगी।
क्या है मामला
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि तिमांभाविवि के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी की गई थी। डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के थे। उन्होंने अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झासी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया था। हालांकि दोनों विवि ने पूर्व में ही इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया था।