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पूजा के मौज में परीक्षा का टेंशन

By Edited By: Published: Sun, 28 Sep 2014 10:03 PM (IST)Updated: Sun, 28 Sep 2014 10:03 PM (IST)
पूजा के मौज में परीक्षा का टेंशन

जागरण संवाददाता, भागलपुर : आइसीएसइ बोर्ड से संबद्ध विभिन्न स्कूलों में सात अक्तूबर से होने वाले सेकेंड यूनिट टेस्ट ने बच्चों के दुर्गापूजा की मौज-मस्ती पर ब्रेक लगा दिया है। बच्चे और उनके अभिभावक खासे टेंशन में हैं कि पूजा-मेला के चक्कर में कहीं परीक्षा न खराब चला जाए।

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जाहिर है कि दुर्गापूजा शुरू हो चुका है। पांच अक्टूबर तक विसर्जन होना है, यानी पांच के सुबह तक मेला रहेगा। छह अक्टूबर को बकरीद है। और, सात अक्टूबर से स्कूलों में परीक्षा शुरू होगी।

अभिभावक परीक्षा के समय सारणी को लेकर रोष भी प्रकट करते हैं। छुट्टी के बावजूद लोग कहीं बाहर नहीं जा पा रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं बच्चों का ध्यान पढ़ाई से हट ना जाए। वहीं बच्चे भी पढ़ाई में पूजा का मजा नहीं ले पा रहे हैं। इससे बच्चों में झुनझुलाहट देखी जा रही है। पेशे से अधिवक्ता प्रभाकर सिन्हा कहते हैं कि पूजा के तुरंत बाद परीक्षा होने की वजह से उन्हें बच्चों को पढ़ाई के लिए बैठना पड़ रहा है। पूजा के दौरान बड़ी संख्या में अतिथि घर पर आते हैं। ऐसे में उनके आतिथ्य में भी परेशानी होती है। पेशे से शिक्षक व अभिभावक ब्रजभूषण सिंह ने कहा कि साल भर तो बच्चे पढ़ाई में ही समय लगाते हैं। पूजा के समय तो कम से कम उन्हें थोड़ी राहत जरूर मिलनी चाहिए। बच्चे ही नहीं बड़ों को भी परेशानी हो रही है। बच्चे घरों के काम में सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। कुंदन मिश्रा ने कहा कि बच्चों को पूजा के समय दिन-रात पढ़ाई करने के लिए कहने से झल्लाहट हो रही है। वे छुट्टी का आनंद नहीं ले पा रहे हैं। स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों के साथ बैठक करके परीक्षा की तिथि तय करनी चाहिए। अभिभावक-शिक्षक बैठक सिर्फ बच्चों की कमियों व खामियों तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। अभिभावकों की राय को विद्यालय की अन्य गतिविधियों के लिए शामिल किया जाना चाहिए। मृत्युंजय कुमार आश्चर्य प्रगट करते हुए कहते हैं कि चुनाव आयोग भी चुनाव की तिथि तय करने से पहले यह सुनिश्चत कर लेते हैं कि इस दौरान कोई त्योहार या फिर रबी या खरीफ के बुआई का समय तो नहीं है। लेकिन स्कूल प्रबंधन बिना सोचे-समझे ही परीक्षा तिथि करती है। रूपम मिश्रा ने कहा कि सिर्फ बच्चे पढ़ कर परीक्षा पास कर जाए तो कोई बात नहीं है। लेकिन उतना ही समय अभिभावकों को भी खर्च करना पड़ता है। माताओं को तो और भी परेशानी हो रही है। नरीमा खातून तो फोन कर कहती हैं कि छह को बकरीद है व सात अक्टूबर को परीक्षा की तिथि तय की गई है। स्कूल प्रबंधन खुद तय करे कि क्या उनका यह फैसला सही है।


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