यह एम्पायर अपना ही है
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्र]। नेता जी की जमीन देखने बड़े नेता आए थे। 'मम्मा' आने वाली थी, इसके लिए तैयार
भागलपुर [शंकर दयाल मिश्र]। नेता जी की जमीन देखने बड़े नेता आए थे। 'मम्मा' आने वाली थी, इसके लिए तैयारी भी देखने का कोरम पूरा करना था। आते ही बड़े नेता पंजा लड़ाने लगे। यहां क्या, वहां क्या..! उनके दिमाग में था दल का रिपोर्ट, जो हमेशा की तरह उलटा ही भेजा गया था। पर, नेता जी का तो अभी जलवा है, जलवा! माल है सो पूरा कमाल है। बड़े नेता जी जल्द ही संतुष्ट हो गए और रही सही कमी पूरी कर दी नेता जी ने। बात करते करते दोनों नेता अपने चमचों के साथ कार्यालय के नीचे उतरे। बड़े नेता जी बहुत खुश हुए, मोगेम्बो टाइप। बोले, आप काफी मजबूत आदमी हैं। अब क्या, नेता जी का कलेजा चौड़ा हो गया। 56 इंच के विरोधी पार्टी के हैं सो फुला-फुलाकर 65 इंच किया और कार्यालय की ऊंचाई दिखाई, बगल पंप-संप, आगे की खाली जमीन, कुछ दूसरे लोगों का घर भी और बोले- यह सब अपना ही है, यहां का पूरा एम्पायर ही अपना है।
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भैया से अधिक फास्ट है भौजी
पापा के पप्पू का अब प्रमोशन हो गया है। अब वह युवाओं का भैया और बड़ों के बीच घर का बच्चा कहलाने लगा है। पप्पू वाला लक्षण भी फूलेलाल में बदल रहा है। बहुत बेचारा टाइप से घूमते थे शुरू में, पर अब रेस हैं। यह 'होमियोपैथ डोज' का कमाल है। सुस्ती छंट गई और भैया-भौजी दोनों रेस हैं। अब आप बड़े-छोटे के हिसाब में बहू-भवाज वाली बात सोच रहे होंगे तो बता दूं कि दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है, अब तो बड़े भाई की पत्नी बड़ी भौजाई और छोटे भाई की पत्नी छोटी भौजाई। कन्फ्यूजन दूर! खैर, भैया-भौजी के रेस में भौजी थोड़ा फास्ट है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि साथ में चलने वाले बोलते हैं। पूरा फर्राटेदार हिन्दी-अंग्रेजी में माया फैला रही हैं। वैसे, भैया भी मायावी हैं, पर नेपाल और कपार वाली कहवात भी लागू है। यानी, पप्पू वाला भाव कभी-कभी लौट आता है। उनका नुनू-कुनू-पुनू-चुनू सब परेशान है कि चलते-चलते खाली हाथ जोड़ लेते हैं और समझते हैं कि जिसके आगे हाथ जोड़ दिया वही वोट दे देगा। अरे, भई थोड़ा गपशप भी करो, अपना प्रभाव भी जताओ। और, नहीं कर पा रहे तो दवा का डोज बढ़वा लो।