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ममता के आंचल में बांटती ज्ञान विज्ञान

जागरण संवाददाता,भागलपुर: 55 साल की छाया पांडेय भागलपुर में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। बिहार के प

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 02:10 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 02:10 AM (IST)
ममता के आंचल में बांटती ज्ञान विज्ञान

जागरण संवाददाता,भागलपुर: 55 साल की छाया पांडेय भागलपुर में किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। बिहार के प्रथम बालिका इंटर स्कूल मोक्षदा में पदस्थापित छाया पांडेय छात्राओं के बीच आदर्श बन चुकी हैं। बायोलॉजी की शिक्षिका छाया पांडेय स्कूल में पढ़ाई के अलावा छात्राओं को ज्ञान की बातें भी बताती हैं। किसी गरीब छात्रा को अगर फॉर्म भरने में पैसे की दिक्कत आती है तो ऐसी छात्राएं बेहिचक उनसे आर्थिक मदद लेती हैं। छाया पांडेय की स्कूली शिक्षा भी मोक्षदा इंटर स्कूल में हुई है। लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा उनका मिशन है। ऐसे में अपने ही स्कूल की लड़कियों को शिक्षा से लेकर अन्य क्षेत्रों में अव्वल बनाने में वो सैदव तत्पर रहती हैं। छाया पांडेय के पति प्रो. अक्षय कुमार दुबे खुद प्रोफेसर हैं। कमजोर छात्राओं की मेधा को निखारने के लिए वो उसे अलग से पढ़ाती भी हैं।

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बच्चों में दायित्व बोध : छाया पांडेय न केवल मोक्षदा बालिका स्कूल में बल्कि शहर में आयोजित अधिकांश शैक्षणिक कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं। विज्ञान की शिक्षिका होने के बाद भी उनकी हिंदी काफी अच्छी है। शैक्षणिक कार्यक्रम के संचालन के जरिए वो छात्र-छात्राओं में दायित्वबोध कराती रहती हैं। इसके अलावा स्कूल में दिवस विशेष के जरिए छात्राओं को प्रेरक जानकारियां देती हैं। क्लास रूम में वो छात्राओं से अक्सर पूछती रहती हैं किसने आज अपनी मां का पैर छुआ है। मां के बारे में वो मां की तरह छात्राओं को दायित्व बोध कराती हैं।

नागरिक मूल्य : छाया पांडेय छात्राओं को सड़क पर चलने से लेकर बुजुर्गो की मदद का पाठ भी पढ़ाती हैं। छात्राओं को नागरिक मूल्य का भी ज्ञान कराती हैं।

राष्ट्रीयता एवं चारित्रिक संस्कारों का निर्माण : इंटर स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं को बताती हैं कि उनके लिए सबसे पहले राष्ट्रहित होना चाहिए। 15 अगस्त, 26 जनवरी एवं अन्य महत्वपूर्ण दिवस पर छात्राओं को राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाना नहीं भूलतीं। छात्राओं के मजबूत चरित्र के निर्माण पर भी जोर देती हैं।

अधिकतम उपस्थिति : छाया पांडेय के बायोलॉजी पढ़ाने का अंदाज निराला है। वो बायोलॉजी को क्विज एवं गु्रप स्टडी, नाटक के जरिए पढ़ाती हैं। इस कारण उनकी कक्षा में सर्वाधिक छात्राओं की उपस्थिति रहती हैं।

शिक्षकों की कौशल वृद्धि एवं नवीन शिक्षण व प्रशिक्षण : छाया पांडेय स्टेट लेवल की रिसोर्स पर्सन भी हैं। एड्स एवं किशोरावस्था में होने वाली बीमारियों से वो छात्राओं को अक्सर प्रशिक्षण देती हैं। इसके अलावा अपने साथी शिक्षकों को भी मार्गदर्शन देती रहती हैं। विज्ञान को नए तरीके एवं नई जानकारी के साथ पढ़ाने में उन्हें मजा आता है।

माता-पिता की प्रेरणा से जीवन का उद्देश्य बदला : छाया पांडेय भी आम शिक्षकों की तरह होतीं। लेकिन माता पिता की प्रेरणा से दिए गए संस्कारों ने उनके जीवन मूल्य को ऊंचा एवं अलग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अनाथ एवं नेत्रहीन बच्चों के बीच भी छाया पांडेय अक्सर जाती रहती हैं।

क्या कहती हैं छात्राएं : छात्रा सुरभि कुमारी, शिफा कुमार, रूपा कुमारी का कहना है कि छाया मैडम क्लास रूम में अनूठे अंदाज में पढ़ाती हैं। ममता के आंचल में ज्ञान - विज्ञान का पाठ पढ़ाती हैं। स्कूल की प्राचार्या सुषमा गुप्ता भी छाया पांडेय की प्रतिभा की तारीफ करती हैं।


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