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गोदाम में संसाधन, सड़क पर गंदगी

भागलपुर। सिल्क सिटी को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद की जा रही है। लेकिन शहर में साफ-सफाई व्यवस्था भगव

By Edited By: Published: Mon, 25 Apr 2016 02:23 AM (IST)Updated: Mon, 25 Apr 2016 02:23 AM (IST)
गोदाम में संसाधन, सड़क पर गंदगी

भागलपुर। सिल्क सिटी को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद की जा रही है। लेकिन शहर में साफ-सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है। नगर निगम के पास संसाधन तो हैं लेकिन गोदाम में पड़े हुए हैं। संसाधनों का उपयोग नहीं होने और साफ-सफाई नहीं होने से सड़कों, चौक-चौराहों और गलियों में गंदगी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है।

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नगर निगम प्रशासन कूड़ा उठाव के लिए विभिन्न वार्डो में ट्रैक्टर का सहारा लेता है, लेकिन शहर की तंग गलियों में निगम सफाई की समुचित व्यवस्था काम नहीं कर पा रही है। नगर निगम ने घर-घर कूड़ा उठाव के लिए बीते दिसंबर माह में करीब एक करोड़ रुपये की लागत से डंफर, ऑटो टीपर, व ट्रैक्टर की खरीदारी की थी। फिलहाल ये संसाधन नगर निगम गोदाम की शोभा बढ़ा रहे हैं। गाड़ियों के निबंधन की प्रकिया में तीन माह बीत गए हैं लेकिन इतनी राशि खर्च होने के बावजूद शहरवासी सुविधा से वंचित हैं।

गाड़ियों का उचित उपयोग सफाई कार्य में नहीं हो रहा। जबकि तंग गलियों की सफाई के लिए ऑटो टीपर और छोटे ट्रैक्टर खरीदे गए हैं। लेकिन इनका उपयोग न होने से वार्डो की गलियों की सफाई नहीं हो पा रही है।

संसाधनों का नहीं हो रह उपयोग :

वर्तमान में 14 ट्रैक्टर का उपयोग कूड़ा उठाव में किया जाता है। नगर विकास विभाग के आदेश के बाद नगर निगम ने ऑटो टीपर और मैजिक वाहन की खरीदारी कर ली। इसके पीछे विभाग का तर्क था कि कूड़ा उठाने के दौरान प्रति स्थल डेढ़ लीटर डीजल ट्रैक्टर में खर्च होता है जबकि ऑटो और मैजिक में से प्रति लीटर 20 किलोमीटर दूरी तय कर कूड़े का उठाव होगा। लेकिन इस संसाधन का उपयोग नहीं किया जा रहा है।

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जमीन में दफन हो रहा पे-लोडर :

नगर निगम प्रशासन नए संसाधन की खरीदारी में व्यस्त है, लेकिन पुराने संसाधन को दुरुस्त करने के प्रति उदासीन बना हुआ है। दो दशक पूर्व खरीदा गया पे-लोडर 10 वर्ष से निगम गोदाम में खराब पड़ा हुआ है। और दूसरा चार वर्ष से। दोनो पे लोडर जमीन में समाने लगे हैं। अब यह जानवर के बांधने के काम आ रहे हैं। पे-लोडर का पा‌र्ट्स नहीं मिलने के कारण करीब 40 लाख रुपये का संसाधन गोदाम में पड़ा हुआ है। इनकी मरम्मत भी नहीं की जा रही है।

मोहल्ले में नहीं बजती सीटी :

शहर के गलियों में अब सुबह-सुबह सीटी नहीं बजती है। कुछ वार्डो को छोड़कर अधिकांश वार्डो में घर-घर कूड़े का उठाव नहीं हो पाता है। जबकि नगर निगम के पास संसाधन की कोई कमी नहीं है। शहरवासियों की मांग है कि आधुनिक संसाधन से लैस अच्छी सफाई एजेंसी को लाया जाए।

नगर निगम की स्थिति :

- वार्ड संख्या - 51

-गृहकर संख्या - 72 हजार

-प्रतिदिन कूड़ा का उठाव - 250 से 300 एमटी

-सफाई कर्मी - प्रत्येक वार्ड में 10 से 12 कर्मी

-स्थायी सफाई कर्मी - 216

-बड़ा ट्रैक्टर की संख्या - 15

- मिनी ट्रैक्टर की संख्या - 05

-जेसीबी की संख्या - तीन

-डंफर की संख्या - एक

-ऑटो टीपर की संख्या - आठ

-हाथ ठेला की संख्या - 200

-रिक्शा ठेला की संख्या - 204

- कूड़ादान की संख्या - 400

- निगम के सफाई कर्मी का वेतन - 15 से 22 हजार रुपये प्रतिमाह

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दिसंबर में खरीदे गए संसाधन :

मिनी ट्रैक्टर - पांच

बड़ा ट्रैक्टर - पांच

डंफर -- एक

ऑटो टीपर की संख्या - 6

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सफाई एजेंसी का संसाधन :

पंच फाउंडेशन - 210 मजदूर

शिवम - 210 मजदूर

ट्रैक्टर की संख्या - 16

एजेंसी के मजदूर का मानदेय - 194 रुपये प्रतिदिन

पंच फाउंडेशन को मिलने वाली राशि - 17 लाख रुपये प्रति माह

शिवम को मिलने वाली राशि - 33 लाख रुपये प्रतिमाह

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सफाई के लिए तीन जोन :

पंच फाउंडेशन - एक से 18 वार्ड तक।

शिवम - 19 से 36 वार्ड तक।

नगर निगम - 37 से 51 वार्ड तक।

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कूड़ा फेंकने के लिए जगह का अभाव :

नगर निगम क्षेत्र में कूड़ा फेंकने के लिए जगह नहीं है। जबकि निगम जगह तलाशने का दवा करता रहा है। किंतु जगह नहीं मिलने से न केवल नगर निगम को बल्कि शहरवासियों को भी संकट में डाल दिया है। जगह के अभाव में जहां नगर निगम शहर के बाहरी हिस्से में कूड़ा फेंककर वातावरण को दूषित कर रहा है, वहीं नगरवासी भी खाली पड़ी जमीन को कूड़ेदान में तब्दील कर गंदगी फैला रहे हैं। चंपा नदी और गंगा तट के साथ रेलवे लाइन के किनारे कूड़ा डंप किया जा रहा है। निगम ने पहले नाथनगर दिग्घी पोखर का चयन किया। जिसका एनओसी अंचल से नहीं मिल सका। गोराडीह में भूमि का चयन किया, यहां सरकार से राशि का आवंटन नहीं पाया। कूड़ा डंपिंग जोन नहीं होने के कारण नगर निगम को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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