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एक बूंद उम्मीद, तबाही का सैलाब

By Edited By: Published: Sun, 01 Sep 2013 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2013 01:02 AM (IST)
एक बूंद उम्मीद, तबाही का सैलाब

राम प्रकाश गुप्ता, भागलपुर : गंगा में सैलाब आया तो किसानों की उम्मीदों की एक बूंद डूब गई। कुछ माह पहले तक धरती की प्यास से किसान परेशान थे, अब पानी के उफान से हलकान हैं। सूखे ने रबी की फसल बर्बाद की तो अगस्त में बेहतर बारिश की दम पर आस बंधी। अनुमान लगाया, घाटा सब्जियों के बेहतर उत्पादन से पाटा जा सकता है। मगर, गंगा नाराज हो गई। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के उंद्यान (सब्जी) वैज्ञानिक डॉ. रणधीर कुमार के अनुसार गंगा ने जिले में 20 करोड़ रुपये मूल्य की सब्जी की फसल बर्बाद कर दी है।

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जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रशेखर सिंह के अनुसार वास्तविक नुकसान का सर्वेक्षण पानी घटने के बाद प्रखंड कृषि पदाधिकारी और किसान सलाहकार करेंगे। उद्यान वैज्ञानिक ने बताया, नाथनगर क्षेत्र में किसानों ने एक सौ हेक्टेयर में फूल गोभी की खेती की थी। सारी फसल पानी में है। किसानों को एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दियारा का इलाका परवल और भिंडी की खेती के लिए मशहूर है। यहां भिंडी के खेतों में पानी पौधों से ऊपर बह रहा है। दो सौ हेक्टेयर में लगी भिंडी नहीं बची। इससे दो करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है।

वैज्ञानिक रणधीर ने बताया, सुल्तानगंज से कहलगांव का इलाका परवल के लिए प्रसिद्ध है। बिहपुर, नवगछिया व खरीक के दियारा क्षेत्रों में भी परवल की खेती होती है। यहां एक हजार हेक्टेयर में लगे परवल को नुकसान हुआ है। किसानों को इस बार ठीक-ठाक पैदावार होने की उम्मीद थी। इससे किसानों को 10 करोड़ की आय होती। कहलगांव व पीरपैंती इलाके में मिर्च की पैदावार इतनी अधिक होती है, फसल अन्य राज्यों में भी भेजी जाती है। यहां पांच सौ हेक्टेयर में मिर्च की खेती होती है। यद्यपि खेतों में लगी 50 फीसद मिर्च काट ली गई है। मगर, शेष फसल का जो नुकसान हुआ है वह पांच करोड़ रुपये से कम का नहीं है। नाथनगर व सबौर का इलाका लौकी व करेले के लिए भी जाना जाता है। दोनों फसलों को बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। किसान बोले, एक करोड़ की लौकी व करेला डूब गया।

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इनसेट-

उद्यान वैज्ञानिक की सलाह, पानी उतरने के बाद बोएं बैगन-टमाटर

उद्यान वैज्ञानिक के अनुसार जिले के सभी क्षेत्रों के किसान उनके संपर्क में हैं। किसानों को सलाह दी गई है, पानी उतरने के बाद वे ऊंची जमीन पर बैगन और टमाटर की खेती करें। पत्ता गोभी की खेती सितंबर में करने की सलाह दी गई है। पानी पूरी तरह से निकलने के बाद मटर भी लगाने को कहा गया है।

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