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श्रावणी मेले में प्रति कांवरिया एक रुपया देती है सरकार

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता] विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला (कांवरिया मेला) शुक्रवार से शुरू हो गया। इस

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 02:14 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 02:14 AM (IST)
श्रावणी मेले में प्रति कांवरिया एक रुपया देती है सरकार

भागलपुर [राम प्रकाश गुप्ता] विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला (कांवरिया मेला) शुक्रवार से शुरू हो गया। इस मेले में प्रति वर्ष जहां कांवरियों की संख्या बढ़ रही हैं वहीं आवंटन या तो घट रहा है, या फिर इसमें वृद्धि करने के प्रति सरकार उदासीन है। राजस्व, पर्यटन और पीएचईडी के आवंटन को मिलाकर देखें तो औसतन एक रुपया प्रति कांवरिया खर्च बैठता है। इस बार राजस्व विभाग ने मेला की व्यवस्था के लिए 58 लाख, पर्यटन विभाग ने पांच लाख और पीएचईडी ने 30 लाख रुपए का आवंटन दिया है। सरकार से कुल आवंटन करीब 93 लाख है। करीब-करीब इतनी ही संख्या में कांवरिया श्रद्धालु एक माह के सावन माह में सुल्तानगंज आते हैं। इनमें से 90 फीसद कांवरिया पैदल कच्ची पथ होकर बाबाधाम जाते हैं और 10 फीसद कांवरिया जल उठाने के बाद अपनी सुविधानुसार देवघर और बासुकीनाथ पहुंचते हैं। वैसे सरकार ने स्वच्छता और सफाई के लिए आवंटन दिया है। यह आवंटन सीधे नगर विकास विभाग से सुल्तानगंज नगर परिषद को प्राप्त होता है।

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सुल्तानगंज में बाबा अजगैवीनाथ मंदिर और उत्तरवाहिनी गंगा का अपना महत्व है। बाबा धाम स्थित शिवलिंग पर उत्तरवाहिनी गंगा का ही जल अर्पण करने की पौराणिक परंपरा है। इसी परंपरा के तहत वर्षों से देश के कोने-कोने से लोग यहां आकर पूजा अर्चना करने के बाद संकल्प कराकर जल उठाते हैं। पिछले सात वर्षों से यह मेला राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त कर लिया है। राज्य स्तर पर मेला प्राधिकार का गठन इसी उद्देश्य से किया गया कि सरकार की सुविधाएं बढ़ेगी तो कांवरियों को परेशानी कम होगी। इसके लिए राज्य में एनडीए की सरकार गठित होने के बाद कच्ची कांवरिया पथ बनाया गया। पहले कांवरिया तारापुर, रामपुर होते हुए सड़क मार्ग से देवघर पहुंचते थे। अब कच्ची सड़क से जाने लगे हैं। लेकिन इन आठ वर्षों में कच्ची कांवरिया पथ में किसी तरह की सुविधा विकसित नहीं हुई। जबकि मेला के उद्घाटन में यह घोषणा होती रही है कि कच्ची कांवरिया पथ में सुविधाएं विकसित कर इस लायक बनाया जाएगा कि यहां सालोंभर कांवरिया आ सके। लेकिन इस व्यवस्था पर काम नहीं हुआ। कच्ची कांवरिया पथ में एक भी धर्मशाला नहीं है न ही कोई शिविर। भागलपुर जिला प्रशासन अपने सीमा के अंतिम छोड़ धांधी बेलारी में शिविर लगाकर औपचारिकता पूरी कर लेता है। इस शिविर में स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था रहती है। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन पर्यटन विभाग के सौजन्य से कराया जाता है।

राजस्व विभाग के अनुसार श्रावणी मेला के नाम पर मुंगेर जिला प्रशासन को 45 लाख, बांका जिले को 40 लाख, लखीसराय जिले को 18 लाख और जमुई जिले को 10 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। दो दिन पूर्व पटना में मेला प्राधिकार के अध्यक्ष सह राजस्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव की अध्यक्षता में मेला सुविधा को लेकर बैठक हुई थी। अपर समाहर्ता हरिशंकर प्रसाद ने बताया कि आवश्यकतानुसार मांग करने पर और राशि मिलेगी।


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