तोमर कांड में नया मोड़, बयान से पलटे पूर्व परीक्षा नियंत्रक
भागलपुर। तोमर कांड में नया मोड़ आ गया है। पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजेंद्र सिंह अपने बयान से पलट
भागलपुर। तोमर कांड में नया मोड़ आ गया है। पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजेंद्र सिंह अपने बयान से पलट गए हैं। दिल्ली पुलिस को उन्होंने लिखित रूप से बताया था कि तोमर को जारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट में बतौर परीक्षा नियंत्रक उनका हस्ताक्षर नहीं है। उनके हस्ताक्षर पहचानने से इंकार करने के बाद दिल्ली पुलिस ने प्रो. सिंह के 100 से अधिक हस्ताक्षर को जांच के लिए लिया था।
शनिवार को प्रो. सिंह विश्वविद्यालय पहुंचे। विश्वविद्यालय की जांच कमेटी के समक्ष उन्होंने लिखित रूप में बताया कि 2001 के तोमर के जारी प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर बतौर परीक्षा नियंत्रक उनका ही हस्ताक्षर है। जांच पड़ताल एवं सोच विचार करने के बाद उन्हें अपना हस्ताक्षर याद आ गया। प्रो. सिंह ने बताया है कि गोपनीय सेक्शन के समीप कोरीडोर में चलते-फिरते उन्होंने हस्ताक्षर किया था। लड़कों की भीड़ के कारण खड़े होकर उन्हें हस्ताक्षर करना पड़ा था। जांच कमेटी ने प्रो. सिंह के लिखित स्वीकारोक्ति बयान को दिल्ली पुलिस को सौंपने का निर्णय लिया है। दिल्ली पुलिस को भी प्रो. सिंह के बयान बदलने की जानकारी दे दी गई है।
प्रो. सिंह ने अपनी गलती मानते हुए कहा कि भ्रम की स्थिति के कारण वो पुलिस के समक्ष अपने हस्ताक्षर को नहीं पहचान सके। इसके लिए वो पुलिस से क्षमा मांगेंगे। तोमर के प्रोविजनल सर्टिफिकेट में टेबलेटर के रूप में हस्ताक्षर करने वाले पीजी उर्दू के पूर्व एचओडी प्रो. रजी अहमद ने अपना हस्ताक्षर स्वीकार कर लिया है।
उधर, दिल्ली पुलिस ने प्रो. सिंह के हस्ताक्षर एवं प्रोविजनल में अंकित प्रो. राजेंद्र के नाम हस्ताक्षर के मिलान के लिए उसे लैब भेज दिया है। लैब रिपोर्ट आने के बाद पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। दिल्ली पुलिस जितेंद्र सिंह तोमर को जेल भेजने के बाद भागलपुर विश्वविद्यालय के चार लोगों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए कोर्ट में आवेदन देने की तैयारी कर रही है।
'' प्रोविजनल सर्टिफिकेट छह महीने के लिए जारी होता है। तोमर के प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर मेरा ही हस्ताक्षर है। भ्रम के कारण में उसे पुलिस के समक्ष नहीं पहचान सका।
प्रो. राजेंद्र सिंह पूर्व परीक्षा नियंत्रक टीएमबीयू