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पटाखों से इस बार कम रोया पर्यावरण

जागरण संवाददाता,भागलपुर: भीखनपुर के राजेश कुमार सिंह ने इस बार दीपावली का पर्व बागवानी को समय देकर म

By Edited By: Published: Fri, 24 Oct 2014 07:36 PM (IST)Updated: Fri, 24 Oct 2014 07:36 PM (IST)
पटाखों से इस बार कम रोया पर्यावरण

जागरण संवाददाता,भागलपुर: भीखनपुर के राजेश कुमार सिंह ने इस बार दीपावली का पर्व बागवानी को समय देकर मनाया। पटाखों से वो कोसों दूर रहे। हर बार पटाखे फोड़ने वाले राजेश की सोच में इस बार पर्यावरण जागरूकता का असर दिखा। पर्यावरण के दृष्टिकोण से इस बार की दीवाली कुछ खास रही। कुछ खास इस मायने में की इस बार पटाखों ने पर्यावरण को कम रुलाया। पहली बार लोगों में ग्रीन दीवाली की सोच ने जन्म लिया। पौधों के व्यवसाय से जुड़े चंद्रशेखर सिंह की दीवाली भी पौधों के बीच मनी। उन्होंने भी घर में सिर्फ दीये जलाए। उनका कहना है कि इस बार पर्यावरण के ख्याल से पटाखे कम फोड़े गए। लोगों ने अधिक से अधिक रोशनी वाले पटाखे का उपयोग किया। कानफाड़ू पटाखों से शहर ने परहेज किया। पर्यावरणविदों का कहना है कि पर्यावरण जागरूकता का असर है कि लोगों ने इस बार पटाखों का कम उपयोग किया है। यह पर्यावरण के लिए एक अच्छा संकेत है। भूगोल के शोध छात्र राजराजीव ने बताया कि पटाखे तो कम फूटे ही बिजली की अच्छी स्थिति के कारण केरोसीन का भी कम प्रयोग हुआ है। इससे ध्वनि के साथ- साथ वायु प्रदूषण में भी कमी रही है।

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दीपावली के दिन खूब बिके पौधे

दीपावली में इस बार पौधों की जमकर बिक्री हुई। पौधा बेचने वालों की दीपावली के दिन चांदी रही। लोगों ने घर की बगिया को दीवाली के दिन नए पौधों से सजाया।

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इन पौधों की रही बिक्री

- गेंदा -25 रुपये पीस

- गुलाब - 25 रुपये पीस

- डहालिया - 60 रुपये दर्जन छोटे पौधे

- गुलदाउदी - 60 रुपये दर्जन

- अरहुल- 25 से 30 रुपये पीस

- शम्मी -25 रुपये पीस

- मनीप्लांट - 25 रुपये पीस

- मिर्च - 30 रुपये फला हुआ

- चाइनीज पाम - 60 रुपये

- केले का पौधा - 50 रुपये

- आंवला - 20 रुपये

- सहित करीब 100 प्रकार के छोटे- बड़े पौधों की हुई बिक्री

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'' दीपावली के दिन पौधों की अच्छी बिक्री हुई है। लोगों में पौधों के प्रति प्रेम बढ़ा है। पर्यावरण के लिय यह शुभ है।

दिनेश सिंह पौधा विक्रेता

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'' लोगों की सोच काफी बदली है। पटाखों की जगह लोगों ने पौधों को खरीदा। डालहिया, गुलदाउदी, अरकेरिया की खूब बिक्री हुई।

संजय कुमार नर्सरी संचालक घंटाघर चौक

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'' इस बार धमाकेदार पटाखे कम फूटे हैं। लोगों की सोच में बदलाव हुआ है। कई लोगों ने ग्रीन दीवाली की ओर कदम बढ़ाया है।

चंद्रशेखर सिंह नर्सरी संचालक

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रात आठ बजे तक हुई पौधों की हुई बिक्री

नर्सरी संचालक प्रकाश,अमित प्रसाद साह, बिट्टू कुमार, संतोष कुमार ने बताया कि पौधों की बिक्री काफी अच्छी रही। सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक बिक्री होती रही।

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पटाखों की बिक्री पर महंगाई हावी

पटाखों की बिक्री पर महंगाई हावी रही। इस बार पिछली बार की तुलना से पटाखों की कीमत में 15 फीसद अधिक उछाल था। यही कारण था कि लोगों ने पटाखों पर पानी की तरह पैसा बहाने से परहेज किया। पटाखा विक्रेताओं का कहना है कि रोशनी वाले पटाखे लोगों की पसंद थे। बम आदि पटाखे की बिक्री कम रही। लोगों की जागरूकता से पटाखों की बिक्री अपेक्षाकृत कम हुई। जिससे माल फंस गया है।

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'' पर्यावरण जागरूकता के कारण जनमानस अब पर्यावरण के प्रति सजग हुआ है। जिससे पटाखों के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है। पटाखों के कारण पर्यावरण इस बार कम रोया है।

डॉ. के.डी. प्रभात पर्यावरणविद


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