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पाठकनामा : 29.07.2015

हर दिल अजीज थे कलाम साहब किसे पता था कि रामेश्वरम की गलियों में अखबार बेचने वाला वह बालक इतना ब

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 03:20 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 03:20 AM (IST)
पाठकनामा : 29.07.2015

हर दिल अजीज थे कलाम साहब

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किसे पता था कि रामेश्वरम की गलियों में अखबार बेचने वाला वह बालक इतना बड़ा आदमी बन जाएगा कि दुनिया भर के अखबारों का मुख्य समाचार बन जाएगा। एपीजे अब्दुल कलाम के आकस्मिक निधन से ऐसा लग रहा है मानो एक युग का अंत हो गया। वे केवल विज्ञान व तकनीक में ही नहीं, बल्कि श्रेष्ठतम मानवीय संवेदनाओं, भाइचारे के प्रतीक के रूप में भी सदा याद किए जाएंगे। यह संयोग नहीं था कि उन्होंने अंतिम सास आईआईएम शिलाग में विद्यार्थियों को संबोधित करने के दौरान ली। यह उनकी 84 वर्ष की आयु में सक्रियता की निशानी थी। वे केवल मशीनों के इर्द-गिर्द घूमने वाले वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि उन्होंने एक शिक्षक की भूमिका भी बड़े ही शिद्दत से निभाई। वह कहते थे-सपने वो नहीं होते जो हम सोते वक्त देखते हैं, बल्कि सपने तो वो होते हैं जो हमें सोने नहीं देते हैं। उन्होंने राष्ट्रपति बन कर देश को आगे बढ़ाया। वे सभी की आखों के तारे थे। उन पर किसी शायर की ये पंक्तियां सटीक बैठती हैं-निभा जिंदगी का किरदार कुछ इस तरह / पर्दा गिर जाए पर तालियां बजती रहे।

नेहाल अहमद,

युवा लेखक, किशनगंज। ईमेल:

उनके स्वप्नों का भारत बनाएं

देश के महान वैज्ञानिक व पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के अलविदा कहने पर हमें आसूं बहाने, दुखी या मायूस होने की जरूरत नहीं है। यह भी नहीं मानना चाहिए कि अब वे हमारे बीच नहीं रहे। हमें स्वयं में उन्हें जिंदा रखना चाहिए। हम इतने क्षमतावान बनें कि भारत को 2020 तक नॉलेज सुपर पावर बनाने के उनके लक्ष्य को पूरा कर सकें। उनके इस स्वप्न को साकार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धा होगी।

अरमान अजहर, मुंगेर। ईमेल:

सादा जीवन, उच्च विचार

मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम सादा जीवन, उच्च विचार के पर्याय थे। राष्ट्रपति बनने पर वे एक सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन गए थे और पद से मुक्त होने पर उसी के साथ विदा हुए थे। उनके जैसे लोग पैदा नहीं होते, अवतार लेते हैं। सच्चे देशभक्त, जननायक और प्रेरक महापुरुष को कोटि-कोटि नमन।

कमलेश कुमार,

भदौना, सोहंदर,अररिया।

विलक्षण प्रतिभा के धनी थे कलाम

भारत रत्‍‌न व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के लिए मिसाइल मैन, महामानव, सादगी के प्रतिमूर्ति जैसे शब्द बौने पड़ जाते हैं। वे एक कर्मयोगी की तरह जीवन भर चलते रहे। अंतिम सांस तक वे सक्रिय रहे। अद्भुत कौशल के धनी कलाम ने जिन उंगलियों से मिसाइल का निर्माण किया, उन्हीं उंगलियों को वीणा के तार पर फिरा कर वह मधुर संगीत भी निकालते थे। वे एक सफल वैज्ञानिक, कवि व लेखक थे। उस महामानव को विनम्र श्रद्धांजलि।

शिवनारायण शर्मा व्यथित, भरत कॉलोनी, पूर्णिया।


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