विकास जरूरी, लेकिन प्रजातियों को बचाना बहुत जरूरी : डॉ. चंद्रा
भागलपुर। हम विकास तो करें लेकिन हम अपनी प्रजातियों को बचाते हुए ही करें। पचास प्रजातियां हर वर्ष विल
भागलपुर। हम विकास तो करें लेकिन हम अपनी प्रजातियों को बचाते हुए ही करें। पचास प्रजातियां हर वर्ष विलुप्त हो रही हैं। हमने सिर्फ बीस प्रतिशत प्रजातियों को ही चिन्हित किया है। 80 प्रतिशत प्रजातियां ऐसी हैं, जिन्हें हम पहचान तक नहीं पाए हैं। उन्हें पहचानना है, दुनियां के सामने लाना है, नाम देना है। यह बातें फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट देहरादून की वैज्ञानिक डॉ. वीणा चंद्रा ने कही।
टीएनबी कॉलेज के बॉटनी व जुलोजी विभाग के प्लेटिनम जुबली समारोह के अवसर पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय समारोह के मौके पर डॉ. चंद्रा ंने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन प्रजातियों को बचाना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि माइनिंग के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं। अगर हम माइनिंग करते हैं तो माइनिंक क्षेत्र के दो सौ से तीन सौ ज्यादा गुणा ज्यादा बड़े क्षेत्र को डिस्टर्भ करते हैं। दुख की बात तो यह कि इसकी पूर्ति 20 साल बाद भी नहीं हो पाती। हम उस स्थानों पर पेड़ लगा देते हैं। क्या इससे क्षति पूर्ति हो जाती है। क्या उस तरह की मिट्टी बन जाती है? दो तीन हजार वर्ष लगते हैं उपर की मिट्टी बनने में।
इससे पूर्व सेमिनार की शुरूआत कुलगीत से हुई। मौके पर गुरु बंदना व स्वागत गान की प्रस्तुति ने उपस्थित जनों का मन मोह लिया। दूसरे सत्र के मौके पर भजन, ग्रुप डांस, गजल, कत्थक, कजरी, वेस्टर्न डांस व कव्वाली ने खूब तालियां बटोरी। इस अवसर पर बॉटनी के प्रोफेसर डॉ. एचके चौरसिया ने वैज्ञानिकों का स्वागत कविता की पंक्तियां पढ़कर आप ही इस देश की शान हैं,आप ही इस देश की जान हैं, जहां आप जैसे वैज्ञानिकों का फूल खिलता हो, उसी सरजमीं का नाम ¨हदुस्तान है।
टीएनबी कॉलेज अंग प्रदेश का गौरव: कुलपति
तिलकामाझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रमा शंकर दुबे ने कहा
विश्व की आबादी के हम 17 प्रतिशत आबादी वाले देश हैं। लेकिन हमारी जमीन दुनियां की मात्र तीन प्रतिशत ही है और जल संसाधन मात्र पांच प्रतिशत ही है। 17 प्रतिशत आबादी, वह भी इतनी तेजी से बढ़ रही है, बेलगाम है। शहरीकरण के कारण हमारी जमीन कम होती जा रही है। अगर हमारी स्थिति यूं ही विकट होती रही तो आने वाली आबादी को हम क्या खिलाएंगे। हमें इस पर सोचना होगा। यहीं पर हमें बॉयोटेक्नॉलाजी की तरफ हमें देखना होगा। हमें देखना होगा कि जब से बॉयोटेक्नॉलोजी बोर्ड की स्थापना हुई। रिसर्च होने लगे, उन उपलब्धियों को हमें आत्मसात करना होगा।
तापमान बढ़ने की वजह से वर्फ पिघल रहा है। शहरीकरण की प्रवृति के द्वारा हम जंगलों को काट रहे हैं। इस तरह से ग्लोबल वार्मिग की समस्या है, उसमें हमारी बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं। उन्होंने कहाकि टीएनबी कॉलेज की स्थापना 1889 में हुई थी। अपने स्थापना काल के बाद बॉटनी और जुलोजी विभाग आज प्लेटिनम जुबली वर्ष में प्रवेश कर रहा है। यह गर्व की बात है। टीएनबी कॉलेज अंग प्रदेश का गौरव है। क्योंकि जब कोई भी छात्र अच्छे मार्क्स से उत्तीर्ण होता है तो उसकी पहली चाहत होती है कि टीएनबी कॉलेज में वह एडमिशन ले। अंग प्रदेश के गौरव में तब और निखार आया जब 'नैक' के द्वारा इस कॉलेज को ए-ग्रेड मिला।
किसानों को हम कैसी टेक्नोलॉजी दे : प्रतिकुलपति
तिमांभावि के प्रतिकुलपति प्रो. एके राय ने कहा कि विज्ञान जब-जब विकास करता है तो उसका उद्देश्य होता है कि मनुष्य का कल्याण हो। हमारी जनसंख्या 130 करोड़ हो चुकी है, विज्ञान भी आगे बढ़ता चला जा रहा है। बायोटेक्नॉलोजी अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर रहा है। कोई भी क्षेत्र हो, हमें देखना पड़ेगा कि यह हमारे लिए कितना फायदेमंद है। हम अपनी आबादी के बावजूद भी खाद्य पदार्थो के लिए किसी पर आश्रित नहीं है। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि विज्ञान ने चमत्कार किया। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि महाराष्ट्र किसानों ने अपने आपको खत्म कर दिया। यह भी वैज्ञानिकों को सोचने की जरूरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों से सवाल किया कि क्या उनके पास कोई जवाब है? विज्ञान के माध्यम से हम माता-पिता को चिन्हित कर सकते हैं। अनुसंधान की उपयोगिता है समाज में। लेकिन किसानों के लिए हम कैसी टेक्नोलॉजी दें?
सेमिनार में मुख्य अतिथि आइआइटी मद्रास के प्रो. आरएस वर्मा, भावनगर के प्रो.भावनाथ झा, काशी ंिहंदू विश्वविद्यालय के प्रो.रजनीकांत, फैजाबाद के प्रो.कपिलदेव नारायण, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो विलक्षण रविदास, डीएसडब्ल्यू प्रो. उपेंद्र साह, टीएनबी कॉलेज के प्रो. फारूक अली, प्रो एसपी राय, भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएन पांडे, टीएनबी कॉलेज के प्रो ज्योतिंद्र चौधरी, तिमांभाविवि के विकास पदाधिकारी प्रो. इकबाल अहमद, बरबिघा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. कृष्ण कुमार आदि उपस्थित थे।