'10 बजे ही आते तो क्या बिगड़ जाता'
भागलपुर। यह कोई आने का समय है? ट्रेन से उतरे और सीधे कॉलेज चले आए, जांच करने के लिए। कम से कम कॉलेज
भागलपुर। यह कोई आने का समय है? ट्रेन से उतरे और सीधे कॉलेज चले आए, जांच करने के लिए। कम से कम कॉलेज के खुलने का तो इंतजार करना चाहिए, यह क्या तरीका है। हमलोग भागे-भागे आए हैं। मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी पूरे दिन इस बात पर भड़ास उतारते रहे।
कर्मचारियों का कहना था कॉलेज नौ बजे खुलता है, आठ बजे चले आए। 10 बजे ही आते तो क्या बिगड़ जाता। एक विभागाध्यक्ष को कॉलेज का एक कर्मचारी मोटरसाइकिल पर बैठा कर कॉलेज लाया। विभागाध्यक्ष पूजा पर बैठे ही थे कि उन्हें एमसीआइ टीम के आने की सूचना मोबाइल फोन से दी गई। वे पूजा छोड़कर हड़बड़ाते हुए सीधे कॉलेज आ गए। कॉलेज आते ही पूछा वे लोग कहां हैं। बताया गया कि माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तरफ गए हैं। जब वे उस विभाग की तरफ जाने लगे तो कर्मचारी ने उन्हें रोका और कहा, सर वहां कहां जा रहे हैं। अपने विभाग का तो निरीक्षण कर वे चले गए हैं। तब वे और भी हड़बड़ा गए, माथे पर पसीना पोछने लगे।
मेडिकल कॉलेज के एक अधिकारी को जब टीम के सदस्य ने आने की सूचना दी तो वे भी हड़बाड़ाए। उन्होंने चिकित्सकों को जानकारी देने के लिए अस्पताल प्रबंधक को कहा। अस्पताल प्रबंधक ने कई चिकित्सकों को एमसीआइ टीम के आने की जानकारी दी। फिर चिकित्सक एक-दूसरे को मोबाइल द्वारा यह जानकारी दी। जब टीम द्वारा जांच की जाती है तभी चिकित्सक एप्रन भी पहनकर आते हैं। कई चिकित्सक बिना एप्रन के ही आने की तैयारी में थे। सूचना मिलते ही एप्रन भी पहन लिया। एक चिकित्सक ने बताया कि अपने वाहन में ही एप्रन रखते हैं, इस कारण परेशानी नहीं हुई।