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राजनीतिक पेंच में उलझ गया मंडल कार्यालय

भागलपुर। भागलपुर में रेल मंडल कार्यालय का निर्माण राजनीतिक दाव-पेंच में उलझकर रह गया। यदि राजनीतिक इ

By Edited By: Published: Fri, 02 Dec 2016 03:32 AM (IST)Updated: Fri, 02 Dec 2016 03:32 AM (IST)
राजनीतिक पेंच में उलझ गया मंडल कार्यालय

भागलपुर। भागलपुर में रेल मंडल कार्यालय का निर्माण राजनीतिक दाव-पेंच में उलझकर रह गया। यदि राजनीतिक इच्छा शक्ति होती तो मंडल कार्यालय बनने से कोई नहीं रोक सकता था। लेकिन इसमें न तो बिहार के नेताओं ने गंभीरता से लिया और न ही दूसरे प्रदेश से आने वाले रेलमंत्री ने।

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मंडल कार्यालय की माग को लेकर भागलपुर की जनता लंबे समय से माग कर रही थी। लेकिन वोट बैंक को नाराज नहीं करने के चलते पश्चिम बंगाल के नेता मंडल कार्यालय के निर्माण से हमेशा हाथ खींचते रहे। जनता के भारी दबाव के बावजूद तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने मंडल कार्यालय की घोषणा यदि पहले कर दी होती तो शायद मंडल कार्यालय बन जाता। लेकिन लालू प्रसाद के हाथ से रेल मंत्रालय की बागडोर बंगाल कीतृणमूल नेत्री ममता बनर्जी के हाथों जाने के बाद भागलपुर रेल मंडल कार्यालय निर्माण पर ग्रहण लग गया। फिर भी भागलपुर की जनता चुपचाप हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठी रही, बल्कि मंडल कार्यालय की माग को लेकर लगातार धरना व प्रदर्शन किया जाता रहा।

लालू के रेलमंत्री बनने के बाद ही उठने लगी थी मांग

संप्रग सरकार के गठन के बाद लालू प्रसाद रेलमंत्री बने थे। उस समय केंद्र सरकार को वाम दल बाहर से समर्थन कर रहे थे। लालू प्रसाद के रेलमंत्री बनने के बाद भागलपुर में मंडल कार्यालय की माग जोर पकड़ने लगी। आखिरकार राजनीतिक दबाव के बाद लालू प्रसाद ने 29 दिसंबर 2008 को भागलपुर स्टेशन परिसर में जनता के दबाव की वजह से मंडल कार्यालय बनाने की घोषणा की। इतना ही नहीं 13 फरवरी 2009 को रेल बजट में भागलपुर में रेल मंडल कार्यालय बनाने की घोषणा की गई। अंतरिम बजट होने के चलते उस समय भी मंडल कार्यालय के निर्माण नहीं होने पर पूर्व बिहार के लोगों को काफी निराशा हाथ लगी।

हालांकि 1 मार्च 2009 को सैंडिस कंपाउंड में लालू प्रसाद ने मंडल कार्यालय का सिर्फ शिलान्यास ही नहीं किया बल्कि उसी दिन खुशी राम की नियुक्ति मंडल कार्यालय के लिए ओएसडी के पद पर कर दी गई थी। लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया था। ऐसे में भागलपुर में मंडल कार्यालय पर पुन: विराम लग गया।

जिले के नेताओं ने भी भूला दिया मुद्दा :

मंडल कार्यालय निर्माण को लेकर पूर्व मंत्री सह बक्सर के सासद अश्रि्वनी कुमार चैबे, पूर्व सासद सह भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन, सासद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल, गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल, भागलपुर के काग्रेस विधायक अजीत शर्मा, सुल्तानगंज विधायक सुबोध राय, पूर्व विधानसभाध्यक्ष कहलगाव के काग्रेस विधायक सदानंद सिंह, जन आवाज सेना के रविशेखर भारद्वाज, पूर्व राजद के जिलाध्यक्ष डॉ चक्रपाणि हिमाशु सहित अन्य दलों के नेताओं ने अलग-अलग बयान देकर कहा था कि मंडल कार्यालय लड़कर लेंगे। इसके अलावा अन्य राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों ने भी मंडल कार्यालय की माग को लेकर धरना व प्रदर्शन किया था। लेकिन राजनीतिक दाव-पेंच में उलझने के बाद ये नेता अब इस मुद्दे को भूला चुके हैं।

राजद जिलाध्यक्ष डॉ. तिरुपतिनाथ, जाप युवा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चक्रपाणि हिमांशु, रालोसपा के रविशेखर भारद्वाज आदि नेताओं ने संयुक्त रूप से कहा है कि मालदा डिवीजन में भागलपुर स्टेशन सभी स्टेशनों पर आर्थिक के मामले में अव्वल है फिर भी इसकी उपेक्षा की जा रही है। भागलपुर में पिछले कई वर्षो से रेल डिवीजन कार्यालय के लिए चिरौरी की जा रही है। रेल मंडल कार्यालय खुलने से इस क्षेत्र में कई तरह की सुविधाएं बढ़ जातीं। नेताओं ने कहा कि पूर्व बिहार की जनता का ख्याल करते हुए केंद्र सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। यहां जनता अपने हक की लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटेगी। राजद रेल मंडल कार्यालय को लेकर अपना आंदोलन जारी रखे हुए है।


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