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छात्रों के बीच बंटे एक हजार से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नाम से एक हजार से अधिक फर्जी अंक पत्र छात्रों के बीच बा

By Edited By: Published: Sun, 21 Jun 2015 02:49 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2015 02:49 AM (IST)
छात्रों के बीच बंटे एक हजार से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के नाम से एक हजार से अधिक फर्जी अंक पत्र छात्रों के बीच बांटे गए हैं। फर्जी अंक पत्र सिर्फ बंगाल के छात्रों को ही नहीं बल्कि भागलपुर एवं अन्य जिले के छात्रों को भी दिए गए हैं। महज 10 हजार रुपये में फर्जी अंक पत्र आसानी से उपलब्ध कराया गया है। पुलिस फर्जी अंक पत्र के गिरोह तक पहुंचने के लिए अब बंगाल के छात्र एसके बापी की गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है।

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शनिवार को एसके बापी के नाम एवं पता का पूरा सत्यापन कर विश्वविद्यालय पुलिस ने प्रॉक्टर से पूरा रिकार्ड तलब किया है। एके बापी की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट में प्रे करने की तैयारी में है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि पुलिस के द्वारा चार्जशीट दाखिल करने के बाद एसके बापी पर कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ने पर उसकी डिग्री भी रद की जा सकती है। पिछले कुछ दिनों से बंगाल और आसपास के जिलों के कई छात्र सूचना अधिकार कानून (आरटीआइ) के जरिये परीक्षा विभाग से अंकपत्र की सत्यता के बारे में जानकारी मांग रहे थे। परीक्षा विभाग की जांच में आरटीआइ में पूछे गए अधिकांश अंक पत्र फर्जी पाए गए हैं। जांच में पता चला है कि फर्जी प्रमाण पत्रों को टॉफी की तरह बांटा गया है।

उधर, छात्र संघर्ष समिति के नेता अजीत कुमार सोनू ने कुलपति को आवेदन देकर फर्जी रैकेट के संबंध में विस्तार से जानकारी दी है। अजीत ने आवेदन में दर्जनों रोल नंबर एवं टीआर से जुड़ी जानकारी दी है। उसका कहना है कि परीक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी रैकेट का गिरोह चल रहा है। परीक्षा विभाग पर फर्जी अंक पत्र के साथ- साथ फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप लगाया गया है। छात्र नेता का कहना है कि आरटीआइ के जरिए जब सूचना मांगी गई तो सूचना नहीं दी जा रही है। जबकि टीआर और जारी अंक पत्र में भारी अंतर है। कुछ मामलों में टीआर को मैनेज किया गया है। छात्र नेता से विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने पूछा है कि उन्हें इतने फर्जी तरीके से जारी अंक पत्र एवं टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) की गोपनीय जानकारी कैसे है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि छात्र नेता के आरोपों की जांच कराई जाएगी। संबंधित रोल नंबर एवं टीआर की वस्तुस्थिति की जांच करने के बाद ही हकीकत का खुलासा हो पाएगा।


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