Move to Jagran APP

सीओ के आदेश बगैर अमीन ने की जमीन की मापी

भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा] गोपालपुर में स्थाई बाइपास के निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन की अमीन ने

By Edited By: Published: Sat, 06 Feb 2016 02:53 AM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 02:53 AM (IST)
सीओ के आदेश बगैर अमीन ने की जमीन की मापी

भागलपुर [आलोक कुमार मिश्रा]

loksabha election banner

गोपालपुर में स्थाई बाइपास के निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन की अमीन ने अंचलाधिकारी के आदेश के बगैर ही मापी की थी। वहीं जगदीशपुर, नाथनगर एवं सबौर अंचल में बाइपास एवं गरीबों के पुनर्वास के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों का अबतक दाखिल-खारिज (म्युटेशन) तक नहीं हो पाया है। जबकि दाखिल-खारिज की कार्रवाई वर्ष 2004 से 2006 तक पूरी हो जानी चाहिए थी। जमीन का दाखिल-खारिज सरकार के नाम होना है। दूसरी ओर भू-अर्जन विभाग की ओर से अब तक अधिग्रहित जमीन से संबंधित कागजात एनएच-80 को नहीं सौंपा गया है।

महत्वपूर्ण पहलू यह है कि जिस अधिग्रहित जमीन पर भवन निर्माण का काम चल रहा है उसकी पिछले रविवार को सबौर अंचलाधिकारी के बिना आदेश के बिना ही अमीन सचिदानंद कुमार ने मापी कर दी थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि सीओ और डीसीएलआर के मौखिक आदेश पर जमीन की मापी करने की बात अमीन सचिदानंद कह रहे थे। अमीन ने कहा कि जिस जमीन पर भवन निर्माण कराया जा रहा है वह प्रस्तावित बाइपास की सीमा क्षेत्र से बाहर है। इसलिए मकान बनाने में कोई दिक्कत नहीं है। वहीं सबौर सीओ और डीसीएलआर के मौखिक आदेश पर मापी करने की बात को खारिज करते हुए अमीन ने कहा कि अंचल कार्यालय में किसी ने आवेदन दिया था। आवेदन के आधार पर ही उन्होंने गोपालपुर में जमीन की मापी की थी। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी की सूचना उन्होंने नाजिर को दी थी कि बाइपास की जमीन पर भवन निर्माण कराया जा रहा है।

मापी पर उठ रहे सवाल :

अमीन द्वारा जमीन की मापी पर अब सवाल उठने लगे हैं। सवाल यह है कि यदि किसी ने आवेदन दिया भी होगा तो अंचलाधिकारी के नाम से दिया होगा? यदि अंचलाधिकारी के नाम से आवेदन दिया गया था तो अपने पदाधिकारी की अनुमति के बिना अमीन सचिदानंद जमीन की मापी के लिए किस आधार पर गए? अमीन ने गड़बड़ी की सूचना अंचलाधिकारी को न देकर नाजिर को क्यों दी? दूसरी ओर स्थाई बाइपास निर्माण व गरीबों के पुनर्वास के लिए गोपालपुर में अधिग्रहित जमीन का अब तक दाखिल-खारिज तक नहीं हो सका है। यही नहीं भू-अर्जन विभाग द्वारा इन जमीनों का कागजात भी अब तक उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।

दस वर्ष पूर्व दाखिल-खारिज के लिए दिया गया था आवेदन :

एनएच-80 के कनीय अभियंता सुधीर कुमार के अनुसार दस साल पूर्व ही भू-अर्जन पदाधिकारी द्वारा अधिग्रहित भूमि की दाखिल-खारिज के लिए जगदीशपुर, नाथनगर एवं सबौर अंचलाधिकारी को आवेदन दिया गया था। लेकिन अब तक बिहार सरकार के नाम पर जमीनों की दाखिल-खारिज की कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि अधिग्रहित जमीन पर भवन निर्माण का काम चलने की सूचना मिलने पर वे दस दिन पूर्व गोपालपुर जांच के लिए गए थे। मकान निर्माण बंद करने को भी कहा था। लेकिन भू-अर्जन विभाग द्वारा अब तक एनएच-80 को अधिग्रहित जमीनों का कागजात नहीं सौंपा गया है। कागजात के अभाव में जमीन की मापी कैसे कराया जा सकता है। जेई ने बताया कि शुक्रवार को भू-अर्जन विभाग के बड़ा बाबू ने उन्हें बताया कि दो-तीन दिन पूर्व बाइपास निर्माण एवं पुर्नवास जमीन से संबंधी कागजात तैयार कर लिया गया है।

भू माफिया को बेच दी अधिग्रहित जमीन :

गोपालपुर में स्थायी बाइपास सड़क के लिए 200 फीट चौड़ी जमीन वर्ष 2001 में अधिग्रहण की गई थी। अधिग्रहित जमीन की राशि भू-स्वामियों ने नहीं ली और उस जमीन को भू-स्वामियों से मिलकर दूसरे लोगों को बेच दी गई। लोग उस जमीन पर मकान बना रहे हैं। इतना ही नहीं एक मकान की तो गुरुवार को छत ढलाई तक कर दी गई। जबकि जमीन के कुछ हिस्सों की घेराबंदी कर दी गई है।

पुनर्वास के लिए अधिग्रहित जमीन पर कर लिया कब्जा :

प्रशासन द्वारा बाइपास के लिए जिन आठ-दस गरीबों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था उनके पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा समीप में ही जमीन का अधिग्रहण किया गया था। उस जमीन की भी दबंगों द्वारा घेराबंदी की जा रही है।

बाइपास सड़क निर्माण एवं पुर्नवास के लिए अधिग्रहित जमीन का जून 2001 व जून 2003 में गजट भी तैयार कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो अधिग्रहित जमीन की बिक्री में ब्रोकर नीलेश कुमार के अलावा पुलिस एवं जिला प्रशासन के कुछ कर्मी भी शामिल हैं।

-----------------------

डीएम के निर्देश के बावजूद अब तक नहीं हुआ पुनर्वास

भागलपुर : बुट्टन यादव के पुत्र सुनील यादव ने कहा कि 200 फीट चौड़े बाइपास निर्माण के लिए उनके अलावा नागेश्वर यादव, बागेश्वर यादव उर्फ बग्गो, विजय यादव व बटेश्वर यादव के मकान-जमीन का अधिग्रहण किया गया है। उन लोगों के पुर्नवास के लिए बाइपास सड़क से बचे हिस्से की 15 डिसमिल जमीन सरकार ने वर्ष 2003 में अधिग्रहण की थी। जून 2003 में इसका गजट भी बन गया है। सभी के पुर्नवास के लिए तीन-तीन डिसमिल जमीन अधिग्रहित की गई है। लेकिन अब तक पुर्नवास की कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। इस संबंध में जनता दरबार में 16 दिसंबर 2015 को डीएम को आवेदन भी दिया गया। भू-विस्थापितों को बसाने के लिए डीएम ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी समेत संबंधित पदाधिकारियों को इस दिशा में जल्द कार्रवाई का निर्देश भी दिया गया। लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। उन्होंने कहा कि जब तक पुर्नवास की व्यवस्था नहीं की जाएगी तब तक वे अपना मकान व जमीन नहीं छोड़ेंगे।

-----------------------

कोट

मामला गंभीर है। जल्द जांच कराई जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -सुनीलधारी प्रसाद सिंह, अधीक्षण अभियंता, एनएच-80


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.