भूकंप के भय से लोग बन रहे दिल के मरीज
जागरण संवाददाता, भागलपुर : जब से भूकंप के झटके आने शुरू हुए हैं लोगों की घबराहट बढ़ गई है। घर में रह
जागरण संवाददाता, भागलपुर : जब से भूकंप के झटके आने शुरू हुए हैं लोगों की घबराहट बढ़ गई है। घर में रहने से भय लगता है। कहां जाय उसे समझ में नहीं आता। संगीता के पति भी दिल के मरीज हो गए। ऐसे कई लोग हैं जो पहले स्वस्थ थे लेकिन भूकंप की वजह से उनकी हदय गति बढ़ी हुई है। मंगलवार को जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में घबराहट की बीपी बढ़ने और चक्कर आने से गोपालपुर के महेश को भर्ती किया गया है।
डॉ. एमएन झा के मुताबिक इसे पेनिक अटैक कहा जाता है। यानि भय के वातावरण में जीना। ऐसे माहौल का लगातार रहने से लोग भयभीत हो जाते हैं। और घबराहट में अपना आपा तक खो देते हैं। भूकंप के झटके से लोग ऐसे ही परेशान हैं।
डॉ. झा के मुताबिक खासकर उच्च रक्तचाप (बीपी) के मरीज जिनका बीपी कंट्रोल नहीं हो रहा है और हृदय रोग के मरीजों को ज्यादा घबराहट हो रही है। ऐसे में घर के लोगों को सावधानियां बरतनी चाहिए। हड़बडी में दौड़ने से धड़कन तेज हो जाती है, रक्त संचार बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हार्ट अटैक भी हो सकता है। अत: भूकंप आने पर मन को शांत कर घर से निकले। अथवा किसी मजबूत टेबुल या घर के कोने में दुबक जाय। बीपी के मरीज को बीपी कंट्र
डॉ. अशोक कुमार सिंह के मुताबिक कई लोग घबराहट की वजह से अचानक बीपी के मरीज हो रहे हैं। ऐसे भी लगातार भय के वातावरण में जीने से लोगों की मानसिक स्थिति कमजोर हो जाती है। उपर से लगातार अफवाह से लोग मानसिक रुप से बीमार हो रहे हैं। ऐसी परिस्थिति से बचने का सिर्फ एक उपाय है कि आप मन को शांत रखिए। जो होना होगा, उसे कोई रोक नहीं सकता।
गर्भवती महिलाएं रहे सतर्क : डॉ. इमराना रहमान ने कहा कि भूकंप आने पर गर्भवती महिलाएं दौड़े नहीं। ऐसा करने पर वो गिर सकती हैं। इसका असर बच्चेदानी पर पड़ सकता है। खासकर जब गर्भ में सात, आठ या नौ माह का शिशु हो तो ऐसी परिस्थितियों में उन्हें हर वक्त सचेत रहने की आवश्यकता है। क्योंकि तेजी से चलने या दौड़ने से उन्हें चोट लग सकती है। इससे रक्तश्राव और पानी गिरने की संभावना रहती है। जिससे की गर्भपात भी हो सकता है। दौड़ने से महिला के साथ ही गर्भस्थ शिशु की धड़कनें भी तेज हो जाती हैं। महिला बेहोश भी हो सकती है। संभव हो तो गर्भवती महिलाओं को निचले तल पर ही रखें। ताकि भूकंप आने पर उन्हें आसानी से धीरे-धीरे सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सके।