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शहर में पेयजल संकट पर अधिकारियों की नजर में ऑल इज वेल

गर्मी के दस्तक देते ही गंगा की मुख्य व सहायक धारा बरारी वाटर व‌र्क्स के इंटकवेल से दूर जाती जा रही ह

By Edited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 01:59 AM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 01:59 AM (IST)
शहर में पेयजल संकट पर अधिकारियों की नजर में ऑल इज वेल
शहर में पेयजल संकट पर अधिकारियों की नजर में ऑल इज वेल

गर्मी के दस्तक देते ही गंगा की मुख्य व सहायक धारा बरारी वाटर व‌र्क्स के इंटकवेल से दूर जाती जा रही है। मोजाहिदपुर, जोगसर व टीएनबी कॉलेज के बोरिंग बालू निकलने लगे हैं। इशाकचक की बोरिंग खराब है। जल पर्षद द्वारा लगाए गए 36 बोरिंग में से 29 पानी की जगह बालू उगल रहे हैं। फरवरी माह में ही शहर गंभीर पेयजल संकट की चपेट में आ गया है। बावजूद इसके अधिकारियों को पेयजलापूर्ति व्यवस्था दुरुस्त नजर आ रही है। बुडको के अधीक्षण अभियंता एके श्रीवास्तव भी ऑल इज वेल कह रहे हैं। वे दावा कर रहे हैं कि समय पर प्रथम व द्वितीय चरण की परियोजनाएं पूरी कर ली जाएंगी। पर हकीकत कुछ और है। जलापूर्ति योजना के पहले चरण में 19 जलमीनार का निर्माण व 460 किलोमीटर पाइप बिछाई जानी है। लेकिन इस योजना का लाभ तब तक शहरवासियों को नहीं मिल पाएगा जब तक कि दूसरे चरण की 300 करोड़ की राशि से 60 किलोमीटर राइजिंग पाइप व नए वाटर व‌र्क्स का निर्माण नहीं हो जाता। नए वाटर व‌र्क्स के लिए अभी तक जमीन भी नहीं ढूंढी जा सकी है। इसका प्राक्कलन भी तैयार नहीं हुआ है। कई कार्य अभी तक जमीन पर उतरे भी नहीं हैं। पर अधीक्षण अभियंता का दावा है कि प्रथम और दूसरे चरण का काम एक साथ पूरा हो जाएगा। पर योजनाओं का अभी जो हाल है उसे देखकर फिलहाल तो बातें बड़ी-बड़ी के सिवा कुछ नजर नहीं आ रहा।

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क्रसर :-

- शहर के आधे से अधिक बोरिंग पानी की जगह उगल रहे बालू

- बरारी वाटर व‌र्क्स के इंटकवेल से दूर हुई गंगा, प्रदूषित जल पी रहे लोग

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जागरण संवाददाता, भागलपुर :

शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था बेहद खराब है। लोग प्रदूषित सप्लाई वाटर पीने को मजबूर हैं। शहर के आधे से अधिक पंपों के बालू उगलने से पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके बाद भी अधिकारी ऑल इज वेल कह रहे हैं।

इधर, जलापूर्ति योजना के पहले चरण में घरों तक पाइप लाइन बिछाने व जलमीनार निर्माण कार्य पूरा करने की योजना अधर में है।

उल्टे जब दूसरे चरण में 60 किलोमीटर राइजिंग पाइप व नए वाटर व‌र्क्स निर्माण कार्य के बारे में पूछा गया तो अधीक्षण अभियंता भड़क गए। कहा, जनता खोजकर देगी जमीन तब बनेगा नया वाटर व‌र्क्स।

ऐसे में सवाल उठता है कि जब जनता को ही जमीन उपलब्ध करानी है तो जलमीनार पर ढाई सौ करोड़ खर्च करने का क्या फायदा?

हालांकि अभियंता ने कहा कि दोनों चरण की योजना एक साथ पूरी कर ली जाएगी। मुख्यसचिव के पास दूसरे चरण की योजना का प्रजेंटेशन दिखाया जा रहा है।

घटा है पानी का लेबल

इधर, मंगलवार को पैन इंडिया के अधिकारियों के साथ अभियंता ने बरारी वाटर व‌र्क्स का निरीक्षण किया। पैन इंडिया की व्यवस्था में उन्हें कोई कमी नजर नहीं आई। बाद में उन्होंने माना कि पानी का लेवल घट रहा है। नदी शिफ्ट हो गई है। पैन इंडिया के साथ बैठक कर एक्शन प्लान बनाया जा रहा है। गंगा की मुख्य धारा से पानी वाटर व‌र्क्स तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।

60 लाख का भुगतान नहीं

गंगा से वाटर व‌र्क्स तक पहुंचाने के लिए गत वर्ष पैन इंडिया ने 60 लाख रुपये खर्च किए थे। जिसका भुगतान अब तक नहीं किया गया है। इस पर अधीक्षण अभियंता ने कहा कि बिना अनुमति लिए कार्य किया गया था इसलिए भुगतान नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि संप से मिट्टी निकालने के बाद 1.25 हैक्टेयर भूमि की जरूरत है। ताकि शिल्ट फेंका जा सके। बोरिंग में कम क्षमता वाला पंप लगाने पर पैन इंडिया को व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया। कहा-इस गर्मी में जलापूर्ति की कोई समस्या नहीं रहेगी। नहीं उठाया कारगर कदम

आपूर्ति बढ़ाने की दिशा में बुडको ने कोई कारगर कदम नहीं उठाया है। पैन इंडिया को 289 करोड़ की लागत से पूरे शहर में 460 किलोमीटर पाइप बिछाकर घर-घर पानी पहुंचाने की व्यवस्था करनी है। बरारी वाटर व‌र्क्स का क्षमता विस्तार कर 7.5 एमएलडी से बढ़ाकर 17 एमएलडी तक पहुंचाना है। इंटेकवेल का निर्माण व मोटर पंप आदि का कार्य करना है।

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सुलगते सवाल

- जब जनता को ही वाटर व‌र्क्स के लिए जमीन ढूंढनी है तो जलमीनार के निर्माण पर 250 करोड़ खर्च करने का क्या फायदा

- मोहल्ले में बिछने लगी पाइप पर इन पाइपों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था कब होगी

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खास बातें :-

- दूसरे चरण में राइजिंग पाइप व वाटर व‌र्क्स के लिए खर्च होने हैं 300 करोड़

- लीकेज ठीक करने के लिए चार से 10 बार खोदे जा रहे गड्ढे पर स्थिति जस की तस

- पैन इंडिया को फरवरी तक बिछानी थी 50 किलोमीटर पाइप, आठ किलोमीटर पर ही अटकी

- करोड़ों खर्च के बाद भी जलापूर्ति व्यवस्था में नहीं हुआ सुधार

- पाइप में जगह-जगह लीकेज रहने से गंदे पानी का करना पड़ रहा सेवन

- बालू युक्त पानी निकलने के बाद भी 35 बोरिंग को निगम ने नहीं कराया दुरुस्त

- शहर के सात जलमीनार में से चार पड़े हैं बंद, तीन के सहारे आपूर्ति

- घंटाघर पानी टंकी से सिकंदरपुर जलमीनार में नहीं पहुंच रहा पानी

- 15 वर्षो से कर्णगढ़ और आठ वर्षो से गोशाला के जलमीनार से आपूर्ति बंद


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