सेतु बनवाते-बनवाते खुद सेतु बनने लगे
भागलपुर। हैवीवेट नेता जी। यह नाम लेतहीं सब्भे बूझ जाता है के हैं। बूझेगा काहे नहीं, हेत्ता भारी देह
भागलपुर। हैवीवेट नेता जी। यह नाम लेतहीं सब्भे बूझ जाता है के हैं। बूझेगा काहे नहीं, हेत्ता भारी देह वाला, पुरनका शेर। एक्के गो तो हैं अप्पन जिला में। पिछलके बार रिटायरमेंट की घोषणा कर दिए थे, पर अबकी एक्सटेंशन ले लिए हैं। बल्कि, इ कहिए कि एक्सटेंशन लिए पड़ गया उनको। काहे ले रहे एक्सटेंशन, अब तो चैन कीजिए, अगर केहू इ पूछ दिया तो पहले हेन्ने-होन्ने ताक लेंगे फिर लंबा-लंबा हाफी ले-ले के बोलेंगे- हम तो सोचिए लिए थे कि रिटायरमेंट ले लेंगे अबकी, पर ऊ नीकु कह रहे हैं कि आप को इस बार लड़ना ही होगा। आप हम दोनों-तीनों पार्टियों के बीच सेतु का काम करेंगे। साहेब हैं भाई! बात तो मानना ही पड़ेगा न! और अब तो हमको भी लग रहा है कि सच में तीनों को जोड़े वाला पुल बनके रहेंगे। सेतु.. पुल..। हां, याद आया कि नेता जी पुल बनवावे में एक्सपर्ट रहे हैं। स्कू पुल टूटे के बाद उनका इ क्वालिटिया लोग सब के सामने आया था। नाव पुल, पीपा पुल, पक्का पुल! अलग बात है कि कोनो आज तक सक्सेस नय हुआ। बगलो वाला स्कू पुल अब्बे-तब्बे है और उहों दिमाग लगइले हैं। वोकर बगल में सिंटुआ पार उतारे चला था, आधे में भाग गवा। उहो पुल बनवावे के लिए चिट्ठी-पतरी कर रहे हैं। और, अब देखिए, खुदे पुल बने लगे हैं! खैर, छोड़िए इ सब। पहले आपलोग इ बताइये कि नेता जी पुल बने वाली बात गले उतरी? आंय..! त का चाहते हैं कि कह दें उनका पप्पुए अबरी नहीं चला तो एक्सटेंशन लेना पड़ा! हूंह..! कुच्छु बूझबे नहीं करते हैं। भारी देह, बोले में दम फुलता है। पुले वाला लाइन बोले में एकाध दर्जन बार लंबा-लंबा सांस लिए पड़ा था और आप लोग हैं कि भूकइबे करेंगे!