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पेट्रोल-डीजल के सरकार से नियंत्रण मुक्त होने से कंफ्यूज हैं लोग

सरकार ने पेट्रोल-डीजल को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इसे लोग कंफ्यूज हो गए हैं। कुछ लोग जहां इसका समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ कड़ा विरोध जता रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Jun 2017 03:06 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jun 2017 03:06 AM (IST)
पेट्रोल-डीजल के सरकार से नियंत्रण मुक्त होने से कंफ्यूज हैं लोग
पेट्रोल-डीजल के सरकार से नियंत्रण मुक्त होने से कंफ्यूज हैं लोग

बेगूसराय। सरकार ने पेट्रोल-डीजल को अपने नियंत्रण से मुक्त कर दिया है। इसे लोग कंफ्यूज हो गए हैं। कुछ लोग जहां इसका समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ कड़ा विरोध जता रहे हैं। केंद्र सरकार की नई नीति के तहत अब पेट्रोल-डीजल की कीमतें तेल बाजार के आधार पर तय होंगी। यह कीमत सुबह छह बजे निर्धारित की जाएंगी और दूसरी सुबह तक यही स्थिति कायम रहेगी।

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इस मामले को लेकर जब आम उपभोक्ताओं से उनकी राय जानने की कोशिश की तो ज्यादातर लोगों को यह बात समझ में ही नहीं आई, उनका कहना था कि आखिर पेट्रोल-डीजल के कीमतें बाजार के आधार पर प्रतिदिन तय होने से उपभोक्ताओं को लाभ होगा या हानि यह समझ से परे है। इसके लागू होने के प्रथम दिन ही लोगों को राहत मिली है, हो सकता है पहले कुछ दिनों तक इसी तरह राहत मिलती रहे और कुछ दिनों के बाद अचानक से तेल की कीमत आसमान छूने लगे।

क्या कहते हैं उपभोक्ता

1- जीडी कॉलेज के शैक्षणिक कार्य से जुड़े आदित्य कुमार कहते हैं कि पेट्रोल-डीजल से संबंधित जो खबरें सामने आई हैं, उससे उपभोक्ता काफी कंफ्यूज्ड हैं। अब सब्जी की तरह ही लोगों को घर से यह सोच कर निकलना पड़ेगा कि न जाने आज क्या रेट होगा। उनका का यह भी मानना है कि यह पहली व्यवस्था है, इसलिए इसकी जानकारी और लाभ-हानि का आंकड़ा तभी लगाया जा सकेगा, जब कुछ माह तक लोगों का इससे पाला पड़ता रहेगा।

2- कारोबारी शंभू कुमार कहते हैं कि सरकार ने कुछ सोच कर ही यह निर्णय लिया होगा। वैसे इस नियम के लागू होने के प्रथम दिन ही लोगों को राहत महसूस हुई है। अब कल क्या होगा, यह बाद की बात है। यह बात जरूर है कि इस नियम के लागू होने से हम थोड़े संशय में हैं। इसके बारे में हमें ज्यादा जानकारी भी नहीं है।

3- आल इंडिया पेट्रोलियम वर्कर्स फेडरेशन के सचिव ललन कुमार कहते हैं कि सरकार के इस निर्णय से उपभोक्ताओं को लाभ से अधिक हानि होगी। वे कहते हैं कि पूर्व में सरकार ने पांच राज्यों में इसका अभ्यास कर रही थी। पहले उसे सार्वजनिक किया जाता, वहां के उपभोक्ताओं की प्रतिक्रियाओं को पूरे देश में पहुंचाया जाता। तभी तो आम लोगों को इसके बारे में कुछ जानकारी मिलती। वे बताते हैं कि पूर्व में जब सरकार के इस निर्णय की पेट्रोल पंप मालिकों को जानकारी मिली थी तो उन लोगों ने सीधा इसका विरोध करते हुए हड़ताल की धमकी भी दी थी। आनन-फानन में सरकार ने पंप मालिकों को किसी तरह समझा-बुझाकर इसके लिए राजी तो कर लिया है। मगर मुझे डर है कि इसका गलत फायदा निजी तेल कंपनियां खूब उठाएंगी।

4- बरौनी तेल शोधक मजदूर यूनियन के सचिव शशि रंजन कहते हैं कि सरकार का यह निर्णय कुछ हद तक तो ठीक है, परंतु, इसकी आड़ में जब बिचौलिए घोटाला करना शुरू करेंगे तो न तो उपभोक्ता उसे समझ पाएंगे और न सरकार उसके खिलाफ लंबे समय तक कोई कार्रवाई कर पाएगी। वे कहते हैं कि इस नियम के लागू होने से अब उपभोक्ताओं को विश्व बाजार के रेट का इंतजार 15-20 दिनों तक नहीं करना होगा। वे प्रतिदिन तय होंगी और प्रतिदिन उपभोक्ता इसका लाभ उठा सकेंगे। मगर शर्त यह होगी कि उपभोक्ताओं को खुद से अपटूडेट रहना होगा। उन्हें विश्व बाजार की रेट की जानकारी रखनी होगी। इसके लिए वे किसी भी ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5- सिने कलाकार राम सुंदर गांधी का मानना है कि सरकार के इस निर्णय को लोग फल-सब्जी बाजार की नजर से देख रहे हैं। अचानक इस नियम को लागू करने से पहले इसका अच्छी तरह प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए था। इसके फायदे और नुकसान के बारे में हर किसी को जानकारी दी जानी चाहिए थी। ज्यादातर लोगों को विश्व बाजार से कोई सरोकार नहीं होता, वे सिर्फ उपभोग करना जानते हैं। अब इस नियम के लागू होने के बाद भला कौन बता सकता है कि पंप पर जो रेट उनसे लिया जा रहा है वह सही है, अब उसका सही रेट जानने के लिए इंटरनेट का ही सहारा लिया जा सकता है। दूसरी और कोई व्यवस्था तो नहीं है।


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