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धनुष तोड़ प्रभु राम ने सीता से किया स्वयंवर

जागरण संवाददाता, भागलपुर : नाथनगर के गोलदारपट्टी स्थित रामलीला मंच पर सोमवार को धनुष यज्ञ का आयोजन क

By Edited By: Published: Tue, 30 Sep 2014 12:57 AM (IST)Updated: Tue, 30 Sep 2014 12:57 AM (IST)
धनुष तोड़ प्रभु राम ने सीता से किया स्वयंवर

जागरण संवाददाता, भागलपुर : नाथनगर के गोलदारपट्टी स्थित रामलीला मंच पर सोमवार को धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया। रामलीला का आरंभ राम दरबार के झांकी से हुआ। श्रद्धालुओं ने भगवान राम की आरती की। इस अवसर पर पूरा प्रांगण भगवान राम के जयघोष से गुंजायमान हो गया। रामलीला के पहले मंचन में राजा जनक अपने पुत्री सीता के विवाह के लिएधनुष यज्ञ की घोषणा करते हुए कहा कि, जो महारथी भगवान शिव के धनुष को उठा लेंगे, उसके साथ सीता का स्वयंवर किया जाएगा। स्वयंवर में शामिल होने के लिए विश्व के राजा-महाराजा व योद्धा जनकपुर पहुंचे। राजभवन में मौजूद महारथी बारी-बारी से धनुष उठाने का प्रयास करते हैं, लेकिन राजा व महारथियों की हिम्मत धनुष तोड़ने में डोल जाती है। सभी महारथियों की बारी समाप्त होने पर प्रभु श्रीराम की बारी आई। उन्होंने सभा बैठे लोगों का अभिवादन कर धनुष को प्रणाम करते हैं। देखते ही देखते क्षण भर में ही धनुष को तोड़ देते हैं। स्वयंवर सभा में मौजूद योद्धा हैरत में पड़ जाते हैं। धनुष टूट जाने पर राजा जनक विनम्र भाव से ऋषि विश्वामित्र से आग्रह कर बोलते हैं। 'हे नाथ मेरा प्रण पूरा हुआ, अब आप जो भी आज्ञा करेगें मैं करने को तैयार हूं'। महर्षि विश्वामित्र ने जनक को कहा, जाति व कर्म के अनुसार दूत भेजकर राम और जानकी की विवाह का संदेश महाराज दशरथ को भेजे। दूत की वाणी सुनते ही महाराज दशरथ काफी प्रफुल्लित हुए। राम-जानकी का विवाह विधि पूर्वक संपन्न कराने के लिए दशरथ अपने सेवकों को निर्देश देते हैं।

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इसी बीच धनुष की तोड़ने की खबर सुन परशुराम आक्रोशित मुद्रा धारण किए जनकपुर की सभा में पहुंचते हैं। इस बीच राम व परशुराम में काफी देर तक संवाद होता है। राम को भगवान का स्वरूप मान कर परशुराम शांत होते हैं। इसके उपरांत ही राम-जानकी का विवाह संपन्न होता है। आयोजन स्थल पर लगे मेला का दर्शकों ने जमकर आनंद लिया। रामलीला समिति के सचिव पंकज भगत ने बताया कि मंगलवार को राम वनवास का कार्यक्रम कर्णगढ़ मैदान में होगा। वहीं तीन अक्टूबर को विजयादशमी के अवसर पर रावण, मेघनाथ व कुंभकरण का पुतला दहन किया जाएगा। इसके लिए रावण के 25 व मेघनाथ और कुंभकरण के 20-20 फीट ऊंचे पुतले का निर्माण कराए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं के आकर्षक का केंद्र आतिशबाजी के साथ पुतला दहन होगा। पिछले वर्ष बारिस के कारण लोग रावण दहन नहीं देख सके थे। इस बार आयोजन समिति पूरी तैयारी के साथ रावण दहन करेगी।


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