Move to Jagran APP

सबकी भागीदारी से सपना होगा सच

भागलपुर : सबसे बड़ी अहम बात तो यह भी है कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं बनाई जा सकती। रुपरेखा और बेसि

By Edited By: Published: Fri, 28 Aug 2015 02:37 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2015 02:37 AM (IST)
सबकी भागीदारी से सपना होगा सच

भागलपुर : सबसे बड़ी अहम बात तो यह भी है कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर नहीं बनाई जा सकती। रुपरेखा और बेसिक ड्राफ्ट तो कागजों पर ही होता है। लेकिन उसके बाद जमीनी पहल सबसे अहम होता है। योजनाओं के लिए बनाई गई रूपरेखा पर किस प्रकार तय सीमा के अंदर उसपर अमल होता है। जमीनी कामयाबी के लिए कई चीजें जरूरी होती है और इस योजना में यह साफ दिख रहा है कि केंद्र सरकार की यह खूबसूरत पहल राज्य सरकार की भागीदारी के बगैर रंग नहीं ला पाएगी। ऐसे में सरकारी एजेंसियों का तालमेल जरूरी है और उससे भी बड़ी जरूरत है योजना के तहत आनेवाली हर बाधा का त्वरित निराकरण, तभी देश में स्मार्ट सिटी का सपना सच हो पाएगा।

loksabha election banner

स्मार्ट बनने की होगा कोशिश

क्या आप किसी वैसे शहर की कल्पना कर सकते हैं, जिसकी सड़कों पर स्थित हर खंभे पर कैमरे लगे हों, रात में पैदल यात्री के उपस्थित होने पर बल्ब स्वत: जल जाए अन्यथा डिम हो जाए, सूर्य की रोशनी के अनुरूप घरों की लाइटें घटाई बढ़ाई जा सकें और शिक्षक की गैर-हाजिरी पर किसी दूसरे स्कूल का शिक्षक वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिये पढ़ा सके। जी हा, मोदी सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना इसी कल्पना को साकार करने वाली है। आपके जहन में तमाम सवाल आयेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने शहरी भारत को रहन-सहन, परिवहन और अन्य अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने के इरादे से तीन महत्वाकाक्षी योजनाओं- स्मार्ट सिटीज, अटल मिशन फॉर रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रासफॉर्मेशन (अमृत) और सभी को आवास योजना- का शुभारम्भ किया है। इन परियोजनाओं से देशवासियों की उम्मीदों को नयी उड़ानें मिलती नजर आ रही है और सपनों को संजीवनी।

क्या-क्या हैं स्मार्ट सिटी के मकसद

शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना परिवहन व्यवस्था को बेहतरीन बनाना शहरों की छवि खराब करती झुग्गी झोपड़ियों को हटाना झुग्गी में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक सुविधा मुहैया कराना शहरी संसाधनों, स्त्रोतों और बुनियादी संरचनाओं का सक्षम ढंग से विकास करना 2022 तक सभी को आवास उपलबध कराना वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की वर्तमान जनसंख्या की लगभग 31 फीसद आबादी शहरों में बसती है और इनका सकल घरेलू उत्पाद में 63 फीसदी का योगदान हैं। ऐसी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक भारत की आबादी का 40 फीसदी हिस्सा शहरों में रहेगा और सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 75 प्रतिशत का होगा। इसके लिए भौतिक, संस्थागत, सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढाचे के व्यापक विकास की आवश्यकता है। ये सभी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं लोगों और निवेश को आकर्षित करने, विकास एवं प्रगति के एक बेहतर चक्र की स्थापना करने में महत्वपूर्ण हैं। स्मार्ट सिटी का विकास इसी दिशा में एक कदम है।

क्या-क्या है स्मार्ट सिटी मिशन में

इस मिशन में 100 शहरों को शामिल किया जाएगा। इसकी अवधि पाच साल (2015-16 से 2019-20) की होगी। पाच साल पूरे होने पर मंत्रालय द्वारा मूल्याकन किया जायेगा और तब तय किया जायेगा कि इस मिशन को कहा-कहा चलाया जाये। 100 स्मार्ट शहरों की कुल संख्या एक समान मापदंड के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वितरित किया गया है। इस वितरण फार्मूला का इस्तेमाल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अमृत के तहत धनराशि के आवंटन के लिए भी किया गया है। स्मार्ट सिटी मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में संचालित किया जाएगा। पाच साल में 48,000 करोड़ रुपये, करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत दिये जायेंगे।

भागलपुर का लगा पहला नंबर इंटर-सिटी कंपिटिशन में शहरों के स्मार्ट सिटी प्लान पर भागलपुर नगर निगम ने पहले चरण में जगह बना ली है। देश के 20 शहरों को स्मार्ट सिटीज के लिए चुन लिया गया। बाकी 80 शहरों के चयन का काम 2017-18 तक पूरा कर लिया जाएगा। रैंकिंग में सबसे ऊपर आए 20 स्मार्ट सिटीज के बाद बाकी 80 शहरों को खुद के प्लान में सुधार का मौका दिया गया है। काम शुरू होने के बाद कार्यो की समीक्षा मिशन के कार्यान्वयन के दो साल बाद की जाएगी। जिन राज्यों / शहरी स्थानीय निकायों का प्रदर्शन अच्छा होगा उन राज्यों को शेष संभावित स्मार्ट शहरों में से कुछ का पुन:आवंटन किया जाएगा। यानि जितना स्मार्ट स्टेट उतनी स्मार्ट सिटीज। जो स्मार्ट सिटी नहीं उन्हें दिया जायेगा अमृत 100 स्मार्ट सिटीज के अलावा देश भर से अब तक 476 शहरों की पहचान अमृत योजना के लिए की गई है। ये सारे शहर कम से कम एक लाख की आबादी वाले होंगे। इन शहरों को बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से मदद मिलेगी।

स्मार्ट सिटी मिशन व अमृत योजना से बदलेगा बुनियादी ढांचा

सरकार की कई क्षेत्रीय योजनाएं इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए शामिल होती हैं, भले ही उनके रास्ते अलग हैं। शहरी योजनाओं के स्वरूप में बदलाव करके उन्हें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस शहर में तब्दील करने में अमृत और स्मार्ट सिटी मिशन एक-दूसरे के पूरक साबित होने वाले है। हर कोई चाहेगा वो स्मार्ट सिटी में रहे। हर कोई चाहता है कि वे स्मार्ट सिटी के निवासी कहलाएं, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक शहर आखिर स्मार्ट कब कहलाता है। इस सवाल का जवाब कुछ शब्दों में बाधा नहीं जा सकता, क्योंकि सरकार से लेकर इन योजनाओं पर काम करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां और आम लोग सबका जवाब अलग-अलग होगा। हर शहर की अपनी संस्कृति और अपना चरित्र होता है। हर शहर की अपनी कुछ विशेषताएं होती हैं। कई शहर बसावट में ही काफी जटिल और दुर्गम होते हैं और कुछ शहर काफी सहज होते हैं। स्मार्ट सिटी शब्द सुनते ही सबसे पहले जो तस्वीर उभरती है वह कुछ ऐसी होती है।

मन उभरती है ऐसी तस्वीर :

- एक शहर जहा की जलवायु शुद्ध हो, लोग खुली हवा में सास ले सके

- बिजली-पानी की सप्लाई 24 घटे सुचारू हो।

- बिजली कटौती कतई न हो। -दिनभर लोगों को ट्रैफिक में न जूझना पड़े

- सार्वजनिक यातायात उपलब्ध जो विश्व स्तरीय हों।

- बुनियादी सुविधाएं जैसे किसी चीज की बुकिंग, बिल जमा करना, आदि बेहद सुगम हो।

- सड़कें, इमारतें, शापिंग माल, सिनेप्लैक्स सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से बने हों।

- अनाधिकृत कॉलोनियों की सड़ाध मारती गलिया न हों।

- शहर में झुग्गी-बस्तिया न हों।

- कुछ ऐसा शहर दिखे जहा लोगों के रहन-सहन में समानता दिखे। -सड़कों पर कूड़ा-करकट कतई न दिखे।

- मुख्य समेत शहर सड़के एकदम साफ हों।

- स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, आदि अत्याधुनिक सुविधओं से लैस हों।

- शहर में बिजली के ग्रिड से लेकर सीवर पाइप सब कुछ अच्छे नेटवर्क में हों।

- सड़के, कारें और इमारतें हर चीज एक-एक नेटवर्क से जुड़ी हों।

- इमारत अपने आप बिजली बंद करें, स्वचालित कारें खुद अपने लिए पार्किंग ढूंढें।

- शहर ऐसा जिसका कूड़ादान भी स्मार्ट हो।

- गैस सिलेंडर के लिये लाइन लगने के बजाये, पाइपलाइन घर तक आये। - ऐसी व्यवस्था हो जिससे अपराध कम हों और लोग सुकून से रह सकें।

शहर के लिए क्या हैं चुनौतिया

- शहर में आधुनिक व सही मैपिंग की व्यवस्था

-शहर में अवैध कब्जों की भरमार है।

-सीवर लाइनें बेतरतीब बिछी हैं।

- शहरों का बेतरतीब निर्माण हो चुका है।

- लोग सड़क पर कूड़ा फेंकने के आदि हो चुके हैं।

- शहर के लोग कटिया डालकर बिजली चलाने में निपुण हैं।

- शहर इलाके व गलियों में बसे हैं, उन्हें कैसे स्मार्ट बनाया जाये

- शहर में ट्रैफिक लाइट की व्यवस्था करना।

क्या स्मार्ट बनने के बाद करेंगे :

- बिहार में बिजली की बहुत कमी है।

-शहर तो तब स्मार्ट होगा जब बिजली होगी।

- शहर स्मार्ट बन गया तो हर इमारत, बिजली के खंभे और पाइप पर लगे सेंसरों पर कौन निगरानी रखेगा

-हर व्यवस्था को बेहतरीन ढंग से चलाने के लिये यंत्रों को कौन नियंत्रित करेगा

कैसी होगी 2050 की दुनिया: इसमें कोई संदेह नहीं है कि शहरों को स्मार्ट बनने की जरुरत है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी, जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर जबरदस्त दबाव होगा। सच्चाई यह है कि दुनियाभर में इस समय जो स्मार्ट शहर बन रहे हैं वे बहुत छोटे हैं। इन शहरों के बारे में काफी चर्चा हो रही है लेकिन उनके पास ऐसी कोई तकनीक नहीं है जिससे वास्तव में लोगों की जिंदगी में बदलाव आ रहा है। हालाकि अगले केंद्र प्रायोजित योजना से भागलुपर आने वाले पाच सालों में चीजें स्मार्ट हो जाएंगी। ऐसा नहीं कि भारत स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर होने वाला पहला देश है, इससे पहले से कई देशों में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं बेहतरीन तरीके से क्रियान्वित की जा चुकी हैं। भारत में भी यदि इसे संजीदगी से अमल किया जाए तो इसे मोदी सरकार की बेहतरीन पहल कही जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.