तर्पण से मिलता है पितरों का अशीर्वाद
तर्पण पूर्वजों का दिया हुआ संस्कार है। इस संस्कार का मानव जीवन में बड़ा महत्व है। यह सामाजिक परंपरा र
तर्पण पूर्वजों का दिया हुआ संस्कार है। इस संस्कार का मानव जीवन में बड़ा महत्व है। यह सामाजिक परंपरा रही है कि आश्रि्वन मास के पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों की पूजा अर्चना करते हैं। हर मानव का भी यह धर्म भी बनता है कि वे अपने पितरों का पूजन करें। उक्त बातें जगदीशपुर प्रखंड के कनेरी गांव निवासी गौरी शंकर त्रिवेदी ने कही। उन्होंने कहा कि दिवंगत माता-पिता और दादा-दादी के साथ दिवंगत बड़े भाई की पूजा करने से आत्मा को सुकून मिलता है। उनके आशीर्वाद से ही आज हम पूरा परिवार फलफूल रहे हैं। दिवंगत माता अहिल्या देवी एवं पिता अनंत प्रसाद त्रिवेदी हमेशा समाज सेवा का पाठ पढ़ाया करते थे। उनका कहना था इरादा नेक रखो तो ईश्वर सब मनोकामना पूर्ण कर देंगे। सचमुच उन्होंने नेक इरादों के बल पर ही अपना साम्राज्य बसाया था। उनके द्वारा पढ़ाए गए पाठ को जीवन में अक्षरश याद रखा हूं। ईमानदारी ही हमारी जिंदगी का सर्वोतम नीति है। दुख की घड़ी आने पर माता-पिता का स्मरण कर लेता हूं फिर सब दुख दूर हो जाता है।