मांझी को अफसोस, नहीं लागू करा सका एससी की योजनाएं
जागरण संवाददाता, भागलपुर : पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को अफसोस है कि वे करीब नौ माह तक कुर्सी प
जागरण संवाददाता, भागलपुर : पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को अफसोस है कि वे करीब नौ माह तक कुर्सी पर रहे और दलित-महादलितों के लिए उपयोगी योजनाओं को लागू नहीं करा सके। मांझी का सीधा आरोप है कि इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डंडी मार दी।
गरीब स्वाभिमान रैली में बोलते हुए मांझी ने कहा कि उनके कार्यकाल में राज्य का बजट आकार 40 हजार करोड़ रुपए का था। एससी-एसटी की आबादी 17 फीसद है। इसके हिसाब से उनके लिए 6800 करोड़ रुपए बनता है। जब इस मद में राशि का निवेश होता तो इन वर्गों के अलावा दूसरे वर्ग या जाति के लोग भी लाभान्वित होते। उनके लिए तालाब, पोखर, सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र आदि का निर्माण होना था। नीतीश ने इस राशि को सभी विभागों में बांट दी। जिसकी वजह से समुचित राशि खर्च नहीं हुई और राशि लौट गई। मांझी ने कहा उनकी योजनाओं को लागू नहीं करा सकने के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि मैंने राजनीति में मक्खनबाजी नहीं सीखी। सीएम बनने के बाद गरीबों के लिए काम करना चाहा। उनके लिए कई फैसले लिए। सिपाही, होमगार्ड, संविदा शिक्षक के लिए फैसले लिए। कहा कि अन्यान्य विषय में नीतीश ने जो फैसले लिए वे ठीक हो सकते हैं वहीं जीतन ने जो फैसले लिए वे कैसे गलत हो गए। मांझी का दस्तखत नापाक हो गया, नीतीश ने किया तो पास हो गया। कहा कि 20 अप्रैल को पटना रैली में 34 एजेंडे पर दो घंटे तक बोलकर राज्य की जनता को संदेश देंगे। कहा कि हमको दुख है कि काम करने का मौका नहीं मिला। मौका मिलता तो गरीबों का कल्याण कर देता। जनता से कहा कि नीतीश कुमार को इसका जवाब नवम्बर के चुनाव में बैलेट से देना है। रैली में झुग्गी झोपड़ी और नन बैंकिंग की समस्या को देखा और कहा कि इसका समाधान होगा। हटाने के पहले नीतीश कुमार ने उनसे कुछ पूछा तक नहीं। रैली में राजद से आए दिवाकर चंद्र दूबे और कांग्रेस से आए मृत्युंजय प्रसाद सिंह का स्वागत किया गया। दोनों को हम में शामिल किया गया।