रतनपुर-जमालपुर रेल दोहरीकरण मामले में सुनवाई पूरी
हमारे संवाददाता, भागलपुर : रतनपुर-जमालपुर रेल खंड मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। जमालपुर में दूसरी रेल सुरंग को लेकर मामला चल रहा था। रेलवे को दो माह में कोर्ट से सुरंग बनाने की अनुमति मिलने की उम्मीद है। इस पर रेलवे ने सेंट्रल माइनिंग इंस्टीच्यूट फ्यूल रिसर्च धनबाद से सुरंग को लेकर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। उक्त संस्थान से पूछा जा रहा है कि दूसरे सुरंग के बनने से पहले वाले को नुकसान तो नहीं पहुंचेगा। संस्थान कोल क्षेत्र में काम कर रहा है।
भागलपुर-किऊल रेल खंड पर दोहरीकरण का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। रतनपुर से जमालपुर के बीच पहाड़ के नीचे एक ही सुरंग रहने के कारण दोहरीकरण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। आज से पांच वर्ष पूर्व रेलवे ने पहाड़ के बगल से रास्ता बनाने का निर्णय लिया था। मगर दूरी व खर्च की अधिकता को देखते हुए रेलवे ने हाथ पीछे खींच लिए थे। दो वर्ष पूर्व रेलवे ने जमालपुर पहाड़ के नीचे बनी सुरंग के बगल में एक और सुरंग बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद पूर्व रेलवे के निर्माण विभाग ने राज्य व राष्ट्रीय वन्य प्राणी परिषद से इसके लिए अनुमति मांगी। दोनों ही जगहो से अनुमति मिल गई है।
यहां यह बता दें कि 1995 में एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इसमें केंद्र सरकार पर आरोप लगाया गया था कि वन की जमीन का उपयोग अन्य कामों में किया जा रहा है। इससे वन्य प्राणियों पर खतरा उत्पन्न हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के सेंटर एंपावर्ड कमेटी का गठन किया था। कमेटी के समक्ष रेलवे ने अपना पक्ष रख दिया है।
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